7/31/2008

ब्लास्ट्स के बाद और कल की खबर के बाद की सुरत मे कुछ बम बरामद किये गये आज अचानक अपनी ही लिखी पुरानी कुछ पंक्तियाँ याद आ गयी ...........

जिनमे सवाल तो हजार हैं पर शायद जवाव एक का भी नही ,क्या आपके पास .........????????



"आतंकवाद"


आतंकवादीयों को मुह तोड़ जवाब ,
अखीर कब दिया जाएगा,
क्या यूँही देखते रहेंगे हम ???
और वक्त निकल जाएगा...........
भगवान ने तो बस इंसान बनाये ,
फ़िर ये आतंकवादी कहाँ से आए???
इस सवाल का जवाब कब
और किस्से लिया जाएगा .......
गुमराह करके नौजवानों को
आतंक का जहर पिलाते हैं जो
उन्हें प्रेम की धारा का अम्रत
आखिर कब पिलाया जाएगा???
जिस्म पर बम लगाकर,
हमे बर्बाद करते है जो,
उन्हें जिन्दगी का सबक,
आखिर कब दिया जाएगा???
ह्थीयारों हथगोलों से ,
खून की होली खेल रहें है जो,
उन्हें इंसानीयत का मतलब,
कब समझाया जाएगा ???
रोकना होगा हमे
इस बढ़ती हुई बीमारी को
वरना ये आतंकवाद का सांप
हम सबको डस जाएगा ..........

7/30/2008

"क्यों है"








"क्यों है"
तेरे बगेर तनहा जिन्दगी मे मेरी कुछ कमी सी क्यों है ,
तेरी हर बात मेरे जज्बात से आज फ़िर उलझी सी क्यों है...

तु मुझे याद ना आए ऐसा एक पल भी नही संवारा मैंने,
गुजरते इन पलों मे मगर आज फ़िर बेकली सी क्यों सी है......

बेबसी के लम्हों मे आंसुओं का वो मंजर गुजारा मैंने ,
उठती गिरती पलकों मे मगर आज फ़िर कुछ नमी सी क्यों है.........
मोहब्बत मे तेरा नाम लेकर तेरी बेरुखी को भी रुतबा दिया मैंने
हर आहट पे तेरे आने की उम्मीद फ़िर बंधी सी क्यों है.....

गिला तुझसे नही बेवफा सिर्फ़ अपनी मज्बुरीयों से किया मैंने,
वक्त से करके तकरार सांसों की रफ्तार्र

"फ़िर थमी सी क्यों है......"


7/29/2008

आँखें




"आँखें "

तुम्हें देखने को तरसती हैं आँखें,
बहोत याद कर के बरसती हैं ऑंखें...........

जब जब ख्यालों में लातें हैं तुमको,
शर्मो हया से लरजती हैं ऑंखें ............

फूलों का तबस्सुम, या पतझड़ का मौसम,
तेरी बाट मे ही सरकती हैं ऑंखें.................

यूँ तन्हाई मे जब बिखरता है दामन,
तेरे साथ को बस सिसकती हैं आंखें...........

चिरागों के लौ मे भी जान ना रहे जब,
ग़म -ऐ-इश्क में फिर दहकती हैं ऑंखें...........




7/27/2008

"इन्तजार की इन्तहा "






"पहाडियों पर धुंद मे रेल की पटरियों के पास बैठे उस मुसाफिर का इंतज़ार करते रहेंगे जिसे आना तो था कुछ अरसा पहले और जिसके आने का वक्त हमेशा यूँही टालता रहेगा... ................................................."

7/26/2008

"हम"








"हम "

यादों की तेज़ धूप मे झुलसने लगें हैं हम ,
बातों के जंगलो मे भटकने लगें हैं हम ,

कोहरा है कैसा ये जो आँखों में छा रहा है ,
सपनो की आन्धीओं मे उज्जडने लगें हैं हम

दस्तक कोई उम्मीद की बाकी ना रह गयी ,
ख्यालों के समंदरों मे उफ़नने लगें हैं हम ;

महफिल ना कोई दिल की दास्ताँ मेरे लिए बनी
खामोशियों की सलाखों मे उल्ल्झने लगें हैं हम ;

सावन की प्यास को भी हुआ रंज इस क़दर
आसुओं की इक इक बूंद तरसने लगें हैं हम;








"दर्द का वादा"





"दर्द का वादा"


जिंदगी का ना जाने मुझसे और तकाजा क्या है ,

इसके दामन से मेरे दर्द का और वादा क्या है ????

