


आज शिवना प्रकाशन के आदरणीय पंकज सुबीर जी के मार्गदर्शन के तहत "विरह के रंग"के साथ अपने पहले काव्य संग्रह को साकार रूप में देख हर्ष उल्लास और एक बैचनी का अनुभव कर रही हूँ.
" विरह का क्या रंग होता है ये मैं नहीं जानता लेकिन इतना ज़रूर है की है की ये रंगहीन भी नहीं होता और यह रंग ऑंखें नहीं दिल देखती हैं . " सहसा आज एक पाठक की मेरी एक कविता पर लिखी ये पंक्तियाँ मेरे मन मे कौंध गयी.......कितना सत्य है इन शब्दों में ......
"विरह जीवन का एक हिस्सा है एक अटूट हिस्सा जिसका कोई रंग नहीं सिर्फ उसे महसूस किया जाता है और जो पिघल कर एक उन्मुक्त गीत या कविता में ढल जाता है. "विरह का रंग" न जाने कितने मन की आँखों ने देखा होगा उसे जिया होगा, और वही एहसास जैसे लफ्जो से निकल कर कागज़ पर तड़प कर बिखर गये. कभी प्रकति की सुन्दरता ने हाथ में कलम थमा दी और कभी अंधियारी रातो ने एक रौशनी की खातिर दिल की शमा जला दी.
मुझे अपने आप को बहुत ज्यादा तो अभिव्यक्त करना नही आता बस इतना जानती हूँ " ना सुर है ना ताल है बस भाव हैं और जूनून है " लिखने का . और ये जूनून हिंद युग्म और ब्लॉगजगत से जुड़ने के बाद और भी बढ़ गया . ब्लागजगत के माननीय जनों के आशीर्वाद और अपने माता पिता के प्रोत्साहन ने कुछ हट कर भी लिखने को प्रेरित किया जैसे " बंजारा मन" "मन की अभिलाषा " "खाबो के आँगन" "मायाजाल" "फ़िर उसी शाख पर", "शब्दों की वादियाँ" जब कश्ती लेकर उतरोगे ", 'मधुर एहसास , "झील को दर्पण बना"" ये कुछ ऐसे रचनाएँ है जो दुःख दर्द से परे खुले आसमान मे उड़ते निश्च्छल बेपरवाह पक्षी के जैसी हैं....जिनका जन्म आप सब की प्रेरणा से ही हुआ........"अपने से बडो को आदर और छोटो को स्नेह के साथ मै इस ब्लॉगजगत के सभी सदस्यों के प्रति अपना आभार वयक्त करना चाहूंगी .
वरिष्ट कवि तथा सुप्रसिद्ध गीतकार श्रद्धेय श्री रमेश हठीला जी का आभार शब्दों में व्यक्त करना मेरे लिए असंभव है , उन्होंने जिस प्रकार से मेरी कविताओं का भाव पकड़ कर भूमिका लिखी है वो अद्युत है. श्री हठीला जी ने मेरी कविताओं को नये और व्यापक अर्थ प्रदान किये उनकी लेखनी को मेरा प्रणाम. शिवना प्रकाशन की टीम वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय श्री नारायण कासट जी , वरिष्ट कवी श्री हरिओम शर्मा दाऊ जी का आभार जिन्होंने संग्रह के लिए कविताओं के चयन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
आभार युवा डिजाइनर सुरेंद्र ठाकुर जी का जिन्होंने मेरी भावनाओ तथा पुस्तक के शीर्षक विरह के रंग को बहुत अच्छा स्वरूप देकर पुस्तक का आवरण प्रष्ट डिजाइन किया और सनी गोस्वामी जी का जिन्होंने पुस्तक की आन्तरिक साज सज्जा तथा कम्पोजिंग का काम बहुत ही सुन्दरता से किया. आभार मुद्रण की प्रक्रिया से जुड़े श्री सुधीर मालवीय जी था मुद्रक द्रष्टि का भी जिन्होंने मेरी कल्पनाओ को कागज पर साकार किया.
अंत में फिर से आदरणीय पंकज सुबीर जी का बेहद आभार जिनके आर्शीवाद और सहयोग के बिना शायद ये काव्य संग्रह य सपना ही रह जाता.... ये काव्य रचना सिर्फ एक शुरुआत है , और आप सभी के सुझाव और प्रतिक्रिया मेरी आगे की मंजिल के साथी और पथ प्रदर्शक बनेगे.......
वैदेही की तड़प, उर्मिला की पीर, और मांडवी की छटपटाहट : विरह के रंग (काव्य संग्रह), समीक्षा श्री रमेश हठीला मूल्य : 250 रुपये प्रथम संस्करण : 2010 प्रकाशक : शिवना प्रकाशन
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34 comments:
Badhai Seema ji
आपको बहुत बहुत बधाई इस कविता संग्रह के प्रकाशन के लिये.
जल्दी पढ़ना है कैसे भी..:)
बधाई और शुभकामनाएँ.
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हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!
लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.
अनेक शुभकामनाएँ.
बधाई हो
http://chokhat.blogspot.com/
"विरह के रंग" काव्य संग्रह के प्रकाशन पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं.
रामराम.
बहुत बहुत बधायी सीमा जी।
mubarakaan Seema ji.
