8/30/2008

दस्तक



"दस्तक"
अपने ही साये से ,
"आज"
खौफजदा से हैं,
फ़िर किसी तूफ़ान ने,
दस्तक दी होगी..............दिले - मुजतर के दाग की,

"रोशनी गहरी"

हाजत कहाँ सियाह रात मे ,

महे- ताबां ठहरी
(दिले - मुजतर - बेचैन दिल, हाजत - जरूरत ,

महे- ताबां - चमकते चाँद )

http://vangmaypatrika.blogspot.com/2008/09/blog-post_02.html

8/28/2008

जूनून



"जूनून"

एक वादा ,

उसके लौट आने का,

एक "जूनून" मेरा

निगाहें बीछाने का"

वो सितमगर है

झुठ बोल जाएगा

मेरी खामोशियों से

" मगर"

जिन्दगी भर सदायें पायेगा

8/27/2008

तमन्ना

"तमन्ना"

दिल की तमन्ना फ़िर कोई हरकत ना करे,
यूँ न सितम ढा के फ़िर कोई सैलाब रुख करे,
किस अदा से इजहारे जज्बात हम करते,
की एक इशारे से भी जब चेहरा तेरा शिकन करे....

http://vangmaypatrika.blogspot.com/2008/08/blog-post_28.html

8/23/2008

तलाश

"तलाश"


जिन्दगी की धुप ने झुलसा दिया,
एक शीतल छावं की तलाश है...
रंज उल्फ़त नफरत से निबाह किया,
एक दर्द-मंद दिल की तलाश है.......
रास्तों मे मंजिलें भटक गईं ,
एक ठहरे गावं की तलाश है .........

http://vangmaypatrika.blogspot.com/2008/08/blog-post_1172.html

8/21/2008

"नहीं"







"नहीं"

देखा तुम्हें , चाहा तुम्हें ,
सोचा तुम्हें , पूजा तुम्हें,
किस्मत मे मेरी इस खुदा ने ,
क्यों तुम्हें कहीं भी लिखा नहीं .
रखा है दिल के हर तार मे ,
तेरे सिवा कुछ भी नही ,
किस्से जाकर मैं फरियाद करूं,
हमदर्द कोई मुझे दिखता नही.
बनके अश्क मेरी आँखों मे,
तुम बस गए हो उमर भर के लिए ,
कैसे तुम्हें दर्द दिखलाऊं मैं ,
अंदाजे बयान मैंने सीखा नही.
नजरें टिकी हैं हर राह पर ,
तेरा निशान काश मिल जाए कोई,
कैसे मगर यहाँ से गुजरोगे तुम,
मैं तुमाहरी मंजील ही नही,
आती जाती कोई कोई अब साँस है ,
एक बार दिल भर के काश देखूं तुझे,
मगर तू मेरा मुक्कदर नही ,
क्यों दिले नादाँ ये राज समझा नही ..............

http://kavimanch.blogspot.com/

8/19/2008

"काश"



"काश"


तेरे साथ गुजरे,
" लम्हों"
की कसक,
आज भी
दिल मे बाकी है,
"काश "
वो मौसम
वो समा
फ़िर से बंधे

http://vangmaypatrika.blogspot.com/2008/08/blog-post_7837.html

8/14/2008

प्यार आता है




"प्यार आता है"


तेरी बातों पे ना जाने मुझे क्यों प्यार आता है,
तुझे देखूं ना मैं जब तक नही करार आता है.

तेरी आँखों से यूं लगता है जैसे कोई जाम पीता हूँ,
खुले होठों से गिरते फूलों को मैं थाम लेता हूँ.

नींद आती नही मुझको तो हर पल ख्वाब आतें हैं,
ख्वाबों मे मैं तुझे हर पल अपनी बाँहों मे पाता हूँ.

मिलन के बाद एक पल बिछड़ने का भी आता है,
वो घडी ऐसी होती है जैसे तूफान आता है.

मेरी चाहत की हद कितनी है ये दिखलाना चाहता हूँ,
जीते जी ही नही मर कर भी तुझको पाना चाहता हूँ...


http://vangmaypatrika.blogspot.com/2008/08/blog-post_21.html

8/11/2008

रात,


"रात"

"क्या हुआ जो ये रात,
"कुछ"
शिकवो शिकायतों के साथ गुजरी ,
क्या हुआ जो अगर ये रात,
आंसुओ के सैलाब से बह कर गुजरी ,
"गौर -ऐ -तलब" है के ये रात,
आप के ख्यालात के साथ गुजरी

http://vangmaypatrika.blogspot.com/2008/08/blog-post_9244.html

8/10/2008

तू रहती है




"तू रहती है"


मेरे एहसास में तू रहती है,
मेरे जज्बात में तू रहती है
आँखों मे सपना की जगह
मेरे ख़यालात में तू रहती है
लोग समझते हैं के वीराना है
पर मेरे साथ में तू रहती है
दम घुटता है जब रुसवाई मे ,
मेरी हर साँस मे तू रहती है
दुख का दर्पण , विरहन सा मन
मेरे हर हालात मे तू रहती है

8/09/2008

“ऐतबार”



“ऐतबार”


वो पूछते हैं मुझसे किस हद तक प्यार है,
मैंने कहा जहाँ तक ये अनंत नीला आकाश है,

वो पूछते हैं किसका तुम्हारे दिल पे इख्तियार है ,
मैंने कहा जिसका दर्द मेरे दिल मे शुमार है

वो पूछते हैं किस तोहफे का तुमको इन्तजार है ,
मैंने कहा उसका तसुब्ब्र्र जिसके लिए दिल बेकरार है

वो पूछते है मेरा साथ कहाँ तक निभाना है ,
मैंने कहा जहाँ तक चमकते सितारों का संसार है

वो पूछते है , मैं किस तरह ऐतबार करू तुम पर ,
मैंने कहा मेरा वजूद ख़ुद मे एक ऐतबार है...!

