@ भाई अनिल पुसदकर जी ! "एक सवाल मेरा भी।रोज़-रोज़ तारीफ़ करने के लिये अलग-अलग शब्द कहां से लायें। सुन्दर,हमेशा की तरह्।"
ये आपकी ही नही हमारी भी समस्या है ! पर एक निवेदन आपसे है की ज्यादा कहना भी जरुरी नही है ! मौन भी बहुत कुछ कह जाता है ! आपकी ( पाठको) उपस्थिति भी शायर/कवि के लिए एक केटेलिक एजेंट की भूमिका निभाती है ! अत: आपकी प्रेजेंस ही बहुत बड़ा संबल है ! और मेरा ऐसा मानना है की शायर/कवि को रचनाधर्मिता निभाने में सबसे उर्वरक यही बात होती है ! आते रहिये और इन छोटे २ नाविक के तीरों का आनंद लेते रहिये ! और वाह वाह शब्द ही आपके आशीर्वाद होंगे ! बहुत धन्यवाद आपको, ऐसे सुंदर जज्बात और व्यक्त करने के लिए ! आपने जो टिपणी लिखी वो एक पाठक के अन्तिम शब्द होते हैं तारीफ़ के लिए !
@ सीमाजी आज आपको सबसे उम्दा टिपणी कहूँ या आपके फन की तारीफ़, अनिल भाई से मिल गई ! आपको बहुत शुभकामनाएं ! इसी तरह लिखती रहिये की तारीफ़ के शब्द कम पड़ जाए !
u envisaged excepetional normal words but frammed in such a manner it creat an imgination of thoughts irrespective of any mood we belong really timelessness created with the photograph ,perfect synchronization regards
@ Respected Tau jee I do agree with your statement and believer that it is not necessary to write a long comment on post, even a single word which show presence of the readed is more than sufficient and work as a effictive tool to encourage writer.
respected Tau jee Anil jee m honoured today with your words of appreciation and again wish to say that ur single word is enough and valuable for me. today i got my Reward and I am on top of the world with your blessings.
today i wanna thanks all my readers who are very much regular on my blog with there blessings wishes suggestions. respected ALL, the credit of my sucess goes to all of you , without you i am nothing.
pyar ke dariya mein aao dubo dein unko, apne guzre huay lamhaat ko amrit de dein; jab bhi sochein usee tarah se zinda kar dein, aur tere lams se lipti huyee aakriti de dein;
सोचा था बस जाऊं रग रग में लहू बनकर ये तमन्ना भी रह गई अधूरी आरजू बनकर अब समझ आया मुझे आशिकी का हुनर दर्द बन के बसा होता तो हर पल मेरा ही नशा होता गुजरा वक्त नही जो वापिस ना आऊंगा मै..तो तेरा तलबगार हूँ और कहाँ जाऊंगा ... ये ही तो कमाल है आपकी शायरी का देखो ना हम भी कुछ टूटा- फूटा लिख बैठे और .........
40 comments:
kya bhav hai is puri poetry me, jo kuch btana chaha wo saaf jhalkta hai.
mindblowing.
Rakesh Kaushik
एक सवाल मेरा भी।रोज़-रोज़ तारीफ़ करने के लिये अलग-अलग शब्द कहां से लायें। सुन्दर,हमेशा की तरह्।
बहुत अच्छा सवाल
waah bahut khoob
बढ़िया।
आने से पहले ही जो गुजर जाए बिन कुछ कहे,
वो रहा ऐसे गुजरे वक्त की एक मिसाल बनके
क्या खूबसूरत बात कही है आपने ! बहुत धन्यवाद !
बहुत सुंदर ! शुभकामनाएं !
जवाब न बना , रहा एक उलझा सा सवाल बनके ,
बहता रहा मुझमे वो हर लम्हा दर्द-ऐ-ख्याल बनके,
आने से पहले ही जो गुजर जाए बिन कुछ कहे,
वो रहा ऐसे गुजरे वक्त की एक मिसाल बनके
bahut sunder ....
bahut sundar kavita ! dhanyavad !
@ भाई अनिल पुसदकर जी ! "एक सवाल मेरा भी।रोज़-रोज़ तारीफ़ करने के लिये अलग-अलग शब्द कहां से लायें। सुन्दर,हमेशा की तरह्।"
ये आपकी ही नही हमारी भी समस्या है ! पर एक निवेदन आपसे है की ज्यादा कहना भी जरुरी नही है ! मौन भी बहुत कुछ कह जाता है ! आपकी ( पाठको) उपस्थिति भी शायर/कवि के लिए एक केटेलिक एजेंट की भूमिका निभाती है ! अत: आपकी प्रेजेंस ही बहुत बड़ा संबल है ! और मेरा ऐसा मानना है की शायर/कवि को रचनाधर्मिता निभाने में सबसे उर्वरक यही बात होती है ! आते रहिये और इन छोटे २ नाविक के तीरों का आनंद लेते रहिये !
और वाह वाह शब्द ही आपके आशीर्वाद होंगे ! बहुत धन्यवाद आपको, ऐसे सुंदर जज्बात और व्यक्त करने के लिए ! आपने जो टिपणी लिखी वो एक पाठक के अन्तिम शब्द होते हैं तारीफ़ के लिए !
