राह पे टकटकी लगाये ..
अपने उदास आंचल मे
सीली हवा के झोकें ,
धूप मे सीके कुछ पल ,
सूरज की मद्धम पडती किरणे,
रंग बदलते नभ की लाली ,
सूनेपन का कोहरा ,
मौन की बदहवासी ,
तृष्णा की व्याकुलता,
अलसाई पडती सांसों से ..
उल्जती खीजती ,
तेरे आहट की उम्मीद ,
समेटे एक शाम और ढली ....
32 comments:
शाम ढली। बेचारी थी बड़ी भली। :)
सुन्दर पोस्ट!
Seemaji,
Ek Sham aur dhali..bahut sundar panktiyan han.padhne se lagta ha ki shbdon se khelne kee kala men aap mahir han.Bhavnaen koi bhee hon unhen shbdon men bandhna ap bakhoobee jantee han.aise hee likhtee rahiye.
Hemant Kumar
सीली हवा के झोकें ,
धुप मे सिके कुछ पल ,
सूरज की मद्धम पड़ती किरणें,
रंग बदलते नभ की लाली ,
-वाह, बहुत खूब बात कही..कैसे कैसे शाम ढली!!
एक शाम और ढली ....
खूबसूरत शब्द संयोजन, शीर्षक के अनुरूप
एक एक शब्द मोती की तरह इस रचना में पिरोया गया है !
लाजवाब ! शुभकामनाएं !
सुन्दर पोस्ट, हमेशा की तरह.
WoW
This is You, at your BEST
(I thought sitting on a evening-beach & happening all this to me)
एक एक शब्द मोती की तरह इस रचना में पिरोया गया है खूबसूरत शब्द संयोजन,लाजवाब,हमेशा की तरह सुन्दर.
Rakesh Kaushik
वाह बहुत खूब लिखा है आपने.
नमस्कार, कैसी हैं आप? उम्मीद है की आप स्वस्थ एवं कुशल होंगे.
मैं कुछ दिनों के लिए गोवा गया हुआ था, इसलिए कुछ समय के लिए ब्लाग जगत से कट गया था. आब नियामत रूप से आता रहूँगा.
सुंदर भाव अभिव्यक्ति!बधाई!
Seema,
arsay se inteazaar ko bardasht kar gaye...
naa jane kis ummeed pe aaye they tere paas...
dil ka sukoon jee ka sahara tha tere paas...
llekin..
phir se udas kar gayee baatein teri hamein..
aur shaam leke aayi andhere hamaare paas..
yaadon ki shammein phir se jagaane lugee humein
good composition
regards
इस शाम का दर्द नज़र आता है...
सुंदर
---मीत
तेरे आहट की उम्मीद ,
समेटे एक शाम और ढली ..
bahut khoob......
एक शाम और ढली. अहा ! कितनी रूहानियत से व्यक्त कर दी आपने भावनाएँ सीमाजी.
काश ये शाम ढलने के बजाय खिल जाए !
बहुत ही सुंदर रचना है लाजवाब
rachna hamesha ki tarah sundar, lekin kahin-kahin maatraon me trutian hain, jinhen sudhar den to aur bhi acchcha ho, mujhe lagta hai ki yeh galtian sambhavt: kisi hindi tool ke kaaran hain, kripya ise theek awashya karen.
bahut hi sunder bhaw
ati sunder rachna hai
badhiyan
सुन्दरतम !आपमें बैठे शायर को नमन ! धन्यवाद !
आपकी कविता में मोहब्बत की रूमानियत और जमाने की आपाधापी दोनों को बडी खूबसूरती से सजा दिया गया है। बधाई।
ढलती शाम का सुन्दर चित्रण।
sundar..atisundar....
ur poem and ur selected picture....very goood.........
आप तो एक शाम गिन ले रही हैं। यहां मोनोटोनी में हफ्ते दर हफ्ते निकल जाते हैं! :(
मुझे इसमे भी आशा की किरणे दीख रही हैं -भवितव्यता से मिलन की एक बेकसी !
सीमाजी कौन कौन से शब्द की तारीफ करूं कविता तो दूर की बात है बस यही कहूंगा
चांद को निहार रहा है चकोर
जाए कैसे
रास्ता है कठोर
बस दीदार कर लिया
पा लिया उसे
हो गया भाव भिवोर
ढलती हुई शाम का अति उत्तम चित्रण।
राह पे टकटकी लगाये ..
अपने उदास आंचल मे
सिली हवा के झोकें ,
धुप मे सीके कुछ पल ,
सुंदर भाव अभिव्यक्ति!
"एक शाम और ढली"
ye line hi bahot hai puri kavita ko kahane ke liye ,.... bahot hi badhiya kavita likha hai aapne ... dhero badhai apko...
seema jee evening dalegi tabhee to savera hoga. kaha gya hai " koi aisi rat nahi hai jiska hota nahi savera" narayan narayan
सीमा जी....राह पे टकटकी लगाये ..आंके पत्थरा जाती है कई बार, कई बार.
आप की कविता बहुत ही सिली सिली सी लगी ,जेसे कोई इन्तजार मै आंखे बिछाये बेठा हो.
धन्यवाद
तृष्णा की व्याकुलता,
अलसाई पडती सांसों से ..
उल्जती खीजती ,
तेरे आहट की उम्मीद ,
समेटे एक शाम और ढली ....
हमेशा की तरह सुंदर
aur subah phir aayegi.......!!
बहुत ही हृदय स्पर्शी रचना
एक शाम और ढली .....लेकिन सूर्य
फिर से उग आया है देखो न ...
आपके शब्द शिल्प का कमाल .....एक एक पंक्ति ऐसे लगती मानो सुमित्रानंदन पन्त,या जय शंकर प्रसाद जी की रचनाओं को पढ़ रहे हो.
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