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12/16/2015

Urdu Shayari Ghazal Mushaira (Naye purane charagh ) in Urdu Academy Delhi

Posted by seema gupta at 2:52 PM
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“TITLIYON KA KHYAAL"

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Collection of Ghazal and Nazm

Agonizing picture of Rural Life

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Exclusive Interview of Seema Gupta in April 2014 issue of Rural & Marketing Magazine "Agonizing picture of Rural Life" Page 76

15th Stree Shakti National Awards

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Seema Gupta In Mushaira "Jashn-e-Abul Kalaam Azad"

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"Urdu Nazam Nigari Ka Numayan Naam-Seema Gupta" Published In "Seh Mahi...Al-ZUBAIR"

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Seema Gupta Ghazal/ Interview in magazine "ASALEEB" Sargodha (Pakistan) MAY-JULY 2012 EDITION

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"Sarhad ke beech sangeet hai aazad"

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Hari Bhumi" by Seema Gupta 26th March 2012

"Artical on Seema Gupta Poetry" by MR. Nasim Shahid frm Pakistan 09 march 2012

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Daily Hindustan Express,Rashtriye Sahara Urdu,

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Avadhnama Lucknow,Akhbar e Mashriq Banglore

open channel programme on DD NATIONAL

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"a time to remember"

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Ustad Ghulam Abbas Khan a famous Indian Singer

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Padma shri Ustad Ghulam Sadiq Khan

मौसम के खजाने से एक लम्हा बहारो का दिल करता है चुरा लाऊं

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बारिशों के घुंघरू हवाओं के जेवर शाखाओं की हंसी को छु कर कभी देखा ही नहीं

TASHKENT TOUR 23 NOV TO 30 NOV

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ताशकंत" में "दर्द का दरिया" का विमोचन

"Wishing to Float"

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Published in Contemporary Literary Review India, Pune

"Everlasting Glance"

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English Poetry published in Natunbarta.com DHAKA

"हाँ तुम मेरी धडकनों में महफूज रह सकती हो"

"हाँ तुम मेरी धडकनों में महफूज रह सकती हो"

मंजिले और भी हैं

मंजिले और भी हैं
"नाम "दारा " " सिकंदर " जूँ तारिख में आप भी छोड़ इक दास्तान जाइये "

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"मैं और तुम"

"मैं और तुम"
मुट्ठी भर किरणों की बारिश मै और तुम तुमसे मिलने की एक ख्वाइश मैं और तुम

"मेरी आँखों को परेशान किया करते हैं ख़्वाब उसके मुझे हैरान किया करते हैं"

"मेरी आँखों को परेशान किया करते हैं  ख़्वाब उसके मुझे हैरान किया करते हैं"

"सीहोर में कुछ लम्हे"

"सीहोर में कुछ लम्हे"

शिवना प्रकाशन तथा मप्र उर्दू अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में

शिवना प्रकाशन तथा मप्र उर्दू अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में
नई पुस्तकों का विमोचन संपन्‍न

" AZIZULHIND"

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सीहोर (भोपाल) में मेरे प्रथम काव्य संग्रह " विरह के रंग" का विमोचन

सीहोर (भोपाल) में मेरे प्रथम काव्य संग्रह " विरह के रंग" का विमोचन
एक ख्वाब जो मेरी इन आँखों ने देखा भी नहीं था, मगर सच हो गया 08.05.2010

"राउंड द वीक में विरह के रंग की समीक्षा "

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विरह के रंग काव्‍य संग्रह

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विरह के रंग (शिवना प्रकाशन)

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"विरह के रंग " पुस्‍तक चर्चा by Satish Saxena ji

भावनाओं के कई रंग समेटे है 'विरह के रंग'( star new agency )

विरह के रंग का अपना ही शेड्स है ( by Arvind Mishra ji)

" विरह के रंग" ऐतिहासिक और स्वर्णिम पल का गवाह " अर्श"

विरह के नगमे गूंजे कभी, कभी सन्नाटो का साथ रहा

विरह के नगमे गूंजे कभी, कभी सन्नाटो का साथ रहा
गुजरे दिन आये याद बहुत, किस्मत" का कैसा उपहास रहा.

(चित्र पहेली) तस्लीम

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Rose Graphic #20

रविवासरीय साप्ताहिक पहेली-6 का उत्तर

रविवासरीय साप्ताहिक पहेली-6 का उत्तर

रेशमी जज्बात का आँचल पर फैलाये देखो फलक फलक...

रेशमी जज्बात का आँचल पर फैलाये देखो फलक फलक...
खामोशी के बिखरे ढेरो पर यादों के स्वर्णिम प्याले से कुछ लम्हे जाएँ छलक छलक...

आदरणीय महेन्द्र मिश्र जी का कमाल

आदरणीय महेन्द्र मिश्र  जी का कमाल
फोटो पहेली प्रतियोगिता : बूझो तो जानो और पहिचानो

यूँ ही बेवजह किसी से, करते हुए बातें, यूँ ही पगडंडियो पर सुबह-शाम आते जाते

यूँ ही बेवजह किसी से, करते हुए बातें, यूँ ही पगडंडियो पर सुबह-शाम आते जाते
कभी चलते चलते रुकते, संभलते डगमगाते. मुझे याद किया तुमने या नही जरा बताओ..

