8/31/2009

"याद तो फिर भी आओगे "


"याद तो फिर भी आओगे "

ह्रदय के जल थल पर अंकित
बस चित्र धूमिल कर जाओगे
याद तो फिर भी आओगे

हंसना रोना कोई गीत पुराना
सुर सरगम का साज बजाना
शब्द ताल ले जाओगे
याद तो फिर भी आओगे
सुनी राहे, दिल थाम के चलना
साथ बिताये पलो का छलना
सब खाली कर जाओगे
याद तो फिर भी आओगे

कांधे पर सर और स्पर्श का घेरा
रात के मुख पर चाँद का सेहरा
तुम विराना कर जाओगे
याद तो फिर भी आओगे


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8/17/2009

जब कश्ती लेकर उतरोगे


"जब कश्ती लेकर उतरोगे "

झील के कोरे दामन पे,

चन्दा की उजली किरणों से

चाहत का अंश है मैंने लिख डाला

थाम के ऊँगली प्रियतम की

दुनिया की नज़रों से छुप कर

मुझे नभ के पार है उड़ जाना

तारो को झोली में भर कर

तेरे प्यार के बहते सागर में

दूर तलक है तर जाना

जब कश्ती लेकर उतरोगे

तुम झील के गहरे पानी में

इन उठती गिरती लहरों को

चुपके से अधरों से छु जाना

8/03/2009

"अंतर्मन"

"अंतर्मन"

अंतर्मन की ,

विवश व्यथित वेदनाएं

धूमिल हुई तुम्हे

भुलाने की सब चेष्टाएँ,

मौन ने फिर खंगाला

बीते लम्हों के अवशेषों को

खोज लाया

कुछ छलावे शब्दों के,

अश्कों पे टिकी ख्वाबों की नींव,

कुंठित हुए वादों का द्वंद ,

सुधबुध खोई अनुभूतियाँ ,

भ्रम के द्वार पर

पहरा देती सिसकियाँ..

आश्वासन की छटपटाहट

"और"

सजा दिए मानसपट की सतह पर

फ़िर विवश व्यथित वेदनाएं

धूमिल हुई तुम्हे

भुलाने की सब चेष्टाएँ,