7/08/2008

"सजाएं"






"सजाएं"

इस खामोशी मे भी हरदम तुमसे बातें होतीं हैं ,
दूर जुदा रह कर भी ख्यालों मे मुलाकातें होती हैं....
हमको वफा का इनाम दिया , जी भर के इल्जाम दिया ,
तुमने हमको भुला दिया ये सोच के ऑंखें रोती हैं....
क्या खोया क्या पाया था जीवन युहीं गवांया था ,
तुमने भी ठुकराया है अब खोने को सांसें होती हैं.....
एक बोझ मगर सीने मे है , कौन सा ऐसा जुर्म हुआ ,
चाहत मे मर मिटने की क्या खोफ-जदा "सजाएं" होतीं हैं



14 comments:

डॉ .अनुराग said...

चाहत मे मर मिटने की क्या खोफ-जदा "सजाएं" होतीं हैं

ऐसा लगता है सब कुछ समेट दिया......ओर चित्र सोने पे सुहागा है....

Anonymous said...
This comment has been removed by a blog administrator.
समय चक्र said...

एक बोझ मगर सीने मे है,कौन सा ऐसा जुर्म हुआ.
चाहत मे मर मिटने की क्या खोफ-जदा "सजाएं" होतीं हैं.
bahut dilakash sundar badhai.

Anonymous said...

वाह...!क्या खूब है आपका ब्लॉग...सभी रचनाओं ने दिल छू लिया...जरा इसे भी गौर फरमाइए..."चलो बाँट लेते हैं अपनी सजाएं, न तुम याद आओ न हम याद आयें...सभी ने लगाया है चेहरे पे चेहरा,किसे याद रखें किसे भूल जायें..."

'sakhi' 'faiyaz'allahabadi said...

khauf itna badha hua kyun hai
koyee mujh se hi aashna kyun hai

mere munh mein bhi ek zubaan kyun hai
mere dil hee ki dastaan kyun hai
main nay chaha hai main nay pyar
kiya
mujh say hota naheen bayan kyun hai

aag barsata aasmaan kyun hai

tum ko khonay ka khauf rahta hai
ek tere saath hee jahan kyun hai

tum ko thukhraney ka khayal talak
mere dil mein naheen kaha kyun hai

Anonymous said...

"kee mere katl kay baad usnay jafa say tauba
haaye uos zooday pasheeman ka pasheeman hona"

Anonymous said...

Ye to ek shikayat bhari si kavita lagti he?
Jo bhi he yakinan badi sachhi si lagti he!

In dino Tum bahut bahut achha likh rahi ho Seema.
Keep treading the great path of utterence!
You're getting amazing as each day pass by..


"Amit Verma"

Anonymous said...

खामोशी के जो बोल होते हैं,
वो बड़े अनमोल होते हैं,

मुलाकात जो खामोशी से हो जाती है
रूह को उससे करार आता है

वो कितनी भी जफाए कर ले बेवफा
इस बावफा को उसपे ही प्यार आता है

मामूली जुर्म हो तो बताया भी जाये
प्यार से संगीन कोई जुर्म भी तो नहीं है
,,,,,,,,,,,,,,खुबसूरत ग़ज़ल ..... उदास मत होना
.......जिसने आपको लिखा है वो ज़रूर कोई बड़े दिल वाला है

"Surender Kumar)

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया-लिखती रहिये.

admin said...

"मुलाकात जो खामोशी से हो जाती है
रूह को उससे करार आता है"

बहुत मासूम शेर है, बधाई स्वीकारें।

संजय शर्मा said...

शानदार ब्लॉग ! दमदार रचना ! जानदार फोटो ! अन्यत्र नही देखा .ऐसे ही तल्लीनता बरकरार रखिये .
आभार ! शुभकामनायें !!

Anonymous said...

hum bhi hain insan sanam hum say bhi khatayen hoti hain

pardarsh

vipinkizindagi said...

"इस खामोशी मे भी हरदम तुमसे बातें होतीं हैं"
बहुत बढ़िया, क्या लिखा है सीमा जी.
किसी ने कहा है ..........
हमें मालूम है दो दिल जुदाई सह नही सकते,
मगर रस्मे वफ़ा ये है,की ये भी कह नहीं सकते,
ज़रा कुछ देर तुम उन साहिलों की चीख सुन भी लो,
जो लहरो में तो डूबें है,मगर संग बह नहीं सकते

Mukesh Garg said...

इस खामोशी मे भी हरदम तुमसे बातें होतीं हैं ,
दूर जुदा रह कर भी ख्यालों मे मुलाकातें होती हैं.


bahut hi sunder seema ji.