एक दिन हम सब सिर्फ़ और सिर्फ़ हिन्दी ब्लॉग पर अपना सम्मिलित आक्रोश व्यक्त करे
आज टिपण्णी नहीं साथ चाहिये । इस चित्र को अपने ब्लॉग पोस्ट मे डाले और साथ दे । एक दिन हम सब सिर्फ़ और सिर्फ़ हिन्दी ब्लॉग पर अपना सम्मिलित आक्रोश व्यक्त करे । चित्र आभार
ये चित्र लगा कर हम अपनी एक जुटता का परिचय दे रहे हैं , ये शोक हैं आक्रोश हैं , हम एक जुट होगे तभी बदल सकेगे chitr lagaa kar baat ko aagey badhaa aapne jarurrii thaa
सीमा जी, आपका आग्रह कि " एक दिन हम सब सिर्फ़ और सिर्फ़ हिन्दी ब्लॉग पर अपना सम्मिलित आक्रोश व्यक्त करे ।" से क्या होगा? प्रधान मंत्री ने अभी तीन दिन पूर्व ही कहा था कि हम आतंकवाद को और अधिक बर्दाश्त नही कर सकते कि ये हादसा हुवा ही नही बल्कि चौबीस घंटे बीत जाने के बाद भी बदस्तूर जारी है. हमारे देश के नेता सिर्फ़ आश्वाशन देने, भाषण देने में ही विश्वास रखते हैं, शायद जिम्मेदारी नही लेना चाहते. आज कहाँ मिलते है वो "लाल बहादुर शास्त्री" जी सरीखे व्यक्तित्व, १. जो रेल दुर्घटना की जिम्मेदारी किसे और पर डालने से बेहतर ख़ुद इस्तीफा देने की हिम्मत रखते थे, २. पाकिस्तान ने गलती की तो उसे सबक सिखाने में सेना के साथ तन -मन से एक होकर सन पैसठ के युद्ध में वह कर के दिखा दिया जो कहते आए.
आज हमारे देश के नेता कोर्ट के आदेश के बावजूद संसद कांड के मुख्य अपराधी अफज़ल गुरू को फांसी देने की हिम्मत नही जुटा पा रहे हैं तो किस मुंह से देश के नागरिको से शान्ति संयम रखने की अपील करते हुवे दोषियों को न बख्सने की बात कहते है.
हमारे देश में अभी तक तो आतंकवाद बम कांड के रूप में ही सामने आता रहा है, और चाँद मिनटों या घंटे भर की दहशत फैला कर गुजर गया पर प्रथम बार गोली कांड के रूप में यह सामने आया है और वह भी चौबीस घंटे बीत जाने के बाद नियंत्रण में न तो आ पा रहा है और न ही आतंकवादी पकड़े जा सके हैं , जो स्वयं में उनके पास भरी मात्र में विस्फोटक होने की बात को और पुख्ता करते हैं. हमारा आक्रोश मौन में नही विद्रोह में विश्वाश रखता है, हमारा आक्रोश आश्वाशन में नही तुंरत परिणाम में विश्वाश रखता है, हमारा आक्रोश सहने में नही ग़लत के विध्वंस में विश्वास रखता है हमारा आक्रोश मानवता नही आतंकी के विध्वंस में विश्वास रखता है हमारा आक्रोश अच्छा दिखने में नही कडुवे सच को उजागर करने में विश्वास रखता है .............................
आशा है आप भी मौन को तोड़ हिन्दुस्तानी कौम की आवाज़ बन कर आवाज़ को और गुंजायमान कर अनुग्रहीत करेंगी. जय भारत, जय भारती चन्द्र मोहन गुप्त
हार्दिक श्रद्धांजली मेरे उन शहीद भाईयो के लिये जो हमारी ओर हमारे देश की आबरु की रक्षा करते शहीद हो गये।लेकिन मन मै नफ़रत ओर गुस्सा अपनी निकाम्मी सरकार के लिये
अपनी एक जुटता का परिचय दे रहा हैं हिन्दी ब्लॉग समाज । आप भी इस चित्र को डाले और अपने आक्रोश को व्यक्त करे । ये चित्र हमारे शोक का नहीं हमारे आक्रोश का प्रतीक हैं । आप भी साथ दे । जितने ब्लॉग पर हो सके इस चित्र को लगाए । ये चित्र हमारी कमजोरी का नहीं , हमारे विलाप का नहीं हमारे क्रोध और आक्रोश का प्रतीक हैं । आईये अपने तिरंगे को भी याद करे और याद रखे की देश हमारा हैं ।
क्या किसी को सुनाई नही पढ़ता.. क्या दोष था मेरा .... क्या दोष था इन जीवित आत्माओं का ... अगर नही, तो फ़िर दोषी कौन.... दोषी कौन, दोषी कौन, दोषी कौन?????
14 comments:
अनुकरणीय कृत्य ! आपकी बात का समर्थन करने का सबसे आग्रह !
ये चित्र लगा कर हम अपनी एक जुटता का परिचय दे रहे हैं , ये शोक हैं आक्रोश हैं , हम एक जुट होगे तभी बदल सकेगे
chitr lagaa kar baat ko aagey badhaa aapne jarurrii thaa
सीमा जी,
आपका आग्रह कि
" एक दिन हम सब सिर्फ़ और सिर्फ़ हिन्दी ब्लॉग पर अपना सम्मिलित आक्रोश व्यक्त करे ।"
से क्या होगा?
