7/15/2008

"कैसे करूं"














"कैसे करूं"
शब्दों मे बयान कैसे करूं , दर्दे दिल का कैसे नीबाह करूं ,
जो अश्क का दरिया जम सा गया , आंखों से उसका कैसे बहा करूं ?????????

ना सुकून मिले , ना चैन कहीं , ना दिन हो मेरा ना रैन कहीं ,
अब दिल को क्या समझाऊं मैं , पल पल की बेचनी कहाँ रफा करूं ?????????

सब बिखर गया . सब उजड़ गया , कुछ भी तो मेरे पास नही ,
दिल जल कर ऐसा ख़ाक हुआ , अब क्या लाऊं और क्या तबाह करूं ????????????

तेरी बातों पे तेरे वादों पे बंद आँखों से मैंने क्यों इतना किया यकीन,
तुझे चाहने से भी ज्यादा बढा लगे , अब और ऐसा मैं क्या गुनाह करूं ?????????




14 comments:

Anonymous said...

Tuchko sukoon milenge, chain milenge, sadabahar din-o-rain milenge,

Dil ko na samjha abb, har pal ki baichaini mujh me sama ker do.

Bikhra sab sanwar jaye, Ujda sab bass jaye; sab kuch to he tumhare pass,

Dil meri baton pe, mere wadon pe; band karke aankhein jaise tune kiya yakeen,

teri ye chahat thodi badhey aur, bas thoda sa aur nibah ker do……..khil jane do, dil mil jane do; kuch bhi na aab zibah karo do.


Archeav

Anonymous said...

blogger par bhi great seema ji, wow!

योगेन्द्र मौदगिल said...

भई वाह आपका अंदाज भी काबिलेतारीफ है वाह वाह

Anonymous said...

beautiful thought, i like it

same wahi ki isko bhi (1st ) no. dene chhiye
mukesh garg

Anonymous said...

Waheen par tum jahaan ho kaghazon par
waheen main aajkal rahenay lagaa hoon

jigar kay dil kay har ek dard say main
rawaan dariyaa sa ik bahenay lagaa hoon

soonaadee aayinay nay dil ki baaten
tumhay main aajkal pahnay lagaa hoon

tumhaaray saath hoon jaisay azal say
tumhaaree baat main kahenay lagaa hoon

sunee seema hamaaray dil ki baatain?
tumheen say main sabhee kahenay lagaa hoon

Anonymous said...

Waheen par tum jahaan ho kaghazon par
waheen main aajkal rahenay lagaa hoon

jigar kay dil kay har ek dard say main
rawaan dariyaa sa ik bahenay lagaa hoon

soonaadee aayinay nay dil ki baaten
tumhay main aajkal pahnay lagaa hoon

tumhaaray saath hoon jaisay azal say
tumhaaree baat main kahenay lagaa hoon

sunee seema hamaaray dil ki baatain?
tumheen say main sabhee kahenay lagaa hoon

Anonymous said...

you and your wonderful poetry deserves all good words from the depth of my heart.aap ki poetry beautiful hai.Satayam shivam sundaram,a thing of beauty is a joy for ever.(if keats would have been alive these days he must say these lines for you)

surender kumar

मोहन वशिष्‍ठ said...

वाह सीमा जी मजा आ गया
सब बिखर गया . सब उजड़ गया , कुछ भी तो मेरे पास नही ,
दिल जल कर ऐसा ख़ाक हुआ , अब क्या लाऊं और क्या तबाह करूं

इतनी बडी बात सहज शब्‍दों में बोल गईं आप बहुत ही अच्‍छा मैं देरी कर गया एक और अच्‍छी पोस्‍ट पर आने में शुक्रिया

Anonymous said...

bhut bhadhiya likh rhi hai. ati uttam.

vipinkizindagi said...

मैं रोता रहा, मैं तड़पता रहा मगर,
किसी ने मेरी आँखो का सावन न समझा
अकेला चला पूरे सफ़र में,
किसी ने मेरे अकेले पन का दर्द न समझा,
तन्हाई में तन्हा बैठा रह मगर ,
तन्हाई ने हमे तन्हा न समझा,
मौत से लड़ रहे मगर मौत आती नही,
मौत ने अभी हमको ज़िंदा न समझा

Arvind Mishra said...

बेजोड़ भाव और अभिव्यक्ति

ilesh said...

nice wording bahot hi achhi tarha lafjo ko piroya he is poem me...

sab bikhar gaya,sab ujad gaya,kuchh bhi to mere paas nahi......bahot khub

Mumukshh Ki Rachanain said...

सीमा जी,
आपका यह गीत अति सुंदर है, पर निम्न पंक्तियाँ
सब बिखर गया . सब उजड़ गया , कुछ भी तो मेरे पास नही ,
दिल जल कर ऐसा ख़ाक हुआ , अब क्या लाऊं और क्या तबाह करूं ????????????

दिल को कुछ विशेष रूप से छू गया.

पर ध्यान रहे , जहाँ तबाह करने का मन होता है वहां स्वार्थी दिल का प्यार होता है, मीरा का निह्श्चल प्यार कभी तबाही की बात नही करता, वह तो ज़हर का प्याला भी उसी श्रद्धा से निह्श्चलभावः से ही पीती है.

चन्द्र मोहन गुप्त

Sanjeet Tripathi said...

"तेरी बातों पे तेरे वादों पे बंद आँखों से मैंने क्यों इतना किया यकीन,
तुझे चाहने से भी ज्यादा बढा लगे , अब और ऐसा मैं क्या गुनाह करूं ?"

बहुत खूब।

तेरे बालों से तेरे गालों से तेरी अधखुली आंखों से झलकता वो इकरार,
तुझे पाने से ज्यादा क्या मिले, अब और ऐसी क्या चाहत रखूं मैं?