
"दस्तक"

अपने ही साये से ,
"आज"
खौफजदा से हैं,
फ़िर किसी तूफ़ान ने,
"रोशनी गहरी"
हाजत कहाँ सियाह रात मे ,
महे- ताबां ठहरी
(दिले - मुजतर - बेचैन दिल, हाजत - जरूरत ,
महे- ताबां - चमकते चाँद )
http://vangmaypatrika.blogspot.com/2008/09/blog-post_02.html
"रोशनी गहरी"
हाजत कहाँ सियाह रात मे ,
महे- ताबां ठहरी
(दिले - मुजतर - बेचैन दिल, हाजत - जरूरत ,
महे- ताबां - चमकते चाँद )
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