11/18/2008

"तुम्हारी बाट मे"




"तुम्हारी बाट मे"

अंधियारे की चादर पे,
छिटकी कोरी चांदनी ..
सन्नाटे मे दिल की धडकन ,
मर्म मे डूबे सितारों का
न्रत्य और ग़ज़ल...
झुलसती ख्वाइशों की
मुंदती हुई पलक ..
मोहब्बत की सांसों की,
आखरी नाकाम हलचल..
पिघलते ह्रदय का
करुण खामोश रुदन..
ये सब तुम्हारी बाट मे,
इक हिचकी बन अटके हैं..
अगर एक पल को तुम आते
इन सब को सांसों के कर्ज से...
निज़ात दिला जाते...

36 comments:

makrand said...

ये सब तुम्हारी बाट मे,

इक हिचकी बन अटके हैं..
अगर एक पल को तुम आते
इन सब को सांसों के कर्ज से...
निज़ात दिला जाते...

good composition
regards

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

again WAH, aaj rulane ka irada hai

Anonymous said...

Good depiction of 'Birah'.
Mano ki "Viyog Rass" ki barish ho rahi ho..

Aur tumhari images itni achhi hoti he na, ki bass poochho matt. Lati kahan se itni sari aur achhi achhi images??

!!अक्षय-मन!! said...

bahut marmik rachna hai ye......
itni bebasi maine pheli baar dekhi hai.......

मीत said...

अगर एक पल को तुम आते
इन सब को सांसों के कर्ज से...
निज़ात दिला जाते...

Anonymous said...

इक हिचकी बन अटके हैं..
अगर एक पल को तुम आते
इन सब को सांसों के कर्ज से...
निज़ात दिला जाते...

waah kya sundar baat kahi bahut khub

Anil Pusadkar said...

बहुत सुन्दर.

ताऊ रामपुरिया said...

इन सब को सांसों के कर्ज से...
निज़ात दिला जाते...

लाजवाब रचना ! शुभकामनाएं !

डॉ .अनुराग said...

अगर एक पल को तुम आते
इन सब को सांसों के कर्ज से...
निज़ात दिला जाते...

aakhiri line hi panch line hai.

दीपक "तिवारी साहब" said...

बेहद सुंदर रचना !

भूतनाथ said...

जवाब नही ! बहुत खूब कहा आपने ! धन्यवाद !

Vinay said...

ऐसे हालात से नजात ही तो मुश्किल है, कुछ सहल रह कहाँ जाता है!

gsbisht said...

ये सब तुम्हारी बाट मे,
इक हिचकी बन अटके हैं..
अगर एक पल को तुम आते
इन सब को सांसों के कर्ज से...
निज़ात दिला जाते...

बेहतरीन रचना !!

बवाल said...

आजकल मुल्क में एक अलग किस्म का अकाल पड़ चला है, मेरे ब्लॉगर दोस्तों जानते हो आप सब ?
मोहतरमा सीमाजी की शानदार, उम्दा और बेशक़ीमती पेशकशों पर टिप्पणियाँ करने के लिए अल्फ़ाज़ों का !
मेरे पास तो हैं नहीं सो बधाइयाँ और शुभकामनाएँ देकर जा रहा हूँ. हा हा हा !

"अर्श" said...

मोहब्बत की सांसों की,

आखरी नाकाम हलचल..

पिघलते ह्रदय का

करुण खामोश रुदन..

ये सब तुम्हारी बाट मे,

बहोत खूब लिखा आपने वह मज़ा आगया बहोत ही सुन्दर भावः भरा हुआ ...

मोहन वशिष्‍ठ said...

अंधियारे की चादर पे,

छिटकी कोरी चांदनी ..
सन्नाटे मे दिल की धडकन ,

मर्म मे डूबे सितारों का
न्रत्य और ग़ज़ल...


बहुत खूब सीमा जी

Anonymous said...

Seema,
Aakhir rula diya na...........itnee mayoosi to naheen acchi lagtee ......agar intezaar hai ..........to ummeed bhi hai............aur ummeed ka daaman mat chodna

कुन्नू सिंह said...

बहुत बढीया कविता।

"अगर एक पल को तुम आते
इन सब को सांसों के कर्ज से
निज़ात दिला जाते"

बहुत अच्छा लगा।

Anonymous said...