बहुत बधाई,यह एक सार्थक पहल हैऔर यह तो शुरुआत मात्र है.भविष्य के लिए शुभकामनाएं.
बधाई हो सीमा जी
nice
Many many many Congratulations to you Seema.
This book comes like a sweet surprise to me. It was a long due "act", since the poetry has become the integral part of your life.
Truly a moment of such a refreshing breeze.
May God bless you and give you the strength to write more poems, more books and the strength to reach a highest place - which you certainly deserve.
I wish I could see you now and listen few poems from this book in your voice..
All the best for your future and may God give you all the happiness as you have little short of them lately..
I am extremely happy and You inspire me to do well in my life by setting this great example..
amit
It's really nice to know that your book has been published. i have gone through the links blow nice remarks by Mr. Hathila. i will definately get your book and read it.
I wish that your this book be a great success.
Wish you all the best, may God bless you with all the Happiness & Success that you truly deserve.
vipul
Hearty & special Congratulations on your new book. Was always proud of your achievements inspite of the adversities & now I will be even more proud. Keep writing & enriching yourself & your readers always.
My address is same as earlier
Look forward to recieving the "autographed" copy of your book.
Hope everything is fine at home
Do take care & All the best in whatever you keep doing.
Harsh datar
C/o Bajaj electricals Ltd
departmental stores,
Fountain, Fort,
Mumbai 400001
बधाई हो आपके काव्य प्रकाशन पर।
बहुत बहुत बधाई सीमा जी को उनके काव्य संग्रह "विरह के रंग" प्रकाशन पर। उनके ब्लॉग पर तो उनकी रचनात्मकता के दर्शन होते ही रहते हैं, अब पुस्तक रूप में भी सीमा जी की रचनाओं को पढ़ने का लुफ़्त उठा सकेंगे पाठक। पुन: बधाई !
बधाई स्वीकारें सीमा जी....
मिथुन दा के शब्दों में कहूँ.....??क्या बात....क्या बात.....क्या बात.......!!
मिथुन दा के शब्दों में कहूँ.....??क्या बात....क्या बात.....क्या बात.......!!
बहुत बहुत बधाई सीमा जी ... सुबीर जी से रिकवेस्ट कर के ये पुस्तक मैने भी मंगवा ली है ...
आपकी रचनाएँ यूँ तो बेमिसाल होती ही हैं ... आजकल उनका भरपूर आनद ले रहा हूँ में ....
यूँ कि सीमा जी....आपकी रचनाओं का आस्वादन करते हुए हमन भी इक अरसे से कर रहें हैं....और उचित ही आपने उन्हें विरह का रंग शीर्षक दिया है....आपका विरह जैसे अपना सा ही लगता है.....एक लेखक का अभीष्ट भी तो यही होता है....होता है ना......आपका यह संग्रह सफलताओं के नए आयाम छुए.....इन्ही शुभकामनाओं के संग यह भूतनाथ........!
काव्य संग्रह "विरह के रंग" प्रकाशन पर सीमा जी तहे दिल से बधाई.
ईश्वर करे लेखन का सफ़र यूँ ही आगे बढ़ता रहे.
बहुत बहुत शुभकामनाएं .
Seema ji Namaste. Sab Kuch Appki Hi Mehnnat or Bhavnaye hai Bas thoda Sa Rang Us me Hum Logo ne Bharne Ka Prayash Kiya , Hamari Kosish safal Ho Gaye ......Thanx'x
यह जानकर काफी खुशी हुई कि आपकी पुस्तक प्रकाशित हो गई है। आपको ढेरों शुभकामनाऍं।
सीमा जी,
आपको हार्दिक बधाई. उम्मीद है कि मेरी प्रति पर आपके हस्ताक्षर मिल सकेंगे.
शुभकामनाएं!
कविता संग्रह "विरह के रंग" के
प्रकाशन के लिये आपको बहुत बहुत बधाई
आपको तहे दिल से शुभकामनाऍं।
are meri tippani kahaan gayi...badhaayi vaali....??
बधाईंया व शुभकामनाएं!!
किताब के रूप में रचनाओं का छपकर आना बड़ी महत्वपूर्ण घटना है ,बधाईयाँ
Hello Madam,
Congratulation for getting so much positive review on ur book.
It's really incredible to have this kind of feed back. And it is fine enough to encrough to write another Fantastic edition.
Many Many Congratulation n Best wishes for the future,
Rakesh Kaushik
9268225947
सबसे पहले तो आपके पुस्तक का प्रकाशन पर बधाई स्वीकार करें ! आपको और आगे बढ़ने के लिए शुभकामनायें ! आपकी हर कविता बेहद खुबसूरत और भावनाप्रधान होते हुए भी एक परिपक्व लेखिका होने के सभी गुण दर्शाते हैं !
इस संग्रह के लिये बहुत बहुत बधाई ।
seema ji
aapko is kaavya sanghrah ke liye bahut bahut badhaayi ....
aabhar aapka
vijay
आज आप हमारी नज़र में और ऊँची उठ गईं हैं सीमाजी। बहुत बहुत बधाई है आपको। यह बधाई हम आपकी इस सुन्दर किताब को पूरी तरह पढ़ लेने के बाद ही दे रहे हैं। आपके लिए दुआ है के आप और भी बेहतरीन मुक़ाम हासिल करते चलें। आमीन।
इस संग्रह के लिये बहुत बहुत बधाई
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