हजारों ख्वाब आँखों में हमारी मुस्कुराये हैं तेरे मिलने की बेताबी ने क्या क्या गुल खिलाये हैं

हजारों ख्वाब आँखों में हमारी मुस्कुराये हैं तेरे मिलने की बेताबी ने क्या क्या गुल खिलाये हैं
ये मंज़र शाम ढलने का , ये भीगी रात का दामन तेरी यादों ने ऐ जानम यहीं खेमे लगाये हैं

SELECTION & COLLECTION

SELECTION & COLLECTION
वाह ये भी खुब रही

है ये शो'ला या के चिंगारी है, आतश-अंगेज़ बेक़रारी है ...

है ये शो'ला या के चिंगारी है, आतश-अंगेज़ बेक़रारी है ...
है ये शो'ला या के चिंगारी है, आतश-अंगेज़ बेक़रारी है ...

यादे तेरी अश्रुविहल हो असहाय कर गई आँखों मे कितनी बारिशों ने घर बना लिए

यादे तेरी अश्रुविहल हो असहाय कर गई आँखों मे कितनी  बारिशों ने घर बना लिए
बिखरने लगे क्षण प्रतीक्षा के अधैर्य हो गये टूटती सांसो ने दुआओं मे तेरे ही हर्फ सजा लिए ............

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Light of Tears

wonderfull birthday with lots n lots of cake and special warm wishes for Ayushi...

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with love, Mrs. & Mr. P.C.Rampuria (Mudgal)

दूर बजती किसी बंसी की धुन पायल की रुनझुन और सरगम

दूर बजती किसी बंसी की धुन पायल की रुनझुन और सरगम
अनजानी सी कोई आहट आकर तुम्हे मेरी याद दिलाती तो होगी.....

गुलाबी दिल

अमूल्य धरोहर

"आंसू हूँ मैं ढलक जाउंगा , जहाँ चाहोगे दिल की शक्ल मे बदल जाऊंगा....."

"आंसू हूँ मैं ढलक जाउंगा , जहाँ चाहोगे दिल की शक्ल मे बदल जाऊंगा....."

हवा पुर कैफ चलने सी लगी है तबियत कुछ बहलने सी लगी है

हवा पुर कैफ चलने सी लगी है तबियत कुछ बहलने सी लगी है
हवा पुर कैफ चलने सी लगी है तबियत कुछ बहलने सी लगी है

खुशियों का बाजार लुटा, निष्प्राण हुआ मन का मुख्यालय,रीती भावों की गागरिया 'परिचय' क्या सुख-चैन का ?

खुशियों का बाजार लुटा, निष्प्राण हुआ मन का मुख्यालय,रीती भावों की गागरिया 'परिचय' क्या सुख-चैन का ?

विवशता का परित्याग कर ,दर्पण मचला जिज्ञासा का,भ्रम की आगोश मे,मनमोहक श्रिंगार किया ...

विवशता का परित्याग कर ,दर्पण मचला जिज्ञासा का,भ्रम की आगोश मे,मनमोहक श्रिंगार किया ...
जवाब न बना , रहा एक उलझा सा सवाल बनके , बहता रहा मुझमे वो हर लम्हा दर्द-ऐ-ख्याल बनके,

उनीदीं आँखों को मलते धुली शाम सी निखरी खामोशी के साये तले

उनीदीं आँखों को मलते धुली शाम सी निखरी खामोशी के साये तले
आकाँक्षाओं की ऊँगली थामे अनजानी ख्वाइशों से सवंरी भावनाओ के आँगन में लरजती उतर आती है तेरी यादों की पालकी..."

खामोश लब पे खुश्क मरुस्थल सा जमा हूँ

खामोश लब पे खुश्क मरुस्थल सा जमा हूँ
तुम चाहो तो एक नाजुक स्पर्श का बस दान दे दो एक तरल धार बन मै फिसल जाऊंगा......

सूरज जब मद्धम पड़ जाये और नभ पर लाली छा जाये

सूरज जब मद्धम पड़ जाये और नभ पर लाली छा जाये
एकांत के झुरमुट में छुप कर मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी तुम चुपके से आ जाना झाँक के मेरी आँखों मे एक पल में सदियाँ जी जाना

ख्वाबों के आँगन ने अपना कुछ ऐसे फ़िर विस्तार किया

ख्वाबों के आँगन ने अपना कुछ ऐसे फ़िर विस्तार किया
बहते दरिया की भूमि पर , इक नीवं बना अरमानो की, हर तर्ष्णा को पा लेने का, निरर्थक एक प्रयास किया ...