8/08/2008

"अदा"




"अदा"

फिर वही आतिशफिशानी कर रही उसकी अदा
फिर वही मदिरा पिला डाली है उसके जाम ने ..........

जब भी गुज़रा वो हसीं पैकर मेरे इतराफ़ से

दी सदा उसको हर एक दर ने हर एक बाम ने......

एक अजब खामोश सा एहसास था दिल में मेरे

उसका नज़ारा किया है पहले हर इक गाम ने...


http://vangmaypatrika.blogspot.com/2008/09/blog-post_4097.html

8/07/2008

"बेखबर"



अचानक चुप हो जातें हैं
"वो इस कदर यूँ",
"की'
"बेखबर" को
हमारी रुकी साँसों का
"ख्याल तक नही रहता"

8/06/2008

"सुकून है"



"सुकून है"

एक अजब खुमार है , एक अजब जूनून है,
तुम अगर नही मिले ,मेरे दिल का खून है
तू ही बता मेरे मन हो क्या अब ऐसा जतन,
हम तुम थोडी देर के लिये कह सकें होके मगन
"सुकून है" "सुकून है" "सुकून है" "सुकून है"

http://vangmaypatrika.blogspot.com/2008/09/blog-post_1958.html

8/04/2008

"याद किया तुमने या नही "




"याद किया तुमने या नही "

यूँ ही बेवजह किसी से, करते हुए बातें,
यूँ ही पगडंडियो पर सुबह-शाम आते जाते
कभी चलते चलते रुकते, संभलते डगमगाते.
मुझे याद किया तुमने या नही जरा बताओ..


सुलझाते हुए अपनी उलझी हुई लटों क
फैलाते हुए सुबह बिस्तर की सिलवटों को
सुनकर के स्थिर करतीं दरवाजी आहटों को
मुझे याद किया तुमने या नही जरा बताओ..

बाहों कर करके घेरा,चौखट से सर टिकाके
और भूल करके दुनियाँ सांसों को भी भुलाके
खोकर कहीं क्षितिज में जलधार दो बुलाके
मुझे याद किया तुमने या नही जरा बताओ.

सीढ़ी से तुम उतरते , या चढ़ते हुए पलों में
देखुंगी छत से उसको,खोकर के अटकलों में
कभी दूर तक उड़ाकर नज़रों को जंगलों में
मुझे याद किया तुमने या नही जरा बताओ..

बारिश में भीगते तो, कभी धूप गुनगुनाते
कभी आंसुओं का सागर कभी हँसते-खिलखिलाते
कभी खुद से शर्म करते कभी आइने से बातें
मुझे याद किया तुमने या नही जरा बताओ..

तुमसे दूर मैने, ऐसे हैं पल गुजारे .
धारा बिना हों जैसे नदिया के बस किनारे..
बिन पत्तियों की साखा बिन चाँद के सितारे..
बेबसी के इन पलों में...
मुझे याद किया तुमने या नही जरा बताओ....

8/03/2008

"जरूरी तो है"










"जरूरी तो है"
मुझको मिले तेरा प्यार ये जरूरी तो है,
तेरे दिल पे हो मेरा इख्त्यार ये जरूरी तो है,
दर्द कितना भी सताये है, मुझे पर वो तेरा है,
तेरे गम मे हो मेरा दामन तार तार ये जरूरी तो है.
कोई भी एक पल तेरे बगैर सोचु भी तो मैं कैसे,
हर घड़ी हो तेरा मेरा साथ ये जरूरी तो है
जिसकी झलक पाने को सदयीओं से ये ऑंखें थमी हैं,
मैं करू उसका जिन्दगी भर इंतजार, ये जरूरी तो है.
तू है मेरी सांसों मे मुझे हर नब्ज कहती है,
मैं करूं तुझे हर पल टूट के प्यार ये जरूरी तो है.
ये इंतजार भी तेरा, ये आंसू भी तेरा, ये गम भी तेरा.....
ये प्यार भी तेरा , ये ऐतबार भी तेरा ये.............
फिर क्यों न करूं किस्मत से तकरार ,
"ये जरूरी तो है"

8/02/2008

कतरा कतरा




"कतरा कतरा"



कतरा कतरा दरया देखा ,
कतरे को दरया में न देखा ,
लम्हा लम्हा जीवन पाया,
जीवित एक लम्हे को न पाया,
आओ हम दोनों मिलकर
एक लम्हे को जिंदा कर दें,
प्रेम प्रणव से जीवन भर दें

http://vangmaypatrika.blogspot.com/2008/09/blog-post_05.html