"दर्द का वादा"
जिंदगी का ना जाने मुझसे और तकाजा क्या है ,
इसके दामन से मेरे दर्द का और वादा क्या है ????
एहसान तेरा है की दुःख दर्द का सैलाब दिया ,
मेरी आँखों को तुने आंसुओं से तार दिया..
एक बार भी न समझा मुझे भाता क्या है?????
छीन कर बैठ गयी मेरी मोहब्बत को कभी,
जब भी मिली एक नयी चाल मेरे साथ चली,
मेरी तकदीर से अब तेरा इरादा क्या है??????
जब भी मिलती है कहीं रूठ के चल देती है,
मेरे दिल को तू फिर एक बार मसल देती है
हैरान हूँ मुकदर को मेरे तराशा क्या है ?????
हैरान हूँ मुकदर को मेरे तराशा क्या है ?????
कौन सी खताओं की मुझे रोज सजा देती है,
मुश्किलें डाल के बस मौत का पता देती है ...
तेरा अब मेरी वफाओं मे और इजाफा क्या है ?????
जिंदगी का ना जाने मुझसे और तकाजा क्या है ,
जिंदगी का ना जाने मुझसे और तकाजा क्या है ,
http://rachanakar.blogspot.com/2008/11/blog-post_25.html
25 comments:
Ive read this topic for some blogs. But I think this is more informative.
जब भी मिलती है कहीं रूठ के चल देती है,
मेरे दिल को तू फिर एक बार मसल देती है
हैरान हूँ मुकदर को मेरे तराशा क्या है ?????
कौन सी खताओं की मुझे रोज सजा देती है,
मुश्किलें डाल के बस मौत का पता देती है ...
तेरा अब मेरी वफाओं मे और इजाफा क्या है ?????
दिल से लिखी ......ओर दिल को छूने वाली...एक ओर .....खास तौर से ये लाइन
जिंदगी का ना जाने मुझसे और तकाजा क्या है ,
have no words to say on this.. infact am speachless..
each n every words is completely from deep core of heart n having coated in lot of layers the person feeling internally ..
really a touching poetry...
Iss baar to aisa laga jaise ki Dard hadon se kahin aage nikal gaya ho.
Very painful, Seema!
It perturbed me somehow and YOU can say that it left (again) a lot of effect on me!
Of course I was little surprised to see Your photo in this poem but after reading this I conclude that your image and these words seems like - made for each other..
As ever, You are very effective Seema!
Amit Verma
Hi Seema ji
Realy nice poeam touch my heart
Sometime happen like this in a love i think you know more then me because your nice poetry .and one think where is not sunlight there is poetry na .
your every poem remind my past days realy nice poeam
keep it
Thank you
Best Regards
*******************
Ritesh Kumar Chaudhary.
Doha,Qatar
इस बार की कविता बहुत सुंदर है। सीमा जी,
आपकी लेखनी में निखार आ रहा है।
seemaji bhut sundar likh rhi hai. jari rhe.
bar bar gum ke sagar me tera haath jata kya hai,
muththiyan bhinchti ho par haton me aata kya hai
gujra hua vaqt hai kabhi ayega nahi.
siva gam ke un yaadon me rakha kya hai.
mana ki saans bhi kafi hai jine ko,
par bata bina ehsaas ke bhi jiya jata hai kya......
ye lines maine aapki poetry pad kar nahi us tasveer ko dejh kar likhi hai jinhone gamon ko itne sajeev dang se personify kiya hai.
welldone Seema ji
Ek hasrat thii ke aanchal ka mujhe pyaar milay..mainay manzil ko talaasha mujhay bazaar milay...Zindagii aur bataa tera iraada kyaa hai...
Dr Ramavtar Tyagi ji ki rachna kii yaadein taza kar gayee hai aapki ye rachna...kamaal ka 'thought' aur kamaal ka 'expression'....
merii aur se hamesha hi shubhkaamnaayein....
And thanks for adding my line with your's...
आभार, दर्द को बहुत सुन्दर ढंग से उकेरा है आपने ।
रास्ते में जा रहा था
कि तभी
एक बूंद आकर
मेरे होंटो पर बैठ गई
और अपने दर्द की दास्तां
बयां करने लगी
कहीं शायद वो बूंदे यहीं से तो नहीं पहूंची मेरे पास
बहुत शानदार आपको बधाई पे बधाई
वाह, वाह, वाह लाजवाब सीमा जी, दरद का अहसास जो आपके पास है शायद ही किसी के पास हो....
जिंदगी ने तुझसे और मांगा ही क्या है...
एक दिल और उसे लगाने की सजा ही क्या है...
ये तो तुझे ही पता है....
कब, क्यूं और किसे देना क्या है...।
--
Imran Jalandhari
mam mujhe aapki poem bahut achi lagi. you are a great writer and your poem is really to touch my heart.
"Deepak"
बहुत अच्छा लिखा है उस के लिए बधाई
एक शेर मेरा ........
वक़्त की रेत पे कुछ एसे निशान छोड़ते चलो,
की याद करे ज़माना, कुछ एसी यादे छोड़ते चलो,
सुन्दर ढंग से उकेरा है.
aadab
kavita achee hai
Firoz Ahmad
सीमाजी आपकी ताजा रचना दर्द का वादा पढा बहुत ही दर्द है इसमें. आपकी तस्वीर तो उसमें जान डाल दी है
nirbhik prakash
Dard ki jin gaharayiun ko aap batana chahti hain apni kalam se woh to aapki in taswir ne khub kar diya....
par kahte hain ki kalam ki takat jyada hoti hai to aapke kalam ko sau salam...
VERY EMOTIONAL POETRY
कौन सी खताओं की मुझे रोज सजा देती है,
मुश्किलें डाल के बस मौत का हल देती है ...
Specially these lines really killing the pateince.
"Prabha Dash"
huyee hai der yeh hi sochta hoon kya likhun
likhun mazmoon koi dard ki kavita likhun
hamaaray dil main aatee hain jo baatain jaa likhun
likhun kaisay main tumko kya likhun
tumhain padh kar jo aankhon say baha dariya likhun...................................................
aapka............pardarsh
छीन कर बैठ गयी मेरी मोहब्बत को कभी,
जब भी मिली एक नयी चाल मेरे साथ चली,
मेरी तकदीर से अब तेरा इरादा क्या है??????
bahut hi acchi lines hain seema .....
one thing , i want to know the pain , the cause...
Rakesh Verma
दर्द का सैलाब दिया ,
मेरी आँखों को तुने आंसुओं से तार दिया..
एक बार भी न समझा मुझे भाता क्या है?????
wese to sari hi panktiya acchi hai.. par meri jindagi ke karib si lagi....
kya baat hai....
keep it up...
आदरणीय सीमा जी,
आपकी रचना पढकर प्रसन्नता हुई।
आशा है कि आप रंगकर्मी पर भी अपनी रचनाऐं पोस्ट करती रहेंगी।
आपको रंगकर्मी की सदस्यता का लिंक भेज दिया गया है।
रंगकर्मी परिवार मे आपका स्वागत........
अभिवादन के साथ...
परवेज़ सागर
रंगकर्मी परिवार
जख्म रुह पर देकर मेरे वो
मर्हम जिस्म पर लगाने को कहते है
और वो जो थे कातिल मेरे
मुझे इंसाफ दिलाने को कहते है
...Ravi
छीन कर बैठ गयी मेरी मोहब्बत को कभी,
जब भी मिली एक नयी चाल मेरे साथ चली,
मेरी तकदीर से अब तेरा इरादा क्या है??????
bahut hi sunder badhaiya
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