3/24/2012

" वही फुरक़त के अँधेरे वही अंगनाई हो"


वही फुरक़त के अँधेरे वही अंगनाई हो
तेरी यादों का हों मेला ,शब् -ए -तन्हाई हो

मैं उसे जानती हूँ सिर्फ उसे जानती हूँ
क्या ज़ुरूरी है ज़माने से शनासाई हो

इतनी शिद्दत से कोई याद भी आया ना करे
होश में आऊं तो दुनिया ही तमाशाई हो

मेरी आँखों में कई ज़ख्म हैं महरूमी के
मेरे टूटे हुए ख़्वाबों की मसीहाई हो

वो किसी और का है मुझ से बिछड कर “सीमा “
कोई ऐसा भी ज़माने में न हरजाई हो

3/20/2012

"Ashok kavyabhushan puraskar" during "Ashok stambh lokarpan smaroh " in Agra on 18th March 2012





मेरे लिए बेहद गर्व और गौरव की बात है की मेरा नाम भारत के २४ कवियों के साथ " अशोक काव्य भूषण पुरस्कार " के लिए चुना गया है. ये पुरस्कार आगरा में प्रजापति अशोक सम्राट तथा डा बाबासाहेब आंबेडकर जयंती के उपलक्ष में "अशोक स्थम्ब के लोकार्पण " के भव्य समारोह दिया गया जिसका आयोजन अशोक सर्वागीण सोसायटी पुणे द्वारा किया गया 18/03/2012