4/12/2010

"मुझको पुकारे "


"मुझको पुकारे"

झिलमिलाते दूर तक उजले सितारे
और चाँद का आंचल थाम के देखो
चल रहे नदिया के किनारे
पत्तो की खन खन कुछ कहना चाहे
अलसाई पवन ले जब दरख्तों के सहारे
और रात की बाँहों में मचले हैं देखो
जगमगाते जुगनू ये सारे
धुन्धले से साये अनजानी राहे
कुछ गुनगुनाते ये अधभुत नजारे
और दूर गगन में चुपके से देखो
आहट किसी की "मुझको पुकारे"
झिलमिलाते दूर तक उजले सितारे
और चाँद का आंचल थाम के देखो
चल रहे नदिया के किनारे