एहसान तेरा है की दुःख दर्द का सैलाब दिया ,
मेरी आँखों को तुने आंसुओं से तार दिया..
एक बार भी न समझा मुझे भाता क्या है?????

छीन कर बैठ गयी मेरी मोहब्बत को कभी,
जब भी मिली एक नयी चाल मेरे साथ चली,
मेरी तकदीर से अब तेरा इरादा क्या है??????


जब भी मिलती है कहीं रूठ के चल देती है,
मेरे दिल को तू फिर एक बार मसल देती है
हैरान हूँ मुकदर को मेरे तराशा क्या है ?????

कौन सी खताओं की मुझे रोज सजा देती है,
मुश्किलें डाल के बस मौत का पता देती है ...
तेरा अब मेरी वफाओं मे और इजाफा क्या है ?????

जिंदगी का ना जाने मुझसे और तकाजा क्या है ,

इसके दामन से मेरे दर्द का और वादा क्या है????

http://rachanakar.blogspot.com/2008/11/blog-post_25.html

7/24/2008

“बहाने से ही आ ”





“बहाने से ही आ ”


मेरी मोह्हब्ब्त का सिला मुझको मिले कुछ ऐसे ,

तुझे पाने की तम्मना मैं जीना दुशवार हो जाए ,

आज तू मुझे खाक मे मिलाने के बहाने से ही आ .


तेरी यादों का पहरा मेरी धड़कन पे अब ना रहे ,

मेरे हाथों से तेरा दामन भी कुछ छुट जाए ऐसे ,

आज तू मुझपे इतने सितम ढाने के बहाने से ही आ .


इन निगाहों के सिसकते इंतजार बिखर जायें कुछ ऐसे ,

की मेरी आंखों की नमी भी छीन जाए मुझसे ,

आज तू मुझे यूं बेइन्तहा रुलाने के बहाने से ही आ .


ये दिल एक पल मे टूट के बिखर जाए कुछ इस तरह ,

की मेरी हर एक आरजू और उम्मीद का जनाजा निकले,

आज तू मुझे इस कदर ठुकराने के बहाने से ही आ










7/22/2008

"तन्हाई"





"तन्हाई"



"तन्हाई"











"तन्हाई"


काँटों की चुभन सी क्यों है तन्हाई,
सीने की दुखन सी क्यों है तन्हाई,




ये नजरें जहाँ तक मुझको ले जांयें ,

हर तरफ बसी क्यों है सूनी सी तन्हाई,



इस दिल की अगन पहले क्या कम थी ,


मेरे साथ सुलगने लगती क्यों है तन्हाई



आंसू जो छुपाने लगता हूँ सबसे ,

बेबाक हो रो देती क्यों है तन्हाई




तुझे दिल से भुलाना चाहता हूँ ,

यादों के भंवर मे उलझा देती क्यों है तन्हाई




एक पल चैन से सोंना चाहता हूँ ,

मेरी आँखों मे जगने लगती क्यों है तन्हाई



तन्हाई से दूर नही अब रह सकता,



मेरी सांसों मे, इन आहों मे,

मेरी रातों मे, हर बातों मे,

मेरी आखों मे, इन ख्वाबों मे,

कुछ अपनों मे, कुछ सपनो मे ,



मुझे अपनी सी लगती क्यों है तन्हाई ????



http://www.sahityakunj.net/LEKHAK/S/SeemaGupta/tanhai.htm



http://swargvibha.t35.com/kavita/all%20kavita/Seema%20Gupta/Tanhai.htm

(http://www.swargvibha.tk/)

http://kavimanch.blogspot.com/



7/21/2008

" तेरा होना "


" तेरा होना "

मुझे भाता है मेरे साथ मे तेरा होना,
सोच मे बात मे जज्बात मे तेरा होना
जिंदगी के मेरे हर साज़ मे तेरा होना,
मेरे सुर मे मेरी आवाज़ मे तेरा होना,
पल पल की बंधती हुई आस मे तेरा होना,
मेरे हर एहसास के एहसास मे तेरा होना
रूह मे रूह की हर प्यास मे तेरा होना,
जीस्त की बाकी हर एक साँस मे तेरा होना,
लगता है अब ये सफर सुख से गुजर जाएगा
जब से पाया है मैंने साथ में तेरा होना .....
.

