दिन को परेशान , रात को हैरान किया करते हैं,
नियाजमन्द ख़ुद ही ख़ुद पे बेदाद किया करते हैं..
नियामते-दुनिया होती है नागवार - तबियत उनकी,
तसव्वुर से ही गुफ्तगू बार बार किया करते हैं...
खूने- जिगर से लिखे जातें हैं अल्फाज इश्क के,
दागे- जुनू मे हर साँस को बीमार किया करते हैं...
(नियाजमन्द- प्रेमी )
(बेदाद- अत्याचार )
(नियामते-दुनिया - विश्व की अमूल्य वस्तु )
(नागवार- मन को ना भाने वाली )
(तसव्वुर- कल्पना )
(दागे- जुनू- पागलपन के दाग
31 comments:
बहुत सुंदर-
खूने- जिगर से लिखे जातें हैं अल्फाज इश्क के,
दागे- जुनू मे हर साँस को बीमार किया करते हैं...
Seema,
khoobsorat ghazal jhalaktee hai "premi " ke peeche
premiyon ke yehi etwaar hua karte hain
wo jo bus pyaar kabhi pyaar naheen karta hai
usko hum pyar hi bus pyar kiya karte hain
pahle to tarke muhabbat se mujhay maar diya
is janam mein bhi wo beemnaar kiya karte hain
hum ko bhee aik bahaana hai muyassar aaya
dil pe jo guzree hai izhaar kiya karte hain
बेहद उम्दा...
खूने- जिगर से लिखे जातें हैं अल्फाज इश्क के,
दागे- जुनू मे हर साँस को बीमार किया करते हैं...
Om Shanti, Sundar Hai.
बहुत सुंदर.
नियामते-दुनिया होती है नागवार - तबियत उनकी,
तसव्वुर से ही गुफ्तगू बार बार किया करते हैं...
बहुत खूबसूरत ! शुभकामनाएं !
wah seema jee wah aapke andar ke jajbaton kee thah nahin, har lafj bhavpuran,har bat sukhad ahsas
narayan narayan
दिन को परेशान , रात को हैरान किया करते हैं,
नियाजमन्द ख़ुद ही ख़ुद पे बेदाद किया करते हैं..
बहुत खूब !
Seema,
tasweeron ka jawab naheen hai. very romantic very fitting to what you said in poetry. your sense of art nad your sensitivity to subtle emotions is appreciable.
I am your admirer.
खूने- जिगर से लिखे जातें हैं अल्फाज इश्क के,
दागे- जुनू मे हर साँस को बीमार किया करते हैं...
बहुत बेहतरीन !
खूने- जिगर से लिखे जातें हैं अल्फाज इश्क के,
दागे- जुनू मे हर साँस को बीमार किया करते हैं...
यही तो है नियाजमंदों का सच!!!
शानदार!!!!
दिन को परेशान , रात को हैरान किया करते हैं,
नियाजमन्द ख़ुद ही ख़ुद पे बेदाद किया करते हैं..
नियामते-दुनिया होती है नागवार - तबियत उनकी,
तसव्वुर से ही गुफ्तगू बार बार किया करते हैं...
बहुत बेहतरीन !
नियामते-दुनिया होती है नागवार - तबियत उनकी,
तसव्वुर से ही गुफ्तगू बार बार किया करते हैं...
बहोत सुन्दर सीमा जी .. बहोत बढ़िया अल्फाज़ से पिरोया है आपने इसे .. सुन्दर रचना के लिए आपको ढेरो बधाई ...
अर्श
wah it's fantastic composition or words
i love it
Rakesh Kaushik
सुन्दर... सीमा जी.बधाई
रेनोल्ड्स पेन के जमाने में खूने दिल से इश्क के अल्फ़ाज लिखे जा रहे हैं। वाह वाह! बहुत खूब!
बेशक
भावनाऒं का ही दूसरा नाम कविता है
सही व पठनीय
दिन को परेशान, रात को हैरान किया करते हैं,
नियाजमन्द ख़ुद ही ख़ुद पे बेदाद किया करते हैं.
बहुत खूब!
"प्यार कोई व्योपार नहीं,
किसी की जीत या हार नहीं,
प्यार तो बस प्यार ही है,
रहमो करम का वार नहीं"
क्या बात है .सीमा जी बहुत खूब ,त्रिप्तिदायी है आप की रचना ................................
अरे प्रेमी तो खुद ही घायल होता है, ओर वह खुद ही हेरान परेशान होता है किसी को क्या परेशान करेगा.
धन्यवाद एक सुन्दर गजल के लिये
खूबसूरत खूबसूरत खूबसूरत ....इसके आगे और क्या कहूं,शब्द शिल्प और चित्र अंकन दोनों के लिए साधुवाद ....
अजीब ग़ज़ल लिखी है जी आपने. रदीफ़ दिल्ली काफ़िया दक्खन. बेमतलब को इतनी जबरदस्त बातें लिख जाते हो आप, के फिर काम धंधे में मन लगता ही नहीं. बस इसी आश्चर्य में पड़े रहते हैं के इतने बेहतरीन विचार और उन पर ये शानदार अश'आर और तिस पर तस्वीरों के खूबसूरत इश्तेहार, सिर्फ़ सीमाजी नाम की मोहतरमा को ही क्यों सूझते हैं ? भला बताइए ? हा हा हा ! बहुत खूब, क्या कहना ?
बहुत सुंदर रचना। बधाई। अगली पोस्ट का इंतजार रहेगा.
आपने बहुत अच्छा िलखा है । -
http://www.ashokvichar.blogspot.com
nice one Seema jee, Good work as always,keep it up
Reagards
नियामते-दुनिया होती है नागवार - तबियत उनकी,
तसव्वुर से ही गुफ्तगू बार बार किया करते हैं...
लफ्जों की कशीदाकारी में दिल के जज्बातों को जिस तरह आपने गढा है या फ़िर कहें की लफ्जों की नक्काशी को दिल की नाज़ुक दीवारों पर उकेरा है या फ़िर कहें की दिल के सफ्फाक केनवास पर लफ्जों के जो रंग बिखेरे की तस्वीर बन गई दिल के ख्यालातों की .. वाह वाह माशा अल्लाह
दिन में बेताबी, रात को तसल्ली पिया करते हैं
नियाज़मंद ज़िन्दगी में, इंतज़ार किया करते हैं
bahut hi badiya. premiyon ke dard ko bahut hi shiddat se mahsoos karaya hai. mere blog (meridayari.blogspot.com)par bhi daura karen.
आंखों को आँख नहीं अशआर किया करते हैं,
तबियत को नासाज बार-बार किया करतें हैं !!
परवानों को जलने का कोई डर नहीं होता ,
ख़ुद को हर शै आग के आर-पार किया करते हैं !!
"सीमाओं" को किसी दुश्मन का डर नहीं होता ,
सीमा पर वो दुश्मन को ललकार किया करते हैं !!
तेरी दुनिया भी अजीब दुनिया हो गई है"गाफिल"
यां के वीर सामने नहीं पीठ
पीछे वार किया करते हैं !!
Bahut hi achha kiya ki tumne kuch shabdon ke meaning samjha diye otherwise mujhe to Urdu ki classes leni padti
Hamesha ki tarah tumhara TASSAWUR ka ye AAGAAZ hame bahut bahut pasand aaya, Seema
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