"कुछ शिकवो के मौसम हैं और कुछ आवारा से ख्यालातों की बेख्याली भी है , इन्ही शब्दों के जखीरे के साथ एक कविता "चाँद मुझे लौटा दो ना " को यहाँ सुनियेगा..... "
"चाँद मुझे लौटा दो ना "
चंदा से झरती
झिलमिल रश्मियों के बीच
एक अधूरी मखमली सी
ख्वाइश का सुनहरा बदन
होले से सुलगा दो ना
झिलमिल रश्मियों के बीच
एक अधूरी मखमली सी
ख्वाइश का सुनहरा बदन
होले से सुलगा दो ना
इन पलकों में जो ठिठकी है
उस सुबह को अपनी आहट से
एक बार जरा अलसा दो ना
उस सुबह को अपनी आहट से
एक बार जरा अलसा दो ना
बेचैन उमंगो का दरिया
पल पल अंगडाई लेता है
आकर फिर सहला दो ना
पल पल अंगडाई लेता है
आकर फिर सहला दो ना
छु कर के अपनी सांसो से
मेरे हिस्से का चाँद कभी
मुझको भी लौटा दो ना![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjWUcvoJ-74IREMKQh4j3s4EMoT1tB4q5_4unjoSlQG7kUIom3TLG7c4zbKZBZbyjkonE6dpxvuEXiLfq8jelGIyQfEL35ETD72h5Qn_R0Aq0Wem11vP-Ymv02amvOchk8P58v0aSOYCsXy/s400/di12.jpg)
मेरे हिस्से का चाँद कभी
मुझको भी लौटा दो ना
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjWUcvoJ-74IREMKQh4j3s4EMoT1tB4q5_4unjoSlQG7kUIom3TLG7c4zbKZBZbyjkonE6dpxvuEXiLfq8jelGIyQfEL35ETD72h5Qn_R0Aq0Wem11vP-Ymv02amvOchk8P58v0aSOYCsXy/s400/di12.jpg)