प्रधान मंत्री ने अभी तीन दिन पूर्व ही कहा था कि हम आतंकवाद को और अधिक बर्दाश्त नही कर सकते कि ये हादसा हुवा ही नही बल्कि चौबीस घंटे बीत जाने के बाद भी बदस्तूर जारी है.
हमारे देश के नेता सिर्फ़ आश्वाशन देने, भाषण देने में ही विश्वास रखते हैं, शायद जिम्मेदारी नही लेना चाहते.
आज कहाँ मिलते है वो "लाल बहादुर शास्त्री" जी सरीखे व्यक्तित्व,
१. जो रेल दुर्घटना की जिम्मेदारी किसे और पर डालने से बेहतर ख़ुद इस्तीफा देने की हिम्मत रखते थे,
२. पाकिस्तान ने गलती की तो उसे सबक सिखाने में सेना के साथ तन -मन से एक होकर सन पैसठ के युद्ध में वह कर के दिखा दिया जो कहते आए.
आज हमारे देश के नेता कोर्ट के आदेश के बावजूद संसद कांड के मुख्य अपराधी अफज़ल गुरू को फांसी देने की हिम्मत नही जुटा पा रहे हैं तो किस मुंह से देश के नागरिको से शान्ति संयम रखने की अपील करते हुवे दोषियों को न बख्सने की बात कहते है.
हमारे देश में अभी तक तो आतंकवाद बम कांड के रूप में ही सामने आता रहा है, और चाँद मिनटों या घंटे भर की दहशत फैला कर गुजर गया पर प्रथम बार गोली कांड के रूप में यह सामने आया है और वह भी चौबीस घंटे बीत जाने के बाद नियंत्रण में न तो आ पा रहा है और न ही आतंकवादी पकड़े जा सके हैं , जो स्वयं में उनके पास भरी मात्र में विस्फोटक होने की बात को और पुख्ता करते हैं.
हमारा आक्रोश मौन में नही विद्रोह में विश्वाश रखता है,
हमारा आक्रोश आश्वाशन में नही तुंरत परिणाम में विश्वाश रखता है,
हमारा आक्रोश सहने में नही ग़लत के विध्वंस में विश्वास रखता है
हमारा आक्रोश मानवता नही आतंकी के विध्वंस में विश्वास रखता है
हमारा आक्रोश अच्छा दिखने में नही कडुवे सच को उजागर करने में विश्वास रखता है .............................
आशा है आप भी मौन को तोड़ हिन्दुस्तानी कौम की आवाज़ बन कर आवाज़ को और गुंजायमान कर अनुग्रहीत करेंगी.
जय भारत, जय भारती
चन्द्र मोहन गुप्त
हार्दिक श्रद्धांजली मेरे उन शहीद भाईयो के लिये जो हमारी ओर हमारे देश की आबरु की रक्षा करते शहीद हो गये।लेकिन मन मै नफ़रत ओर गुस्सा अपनी निकाम्मी सरकार के लिये
सचमुच बहुत दुखी हूँ -कुछ न कर पाने का आक्रोश ,उससे उत्पन्न क्लैव्यता और हताशा ने किंकर्तव्यविमूढ सा कर दिया है !
meri shardhanjali to un netaon ke liye jo jinda bhee mare huye ke saman hai. narayan narayan
ईश्वर मारे गए लोगों की आत्मा को शान्ति प्रदान करें . उनके परिजनों को दु:ख सहने की ताकत दें .
ॐ शान्तिः।
कोई शब्द नहीं हैं...।
बस...।
अपनी एक जुटता का परिचय दे रहा हैं हिन्दी ब्लॉग समाज । आप भी इस चित्र को डाले और अपने आक्रोश को व्यक्त करे । ये चित्र हमारे शोक का नहीं हमारे आक्रोश का प्रतीक हैं । आप भी साथ दे । जितने ब्लॉग पर हो सके इस चित्र को लगाए । ये चित्र हमारी कमजोरी का नहीं , हमारे विलाप का नहीं हमारे क्रोध और आक्रोश का प्रतीक हैं । आईये अपने तिरंगे को भी याद करे और याद रखे की देश हमारा हैं ।
क्या किसी को सुनाई नही पढ़ता..
क्या दोष था मेरा ....
क्या दोष था इन जीवित आत्माओं का ...
अगर नही, तो फ़िर दोषी कौन....
दोषी कौन, दोषी कौन, दोषी कौन?????
jo tatstha he
आग्रह
" एक दिन हम सब सिर्फ़ और सिर्फ़ हिन्दी ब्लॉग पर अपना सम्मिलित आक्रोश व्यक्त करे ।"
ageed, i have posted my thaughts
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वरस मेले
वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा
सत्यमेव जयते
वन्दे मातरम
जय हिन्द
जय भारत
हर हर महादेव
anukarniya prayas. hum sab aap ke sath hai , maine bhi apne blog me aapka anukarn kiya hai .
हम सब का दुःख और आक्रोश एक सा है ....सीमा जी आपका ये प्रयास सराहनीय है एक भारतीय होने का आपने फ़र्ज़ निभाया है हम सब आपके साथ है
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