तुम्हें देखने को तरसती हैं आँखें,
बहोत याद कर के बरसती हैं ऑंखें...........
जब जब ख्यालों में लातें हैं तुमको,
शर्मो हया से लरजती हैं ऑंखें ............
फूलों का तबस्सुम, या पतझड़ का मौसम,
तेरी बाट मे ही सरकती हैं ऑंखें.................
यूँ तन्हाई मे जब बिखरता है दामन,
तेरे साथ को बस सिसकती हैं आंखें...........
चिरागों के लौ मे भी जान ना रहे जब,
ग़म -ऐ-इश्क में फिर दहकती हैं ऑंखें...........
18 comments:
वाह ! बहुत बेहतरीन वर्णन किया है, पहली बार आपको पढ़ा है , लिखती रहें !
anakhe..... anakho ko aapne jubaan dedi hai.... bahot hi umdaa likha hai apane..
खुबसूरत ब्लाग है आपका, इतनी सुंदर कलाकृतियों को पेश करने के लिए एक बार फिर आभार !
khalish hai ye kya khala hai, sheher bhar ki khushi se dard tera bada hai.
The power of imagination, You have evolved lately is impaccable!
These lines shown me every emotion any eye can portray..
Faultlesssss!
hi Seema ji
how are you ? i hope you are fine there
relay nice poeam ""ye aankhe to he yee aisiii """"" such great poeam
i like this poeam .
thank you for your prity poeam .
Regards
Ritesh Kumar Chaudhary .
Doha,Qatar .
फूलों से खिल जाते है हम,
तितली सी जब चहकती है आँखे
मन का भँवरा पागल होकर रह जाये
नर्गिस के फूलों की तरह जब महकती है आँखे
ओड़ लेती है कायनात हया की चादर
हमें देख कर जब शर्म से झुकती है आँखे
अच्छा है
तन्हाई मे जब बिखरता है दामन,
तेरे साथ को बस सिसकती हैं आंखें...........
चिरागों के लौ मे भी जान ना रहे जब,
ग़म -ऐ-इश्क में फिर दहकती हैं ऑंखें...........
आंखों से आंखें टकराएं, जाम से जाम टकराए
उतर के इस दिल में चलो दिल से दिल टकराए
bhut sundar aankhe. badhiya.
वाह. बहुत ही उम्दा और शानदार नज़्म.
अद्भुत शब्द चित्रण है.
शब्दों और चित्रों के माध्यम से गजब धा दिया आपने.
Seema ji,
Aankhen jazbaat ka mazhar hoti hain, aaankhen hi kayenaat ka nazzarah karwati hain,aankhon ka kamaal hai ki woh mehboob ke jamaal se robaroo karwatee hain. aankhon se ghum pighal kar aansoo ban kar bahe jaata hai to kabhi weeran kar jataa hai. aankhen chmakti hain to duniya mein roshnee ho jati hai udaas hoti hain to har teraf andhera kar jaati hain..............beshumar pehloo hain aankhon se mutalliq lekin aapne jo kaifiyaat ko aankhon mein utara hai woh taareef ke laayek hain.
Meer ne kinhee aankho ko dekh kar kaha tha:
"meer un neem-baaz aankhon mein
sari masti sharaab ki see hai"....
aankhon ne mujhe jin tajarbon se guzaara hai woh aap ki khidmat mein haazir hai:
आंखों ही आंखों में कोई इक बात हो गयी
सूनी मेरी हयात अब आबाद हो गयी ........
तेरी गली से गुज़रे थे हसरत लिए हुए
अब जिंदिगी में तू ही मेरे साथ हो गयी ........
यह भी अजीब वाकिया गुज़रा हमारे साथ
हसरत थी एक बूँद कि बरसात हो गयी................
माजी कि दास्ताँ ने रुलाया हमें भी था
आँखें तेरी तो मज़हरे हालात हो गयी ...................
एक दूसरे के हो गए हमदम हम और तुम
दुनिया हमारी प्यार कि सौगात हो गयी .....................
आंखों से आए दिल में बसे रह रहे हो तुम
आंखों ही आंखों में कोई इक बात हो गयी ....................
...................
..........'SHUBHCHINTAK'
देखे दिखाए ख्वाब टूटते है,
कुछ टूटे ख्वाब और सही,
इतना तो बिखरा हुआ हूँ,
थोड़ा बिखरा हुआ और सही,
तेरी याद में गुज़र गया,
गुज़ारा हुआ वक़्त और सही,
vipin
abhivyakt sabhi kuchhh karti hain aakhen
gahraiyan rubaaiyaan sunaati hai aankhe
लिखा तो अच्छा है ये 'बहोत' जानबूझ कर ऐसा लिखा है या बहुत लिखना चाह रही थीं। लेकिन एक दूसरे शब्द "लातें" का मैने कुछ और अर्थ लगा लिया था (लात घूसां टाईप)
चिरागों के लौ मे भी जान ना रहे जब,
ग़म -ऐ-इश्क में फिर दहकती हैं ऑंखें...........
---बहुत उम्दा...वाह!
बहुत खूब..
सुन्दर......
लिखती रहें.....
bahut hi sundarta se ankho ka varnan kiya hai atii utam,
चिरागों के लौ मे भी जान ना रहे जब,
ग़म -ऐ-इश्क में फिर दहकती हैं ऑंखें...........
very nice, sada yu hi likhti rahee.
Post a Comment