7/15/2008

"कैसे करूं"














"कैसे करूं"
शब्दों मे बयान कैसे करूं , दर्दे दिल का कैसे नीबाह करूं ,
जो अश्क का दरिया जम सा गया , आंखों से उसका कैसे बहा करूं ?????????

ना सुकून मिले , ना चैन कहीं , ना दिन हो मेरा ना रैन कहीं ,
अब दिल को क्या समझाऊं मैं , पल पल की बेचनी कहाँ रफा करूं ?????????

सब बिखर गया . सब उजड़ गया , कुछ भी तो मेरे पास नही ,
दिल जल कर ऐसा ख़ाक हुआ , अब क्या लाऊं और क्या तबाह करूं ????????????

तेरी बातों पे तेरे वादों पे बंद आँखों से मैंने क्यों इतना किया यकीन,
तुझे चाहने से भी ज्यादा बढा लगे , अब और ऐसा मैं क्या गुनाह करूं ?????????




7/12/2008

" मेरी उम्मीदों को नाकाम ना होने देना "













" मेरी उम्मीदों को नाकाम ना होने देना "


ज़िंदगी की उदास राहों में,
कोई एक राह तो ऐसी होगी,
तुम तक जो मुझे लेके चली आयेगी ...
इन बिखरते ओर सम्भालते हुए लम्हात में ,
एक कोई लम्हा भी तो ऐसा होगा,
तेरी खुशबू मुझे महका के चली जायेगी........
ये मोहब्बत के जूनून का ही असर हो शायद ,
तेरे आने की ही आहट कुछ ऐसी होगी,
मेरी साँसों की जो रफ़्तार बढ़ा जायेगी...........
मेरी पल पल की दुआओं में,
कोई एक दुआ तो होगी,
तेरे दरबार में मकबूल करी जायेगी.......
तूने जो मेरी मोहब्बत के लिये होंगे लिखे,
उन्हीं फूलों से एक बार ज़रूर,
खुशबुओं से मेरी आगोश भरी जायेगी........
मैने आवाज़ दुआओं की उठा रक्खी है,
तेरे दरबार में उम्मीद सजा रखी है,
"मेरी उम्मीदों को नाकाम ना होने देना"

7/08/2008

मृगतृष्णा





कैसी ये मृगतृष्णा मेरी
ढूँढ़ा तुमको तकदीरों में
चन्दा की सब तहरीरों में
हाथों की धुँधली लकीरों में
मौजूद हो तुम मौजूद हो तुम
इन आखों की तस्वीरों में


कैसी ये ......................

अम्बर के झिलमिल तारों में
सावन में रिमझिम फुहारों में
लहरो के उजले किनारों में
तुमको पाया तुमको पाया
प्रेम-विरह अश्रुधारों मे

कैसी ये.........................

ढूँढ़ा तुमको दिन रातो में
ख्वाबों ख्यालों जज्बातों में
उलझे से कुछ सवालातों में
बसते हो तुम बसते हो तुम
साँसों की लय में बातों में
कैसी ये..........................

ढूँढी सब खमोश अदायें
गुमसुम खोयी खोयी सदायें
बोझिल साँसें गर्म हवायें
मुझे दिखे तुम मुझे दिखे तुम
हर्फ बने जब उठी दुआऐं

कैसी ये मृगतृष्णा मेरी

कैसी ये.....................

"सजाएं"






"सजाएं"

इस खामोशी मे भी हरदम तुमसे बातें होतीं हैं ,
दूर जुदा रह कर भी ख्यालों मे मुलाकातें होती हैं....
हमको वफा का इनाम दिया , जी भर के इल्जाम दिया ,
तुमने हमको भुला दिया ये सोच के ऑंखें रोती हैं....
क्या खोया क्या पाया था जीवन युहीं गवांया था ,
तुमने भी ठुकराया है अब खोने को सांसें होती हैं.....
एक बोझ मगर सीने मे है , कौन सा ऐसा जुर्म हुआ ,
चाहत मे मर मिटने की क्या खोफ-जदा "सजाएं" होतीं हैं