चाँद मुझे लौटा दो ना
चंदा से झरती
झिलमिल रश्मियों के बीच
एक अधूरी मखमली सी
ख्वाइश का सुनहरा बदन
होले से सुलगा दो ना
इन पलकों में जो ठिठकी है
उस सुबह को अपनी आहट से
एक बार जरा अलसा दो ना
बेचैन उमंगो का दरिया
पल पल अंगडाई लेता है
आकर फिर सहला दो ना
छु कर के अपनी सांसो से
मेरे हिस्से का चाँद कभी
मुझको भी लौटा दो ना
10/22/2013
4/23/2013
"FAKHR-E-HIND" AWARD (PROUD OF NATION) To Seema Gupta By President Of India-Smt. Pratibha Devisingh Patil
Husan Ara Trust Presents"FAKHR-E-HIND" AWARD (PROUD OF NATION) To Seema Gupta By President Of India-Smt. Pratibha Devisingh Patil-in following event held on 22nd April 2013
"Jashn-e-Abul Kalaam Azad" — at India Habitt Center, Lodhi Road New Delhi.
"Jashn-e-Abul Kalaam Azad" — at India Habitt Center, Lodhi Road New Delhi.
3/30/2013
30 मार्च 2013 को पत्रिका के साप्ताहिक परिशष्ट me.next के नियमित स्तंभ web blog में कुछ लम्हें की बातें
30 मार्च 2013 को पत्रिका के साप्ताहिक परिशष्ट me.next के नियमित स्तंभ web blog में कुछ लम्हें की बातें
2/07/2013
Beautiful Romantic urdu Poem-Main Or Tum - Hindi- Urdu Poetry (seema gupta)
"मैं और तुम"
...............
मुट्ठी भर किरणों की बारिश मै और तुम
तुमसे मिलने की एक ख्वाइश मैं और तुम
शबनम के ये कतरे फूल की पत्ती पर
आब है अश्कों का ये मेरे मैं और तुम
पानी पानी अब के भी है सारा कुछ
रोते दिल और बहती आँखें मैं और तुम
पारा पारा अब तो पूरा ज़ामा है
एक उम्मीदों का दामन है मैं और तुम
हंसते लब ये रोते दिल बस हैरानी
बहते पानी की पलकों से मैं और तुम
सीमा है बस ख़्वाब हैं पूरी दुनिया है
ताबीरों पर पहरे पैहम मैं और तुम
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मुट्ठी भर किरणों की बारिश मै और तुम
तुमसे मिलने की एक ख्वाइश मैं और तुम
शबनम के ये कतरे फूल की पत्ती पर
आब है अश्कों का ये मेरे मैं और तुम
पानी पानी अब के भी है सारा कुछ
रोते दिल और बहती आँखें मैं और तुम
पारा पारा अब तो पूरा ज़ामा है
एक उम्मीदों का दामन है मैं और तुम
हंसते लब ये रोते दिल बस हैरानी
बहते पानी की पलकों से मैं और तुम
सीमा है बस ख़्वाब हैं पूरी दुनिया है
ताबीरों पर पहरे पैहम मैं और तुम
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