10/26/2009

"किस्मत का उपहास"


"किस्मत का उपहास"

हर बीता पल इतिहास रहा,
जीना तुझ बिन बनवास रहा
ये चाँद सितारे चमके जब जब
इनमे तेरा ही आभास रहा

चंचल हुई जब जब अभिलाषा,

तब प्रेम प्रीत का उल्लास रहा,
तेरी खातिर कण कण पुजा
पत्थरों में भगवन का वास रहा

विरह के नगमे गूंजे कभी
कभी सन्नाटो का साथ रहा
गुजरे दिन आये याद बहुत
"किस्मत" का कैसा उपहास रहा.




















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10/16/2009

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं


"दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं"

झिलमिलाते दीपो की आभा से प्रकाशित , ये दीपावली आप सभी के घर में धन धान्य सुख समृद्धि और इश्वर के अनंत आर्शीवाद लेकर आये. दीप मल्लिका दीपावली -समस्त ब्लॉग परिवार के लिए सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए.."






10/05/2009

तुम चुपके से आ जाना


'तुम चुपके से आ जाना "

सूरज जब मद्धम पड़ जाये
और नभ पर लाली छा जाये
शीतल पवन का एक झोंका
तेरे बिखरे बालों को छु जाए
चंदा की थाली निखरी हो
तारे भी सो कर उठ जाए
चोखट की सांकल खामोशी से
निंदिया की आगोश में अलसाये
बादल के टुकड़े उमड़ घुमड़
द्वारपाल बन चोक्न्ने हो जाये
एकांत के झुरमुट में छुप कर
मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
तुम चुपके से आ जाना
झाँक के मेरी आँखों मे
एक पल में सदियाँ जी जाना

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