वक़्त की गर्द से परे एक पल तुमको सुन लेती

वक़्त की गर्द से परे   एक पल तुमको सुन लेती
तारो की आगोश में छिप पर अक्स तुम्हारा मन में धर लेती

तिल तिल जल के राख़ हुए अरमान उर्वरक बन बिखर गये

तिल तिल जल के राख़ हुए अरमान उर्वरक बन बिखर गये
दिल दरिया अश्रु बह निकले सींच उन्हें अपना "फर्ज निभाने को "

"इंतज़ार"

"इंतज़ार"
"पहाडियों पर धुंद मे रेल की पटरियों के पास बैठे उस मुसाफिर का इंतज़ार करते रहेंगे जिसे आना तो था कुछ अरसा पहले और जिसके आने का वक्त हमेशा यूँही टालता रहेगा......"

अभी जो धुप निकलने के बाद सोया है, वो सारी रात तुजे याद करके रोया है"(स्व. शमीम जयपुरी )

अभी जो धुप निकलने के बाद सोया है, वो सारी रात तुजे याद करके रोया है"(स्व. शमीम जयपुरी )

"ये उसकी आहट का शायद धुआं होगा, बर्फीले होते जिस्म से जिसका गुजर हुआ होगा,"

"ये उसकी आहट का शायद धुआं होगा,  बर्फीले होते जिस्म से जिसका गुजर हुआ होगा,"
मौत की रगों मे सांसों का लहू शिरकत न करता, उसके अश्कों ने यकीनन मेरे लबो को छुआ होगा.

"विरह का रंग"

"विरह का रंग"
"अगर उस पार हो तुम " मैं अभी कश्ती से आता हूँ .....जहाँ हो तुम मुझे आवाज़ दो " मैं दूंढ लाता हूँ"
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"आसमान को छू लिया है तेरी एक आवाज़ ने
नगमा वो ही बह रहा है तेरे दिल के साज़ मैं,
है मुहब्बत की जहाँ गरमी कुछ इस अंदाज़ में,
जैसे साँसों का मिलन आगाज़ हो अंजाम में,
ज़िंदगी भर की दुआओं का असर आया हो तेरे काम में ".......''

'na sur hai na tal hai, bus bhav hain or junun hai"

'na sur hai na tal hai, bus bhav hain or junun hai"

सियाह रात का एक कतरा जब आँखों के बेचैन दरिया की कशमश से उलझने लगा

सियाह रात का एक कतरा जब आँखों के बेचैन दरिया की कशमश से उलझने लगा
बस वही एक शख्स अचानक मेरे सिराहने पे मुझसे आ के मिला
पानी की बूंदों से बाँचे और पवन के रुख पे सजों डाले निरुत्तर लौटे वो संदेश सभी हर प्रयास विफल हो जाता है...

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"ह्रदय के जल थल पर अंकित, बस चित्र धूमिल कर जाओगे"

"ह्रदय के जल थल पर अंकित, बस चित्र धूमिल कर जाओगे"
कांधे पर सर और स्पर्श का घेरा रात के मुख पर चाँद का सेहरा तुम विराना कर जाओगे याद तो फिर भी आओगे

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"मै यहाँ हूँ यहाँ हूँ यहाँ ....."

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कवि मंच swargvibha.tk हिन्द-युग्म: सीमा गुप्ता
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सीमा गुप्ता की कविताएं « महावीर रचनाकार: सीमा गुप्ता ख्वाबों के आंगन...-कविता/NAVBHARAT TIMES
वाङ्मय हिन्दी पत्रिका SEEMA GUPTA
रामपुरिया का हरयाणवी ताऊनामा ! औरतनामा क्वचिदन्यतोअपि..........!: ( चिट्ठाकार चर्चा ) pehchano.blogspot
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TST की सिकंदर बनी सीमा जी
सीमा गुप्ता (नारायण कुँज)
आखर कलश http://www.anubhuti-hindi.org/anjuman/s/seema_gupta/index.htm

ज़ख्म हूँ रिसता रहूँगा , रग -ऐ -लहू मे उतर जाऊंगा, गम-ऐ-बेवफाई से उपजा हूँ , ये ना सोच के भर जाऊंगा.

ज़ख्म हूँ रिसता रहूँगा , रग -ऐ -लहू मे उतर जाऊंगा, गम-ऐ-बेवफाई से उपजा हूँ , ये ना सोच के भर जाऊंगा.

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"इश्क की इबादत "

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मेरी तकदीर से अब तेरा इरादा क्या है??????

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कौन सी खताओं की मुझे रोज सजा देती है,मुश्किलें डाल के बस मौत का पता देती है ...तेरा अब मेरी वफाओं मे और इजाफा क्या है ?????जिंदगी का ना जाने मुझसे और तकाजा क्या है ,इसके दामन से मेरे दर्द का और वादा क्या है????

"एक शाम और ढली"

"एक शाम और ढली"
सूनेपन का कोहरा ,मौन की बदहवासी ,तृष्णा की व्याकुलता,अलसाई पडती सांसों से ..उल्जती खीजती ,तेरे आहट की उम्मीद , समेटे एक शाम और ढली ....
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