Seema,

Ghalib ne kaha thaa:
nuktaacheeN hai GHam-e-dil usko sunaaye na bane
kya bane baat jahaaN baat banaaye na bane

[ nuktaacheeN = critic/sweetheart ]

2. maiN bulaata to hooN usko magar 'ei jazba-e-dil
uspe ban jaaye kuchch 'eisee ki bin aaye na bane

3. khel samjha hai kaheeN choD na de, bhool na jaay
kaash ! yooN bhee ho ki bin mere sataaye na bane

4. GHair firta hai liye yooN tere KHat ko ki agar
koee pooche ki yeh kya hai ? to chipaaye na bane

5. is nazaakat ka bura ho, woh bhale haiN to kya
haaNth aaye to unhaiN haaNth lagaaye na bane

[ nazaakat = elegance ]

6. keh sake kaun ki yeh jalwaa_garee kiskee hai
parda choDa hai woh usne ki uTHaaye na bane

[ jalwaa_garee = manifestation ]

7. maut kee raah na dekhooN ki bin aaye na rahe
tumko chaahooN ki na aao, to bulaaye na bane

8. bojh woh sar pe gira hai ki uTHaaye na uTHe
kaam woh aan paDa hai, ki banaaye na bane

9. ishq par zor naheeN, hai ye woh aatish 'GHalib'
ki lagaaye na lage aur bujhaaye na bane

[ aatish = fire ]

सचिन मिश्रा said...

Bahut khub

Gyan Dutt Pandey said...

यह तो लम्बी प्रतीक्षा का विषय है और जब वह प्रतीक्षा समाप्त होती है, तब शायद कर्ज या कविता याद नहीं आती।
बहुत सुन्दर लिखा जी।

Reetika said...

bahut behtareen likha hai..... umda...

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

aisi nijat milti to le naa lete.kalyan ho, narayan narayan

Anonymous said...

सुन्दर। हमें तो बबाल भाई की पार्टी का समझा जाये। तारीफ़ के लिये शब्द की कमी। बेहतरीन!

राज भाटिय़ा said...

अगर एक पल को तुम आते
इन सब को सांसों के कर्ज से...
निज़ात दिला जाते...
बहुत खुब
धन्यवाद

अनुपम अग्रवाल said...

मुंदती हुई पलक ..
मोहब्बत की सांसों की,
आखरी नाकाम हलचल....
सांसों के कर्ज से...
निज़ात दिलाने को
तुम आते एक पल....

नीरज गोस्वामी said...

लाजवाब...बेहतरीन...बेमिसाल...
नीरज

महावीर said...

अगर एक पल को तुम आते
इन सब को सांसों के कर्ज से...
निज़ात दिला जाते...
ख़ूबसूरत रचना है।

Alpana Verma said...

ये सब तुम्हारी बाट मे,
इक हिचकी बन अटके हैं..


kya baat hai Seema ji..

aur ye marble ki murt ki tasweer mujhey mughle aazm ki madhubaala ki yaad dila rahi hai

Pramod Kumar Kush 'tanha' said...

behtareen nazm...behtareen jazbaat

jamos jhalla said...

Mohtarmaa jeevan ek Doaashiyaanaa hai iske ek kamre main milan aur doosre main judaai hai in dono main ek baareek si deewar hai.Milan ke liye talaashe alfaaz agar lips par hi reh jaayen to yeh moti hoti jaati hai .Alfaazon ko jubaan dene se deewar khud bakhud toot jaati hai .isi liye alfaazon ko jubaan denaa hi daanish mandi hagi .saraahniye prastuti ke liye sadhuvaad.

अविनाश said...

ये सब तुम्हारी बाट मे,
इक हिचकी बन अटके हैं..
अगर एक पल को तुम आते
इन सब को सांसों के कर्ज से...
निज़ात दिला जाते...
Rulane ka irada rakhte hai aap?

बवाल said...

Thoroughly beautiful post Seemajee. You are beyond comparision. Congs.

Mukesh Garg said...

atii sunder,

subhkamnye

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

baat nihaare ghanshyaam....nainaa neer bhare....baaware hue din-rain...nainaa neer bhare...

अभिन्न said...

अगर एक पल को तुम आते
इन सब को सांसों के कर्ज से...
निज़ात दिला जाते...

very touching.....
very emotional....
.....................its poetry of heart