@ सीमाजी आज आपको सबसे उम्दा टिपणी कहूँ या आपके फन की तारीफ़, अनिल भाई से मिल गई ! आपको बहुत शुभकामनाएं ! इसी तरह लिखती रहिये की तारीफ़ के शब्द कम पड़ जाए !
wah wah....bahut khoob likha hain seema aapne.....lage raho
sriyut anil ji ne sabhi prashansakon ke muh ki baat kah di, ab isse dyada kya kaha jaye
आने से पहले ही जो गुजर जाए बिन कुछ कहे,
वो रहा ऐसे गुजरे वक्त की एक मिसाल बनके.
mishaal banake gujarana
bemishaal kimati baat hai .
bahut badhiya.
जवाब न बना , रहा एक उलझा सा सवाल बनके ,
बहता रहा मुझमे वो हर लम्हा दर्द-ऐ-ख्याल बनके,
आने से पहले ही जो गुजर जाए बिन कुछ कहे,
वो रहा ऐसे गुजरे वक्त की एक मिसाल बनके
u envisaged excepetional normal words but frammed in such a manner
it creat an imgination of thoughts
irrespective of any mood we belong
really timelessness created with the photograph ,perfect synchronization
regards
जवाब न बना , रहा एक उलझा सा सवाल बनके ,
बहता रहा मुझमे वो हर लम्हा दर्द-ऐ-ख्याल बनके,
very good keep it up
बहुत ही सुन्दर,
धन्यवाद
बहुत अच्छा सवाल
man ko choo lene vali.
कुछ शब्दों से ही आप कितनी सुंदर रचना पेश कर देती हैं...हैरानी होती है...बहुत ही शानदार...
नीरज
Itnee sunder, intnee pyaaree, itnee saaree batain hain !
tabhee to itne saare blogger aapse milne aate hain !!
----aapka
bahot khub sawal hai umda bat puchi hai aapne....
regards
Bahut badiya.
सवाल अच्छा है। इसका जबाब क्या होगा?
@ Respected Tau jee I do agree with your statement and believer that it is not necessary to write a long comment on post, even a single word which show presence of the readed is more than sufficient and work as a effictive tool to encourage writer.
respected Tau jee Anil jee m honoured today with your words of appreciation and again wish to say that ur single word is enough and valuable for me. today i got my Reward and I am on top of the world with your blessings.
today i wanna thanks all my readers who are very much regular on my blog with there blessings wishes suggestions. respected ALL, the credit of my sucess goes to all of you , without you i am nothing.
With regards
seema
जवाब न बना , रहा एक उलझा सा सवाल बनके ,
बहता रहा मुझमे वो हर लम्हा दर्द-ऐ-ख्याल बनके,
shayad kuch aise hi zindgi hai
sawal mein jhulti hui
aap hamesha hi bhaut achha likhti hai
ना जीने ही देता है, ना मरने ही देता है...
जल रहा है सीने में मशाल बन के...
बहुत खूबसूरत...
चंद लफ्ज़... और समुंदर से गहरी बात, तलवार से ज्यादा घाव...
dard e khayaal sa ek sawaal
jo ban gayaa jindagi men misaal
kar gayaa chup rah ke kamaal
likhi jo aapne vo hai ek dhamaal
खूब अच्छा है। आपका ब्लाग सब्से अलग टाईप का है। और खूब रोचक भी है।
लगता है की कीसी वेब डीजाईनर ने बनाया हो।
pyar ke dariya mein aao dubo dein unko,
apne guzre huay lamhaat ko amrit de dein;
jab bhi sochein usee tarah se zinda kar dein,
aur tere lams se lipti huyee aakriti de dein;
वाह सीमा जी,
अद्भुत शब्द संयोजन,,,,,
बधाई....................
dil ke sukun ke liye yaden sabse good sathi hain waise kaha ye bhee jata hai ki" biti taye bisar de aage ki sudh le"
वह, क्या बात है................
सोचा था बस जाऊं
रग रग में लहू बनकर
ये तमन्ना भी रह गई
अधूरी आरजू बनकर
अब समझ आया मुझे
आशिकी का हुनर
दर्द बन के बसा होता
तो हर पल मेरा ही नशा होता
गुजरा वक्त नही
जो वापिस ना आऊंगा
मै..तो तेरा तलबगार हूँ
और कहाँ जाऊंगा ...
ये ही तो कमाल है आपकी शायरी का देखो ना हम भी कुछ टूटा- फूटा लिख बैठे
और .........
कुछ बातों के जबाब होते नहीं हमारे मन में,
क्योकि जबाब ही आते है मन में सवाल बन के.......गौरतलब
""दर्द -ऐ -ख्याल बनके"" की जगह ""दर्द ""बनके
वो रहा ऐसे गुजरे वक्त की एक मिसाल बनके!
excellent expression !
pahle kavita padhi
or fir comments..
aage kuch kahne layak nahi bacha.
thanks.
bahut badhiya. bhav bahut khubsurat hai apke har nagmo ke. apka blog b bahut sundar hai
har bar ki trha badhiyan
sach akhe to iske agee kuch kaha hi nhi jata
उलझे सवालों की सही फोटो लगायी है आपने..सच !!
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