8/02/2008

कतरा कतरा




"कतरा कतरा"



कतरा कतरा दरया देखा ,
कतरे को दरया में न देखा ,
लम्हा लम्हा जीवन पाया,
जीवित एक लम्हे को न पाया,
आओ हम दोनों मिलकर
एक लम्हे को जिंदा कर दें,
प्रेम प्रणव से जीवन भर दें

http://vangmaypatrika.blogspot.com/2008/09/blog-post_05.html

14 comments:

vipinkizindagi said...

आओ हम दोनों मिलकर

एक लम्हे को जिंदा कर दें,

प्रेम प्रणव से जीवन भर दें

behtarin rachna...

नीरज गोस्वामी said...

सीमा जी...कमाल की ऊर्जा है आपके लेखन में...आज एक दिन में आप की दो पोस्ट पढने का सौभाग्य प्राप्त हुआ...और दोनों ही रचनाएँ एक दूसरे से भिन्न लेकिन लाजवाब.
नीरज

मोहन वशिष्‍ठ said...

कतरा कतरा दरया देखा ,

कतरे को दरया में न देखा ,

लम्हा लम्हा जीवन पाया,

जीवित एक लम्हे को न पाया,

वाह जी वाह सीमा जी अच्‍छी लगी लाजवाव

डॉ .अनुराग said...

hummmm gajab hai...aap to.

Nitish Raj said...

आओ हम दोनों मिलकर
एक लम्हे को जिंदा कर दें,
प्रेम प्रणव से जीवन भर दें

सुंदर...अति उत्तम।।।।

योगेन्द्र मौदगिल said...

आओ हम दोनों मिलकर

एक लम्हे को जिंदा कर दें,

प्रेम प्रणव से जीवन भर दें
Good..Better...Best....
SEEMA G

अभिन्न said...

कतरा कतरा एहसास में तुम
लम्हा लम्हा हर सांस में तुम

हसीं हो जाये सारा जीवन
रहो अगर मेरे पास में तुम

राहत है इस चाहत में इतनी
जैसे बसे हो मेरे विश्वास में तुम

एक लम्हे से संवरे क्या जीवन ?
जनम जन्म की प्यास में तुम

तेरे बिन क्या पास अभिन्न के
हर आम में तुम हर खास में तुम

Anonymous said...

मुझको मिले तेरा प्यार ये जरूरी तो है,
तेरे दिल पे हो मेरा इख्त्यार ये जरूरी तो है,

सीमा जी आपकी पंक्तियों में आग्रह है, आमंत्रण है, बेकरारी भी, फ़िर अधिकार की चाहत भी

धन्य है शब्दों का प्रभाव, प्रवाह ,

it touches personally to every readers like fragrance in allover

best you wrote

राजीव रंजन प्रसाद said...

कतरा कतरा दरया देखा ,
कतरे को दरया में न देखा ,

ये दो पंक्तिया भी पूरी कविता हैं।


***राजीव रंजन प्रसाद
www.rajeevnhpc.blogspot.com

Advocate Rashmi saurana said...

Seema ji, kya baat hai. bhut badhiya likh rhi hai.

Vivekk singh Chauhan said...

bhut badhiya rachana. badhai ho.

Sanjeet Tripathi said...

सुंदर!

'sakhi' 'faiyaz'allahabadi said...

Seema Ji,
katra,lamha,darya...............
jeewan ki sab ikaaiyon ko jaisay define kar diya.ukay rlations ko poetry ka libas phanakar aap nay kitna khubsoorat bana diya wah wah.Aur kya aawahan hai,,,,,,,,,,,,badi madhurta hai is awahan mein............itnee madhur ..........itnee madhur ............kahin swarg mein le gayeen aap ek lamhe ko......................ek lamha jo hazaar saal per bhari hoga ...................isliyay
'आओ हम दोनों मिलकर

एक लम्हे को जिंदा कर दें,

प्रेम प्रणव से जीवन भर दें"

kitna khoobsurat kitna sundar kitna mohak hai yeh bhav. is ek lamhe main kitnee zindigi hai kitna jeevan hai .

* મારી રચના * said...

jaruri to hai.....mujko mile terap yaar jaruri to hai...
fir bhi kyu na karu kismat se taqraar..ye jaruri to hai...

thts Awesome !!!!