oh! my goodness.mindblowingfaburlous.outstandingbahut achcheyahan milan sukh ki kami haivirah vedna to hai.isliye guzarish karta hun ki apne andaz me ek adh kavita gazal ya shayari milan sukh par bhi likhen.dhanyavaad
किस अदा से इजहारे जज्बात हम करते,की एक इशारे से भी जब चेहरा तेरा शिकन करे....bahut achchhe jajbat hai aur utni hi achchhi shayri bhi
किस अदा से इजहारे जज्बात हम करते,की एक इशारे से भी जब चेहरा तेरा शिकन करे....bahut khub likha hai..badhai ho..
bahut kuhb seema jibadhiya
सीमा जी, वाह क्या खूब लिखा हैकिस अदा से इजहारे जज्बात हम करते,की एक इशारे से भी जब चेहरा तेरा शिकन करे..सुंदर रचना
vah bhut khubsurat. ati uttam.
bhut khoob!
शैदाई हो जब तेरा कोईतो हरकत कैसे न करे दिलइजहार के लिए और क्या करेंतेरे चेहरे की हर शिकन कोसर-माथे पे लिया करें।:)
बहुत खूब सीमा जी....हमेशा की तरह.नीरज
बहुत खूब ! खुबसूरत रचना !शुभकामनाएं !
आनन्द आ गया.वाह!
दो किनारे मिल तो गये मगरकुछ फ़ासला अब भी बाक़ी रहा!
दिल की तमन्ना फ़िर कोई हरकत ना करे,यूँ न सितम ढा के फ़िर कोई सैलाब रुख करे.वाह..सुंदर रचना.
तमन्ना जब काफिर निकल जायेकमान से कोई तीर निकल जायेहरकत क्या करे कबीरा फिरहंसा जब छोड़ सरीर निकल जाये आपकी कविता में इतना दर्द क्यों है ?
दिल की तमन्ना फ़िर कोई हरकत ना करे,यूँ न सितम ढा के फ़िर कोई सैलाब रुख करे,किस अदा से इजहारे जज्बात हम करते,की एक इशारे से भी जब चेहरा तेरा शिकन करेवाह सीमा जी अतिसुंदर मजा आ गया
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16 comments:
oh! my goodness.
mindblowing
faburlous.
outstanding
bahut achche
yahan milan sukh ki kami hai
virah vedna to hai.
isliye guzarish karta hun ki apne andaz me ek adh kavita gazal ya shayari milan sukh par bhi likhen.
dhanyavaad
किस अदा से इजहारे जज्बात हम करते,
की एक इशारे से भी जब चेहरा तेरा शिकन करे....
bahut achchhe jajbat hai aur utni hi achchhi shayri bhi
किस अदा से इजहारे जज्बात हम करते,
की एक इशारे से भी जब चेहरा तेरा शिकन करे....
bahut khub likha hai..
badhai ho..
bahut kuhb seema ji
badhiya
सीमा जी, वाह क्या खूब लिखा है
किस अदा से इजहारे जज्बात हम करते,
की एक इशारे से भी जब चेहरा तेरा शिकन करे..
सुंदर रचना
vah bhut khubsurat. ati uttam.
bhut khoob!
शैदाई हो जब तेरा कोई
तो हरकत कैसे न करे दिल
इजहार के लिए और क्या करें
तेरे चेहरे की हर शिकन को
सर-माथे पे लिया करें।
:)
बहुत खूब सीमा जी....हमेशा की तरह.
नीरज
बहुत खूब सीमा जी....हमेशा की तरह.
नीरज
बहुत खूब ! खुबसूरत रचना !
शुभकामनाएं !
आनन्द आ गया.
वाह!
दो किनारे मिल तो गये मगर
कुछ फ़ासला अब भी बाक़ी रहा!
दिल की तमन्ना फ़िर कोई हरकत ना करे,
यूँ न सितम ढा के फ़िर कोई सैलाब रुख करे.
वाह..सुंदर रचना.
तमन्ना जब काफिर निकल जाये
कमान से कोई तीर निकल जाये
हरकत क्या करे कबीरा फिर
हंसा जब छोड़ सरीर निकल जाये
आपकी कविता में इतना दर्द क्यों है ?
दिल की तमन्ना फ़िर कोई हरकत ना करे,
यूँ न सितम ढा के फ़िर कोई सैलाब रुख करे,
किस अदा से इजहारे जज्बात हम करते,
की एक इशारे से भी जब चेहरा तेरा शिकन करे
वाह सीमा जी अतिसुंदर मजा आ गया
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