8/02/2008

"अच्छा था"










"अच्छा था"

तेरी यादों में जल जाते तो अच्छा था,
शबनम की तरह पिघल जाते तो अच्छा था.

इन उजालों में मिले हैं वो दर्द गहरे,
हम अंधेरों में बदल जाते तो अच्छा था.

मेरी परछाईं से भी था शिकवा उनको,
ये चेहरे ही बदल जाते तो अच्छा था.

क्यों माँगा था तुझे उमर भर के लिए,
अपना ही सहारा बन जाते तो अच्छा था.

यूं बरसा के भी सावन प्यासा ही रहा,
हम ही समुंदर बन जाते तो अच्छा था.

क्यों संभाला था ख़ुद को एक मुकाम के लिए,
हम यूं ही टूट के बिखर जाते तो अच्छा था.

चाँद और सितारे तो नहीं मांगे थे हमने,
काश अपने भी मुकद्दर सँवर जाते तो अच्छा था

9 comments:

Anonymous said...

prem ko abhivyakti dene ke liye shiv aur shakti ka saharaa liya aur bhairav tantr men feelings ko rastaa sujhaya gayaa hai.
kahte hain vidhi yani kam karne ka tarika hameshaa ubhay dharmi rahaa aur prashn hamesha javab ke bavjood niruttar lage. fark rahaa maansik dashaa ka.
sach men anubhuti achche se hui hai apke likhe padon me.

rajesh

Rajesh Roshan said...

चांद और तारे तो नहीं मांगे थे हमने,
काश अपने भी मुकद्दर संवर जाते तो अच्छा था

बहुत खूब लिखा है आपने, बेहतरीन

Ranjan said...

बेहद खुबसूरत , बिल्कुल आत्मा से निकली हुई !

admin said...

चाँद और सितारे तो नहीं मांगे थे हमने,
काश अपने भी मुकद्दर सँवर जाते तो अच्छा था

दिल से निकला हुआ शेर है, बधाई स्वीकारें।

नीरज गोस्वामी said...

सीमा जी
जैसे सुबह का सूरज रोज नए अंदाज़ में उगता है वैसे ही आप की रचनाएँ हमेशा नए रंग में दिखाई देती हैं...कभी अपने आप को दोहरती नहीं और ना ही बासी पढ़ती हैं...बहुत खूब.
नीरज

अभिन्न said...

क्यों माँगा था तुझे उमर भर के लिए,
अपना ही सहारा बन जाते तो अच्छा था.
yun to puri ghazal hi prabhavpurnn hai,har shair ka apna vazan hai,uprokt ssair bahut achhchha laga..well done

seema gupta said...

"आप सभी का मुझे लगातार इस तरह प्रोत्साहन देने के लिए दिल से बहुत बहुत शुक्रिया. आभारी हूँ"

बालकिशन said...

अद्भुत....बहुत उम्दा... बेहतरीन.
बहुत खूब.
जवाब नहीं आपका.

शोभा said...

यूं बरसा के भी सावन प्यासा ही रहा,
हम ही समुंदर बन जाते तो अच्छा था.
बहुत बढ़िया लिखा है।