8/30/2010
"कभी यूँ भी हो "
"कभी यूँ भी हो "
कभी यूँ भी हो
देखूं तुम्हे ओस में भीगे हुए
रेशमी किरणों के साए तले सारी रात
चुन लूँ तुम्हारी सिहरन को
हथेलियों में थाम तुम्हारा हाथ
महसूस कर लूँ तुम्हारे होठों पे बिखरी
मोतियों की कशमश को
अपनी पलकों के आस पास
छु लूँ तुम्हारे साँसों की उष्णता
रुपहले स्वप्नों के साथ साथ
ओढ़ लूँ एहसास की मखमली चादर
जिसमे हो तुम्हरी स्निग्धता का ताप
कभी यूँ भी हो .....
देखूं तुम्हे ओस में भीगे हुए
रेशमी किरणों के साए तले सारी रात
8/02/2010
"तुम्हारा है "
" कुछ आँखों की गुफ्तगू है और उनमे सिमटे जज़्बात हैं.....
आँखे जो कायनात का नज़ारा करवाती हैं..."
मीरतकी मीर के इस शेर के साथ एक छोटी सी पुरानी कविता "तुम्हारा है" को यहाँ सुनिए.......
"मीर उन नीम बाज आँखों में
सारी मस्ती शराब की सी है"
"तुम्हारा है "
जो भी है वो तुम्हारा ...
यह दर्द कसक दीवानापन ...
यह रोज़ की बेचैनी उलझन ,
यह दुनिया से उकताया हुआ मन...
यह जागती आँखें रातों में,
तनहाई में मचलन और तड़पन ..........
ये आंसू और बेचैन सा तन ,
सीने की दुखन आँखों की जलन ,
विरह के गीत ग़ज़ल यह भजन,
सब कुछ तो मेरे जीने का सहारा है ........
जो भी है वो तुम्हारा है
आँखे जो कायनात का नज़ारा करवाती हैं..."
मीरतकी मीर के इस शेर के साथ एक छोटी सी पुरानी कविता "तुम्हारा है" को यहाँ सुनिए.......
"मीर उन नीम बाज आँखों में
सारी मस्ती शराब की सी है"
"तुम्हारा है "
जो भी है वो तुम्हारा ...
यह दर्द कसक दीवानापन ...
यह रोज़ की बेचैनी उलझन ,
यह दुनिया से उकताया हुआ मन...
यह जागती आँखें रातों में,
तनहाई में मचलन और तड़पन ..........
ये आंसू और बेचैन सा तन ,
सीने की दुखन आँखों की जलन ,
विरह के गीत ग़ज़ल यह भजन,
सब कुछ तो मेरे जीने का सहारा है ........
जो भी है वो तुम्हारा है
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