आज ख़ुद को एक बेरहम सजा दी मैंने ,
एक तस्वीर थी तेरी वो जला दी मैंने
तेरे वो खत जो मुझे रुला जाते थे
भीगा के आंसुओं से उनमे भी,
एक तस्वीर थी तेरी वो जला दी मैंने
तेरे वो खत जो मुझे रुला जाते थे
भीगा के आंसुओं से उनमे भी,
" आग लगा दी मैंने ..."
http://vangmaypatrika.blogspot.com/2008/09/blog-post_06.html
21 comments:
jawab nahi
awesome yaar.....bahut hi badhiya ...... after alimit of love and sacrifice...this is the thought and feel......
तेरे वो खत जो मुझे रुला जाते थे
भीगा के आंसुओं से उनमे भी,
" आग लगा दी मैंने ..."
बाप रे ! इतना गुस्सा ? पहले बार देखा ! और
वो भी सिर्फ़ छोटी सी ५ लाइनों में ! काबिले
तारीफ़ रचना ! बहुत बधाई और शुभकामनाएं !
aap itni gehrai se sochti hai ke hume majboor hona padta hai comment dene ke liye
bahut hi achcha likha hai aapne.
आग लगा दी मैंने ..."
भाव व्यक्त करने में आपका जवाब नही !
बहुत बधाई ! सुंदर रचना !
भीगा के आंसुओं से उनमे भी,
" आग लगा दी मैंने ..."
सच में आप ने ब्लॉग मैं आग लगा दी
सुंदर
aaj kai dinon bad aa paya.
aur aate hi aapki ye rachana padh kar man me utal-puthal mach gayi.
jawab nahin aapka.
shukriya.
वो मेरे ख़त थे तेरे पास तो हम रहते थे
वरना क्या और था ख़ुद को जो जिला दी मैंने
तूने तस्वीर जलाई के जला डाला मुझे
फिर भी हर ज़ुल्म पे तेरे है दुआ दी मैने
बहुत ही सुन्दर कविता, सही किया यह कम्बख्त यादे किसी हाल मे जीने नही देती...
धन्यवाद
nice
भीगा के आंसुओं से उनमे भी,
" आग लगा दी मैंने ..."
बहुत खूब.......
hamesha ki tarah wah tajmahal
Thanks everybody for ur presence shown n droping ur valueable thoughts. Regards
beautiful words!
बहुत सही!!!
आपका मंच बिना पूछे सार्वजनिक निवेदन के लिए इस्तेमाल कर रहा हूँ:
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निवेदन
आप लिखते हैं, अपने ब्लॉग पर छापते हैं. आप चाहते हैं लोग आपको पढ़ें और आपको बतायें कि उनकी प्रतिक्रिया क्या है.
ऐसा ही सब चाहते हैं.
कृप्या दूसरों को पढ़ने और टिप्पणी कर अपनी प्रतिक्रिया देने में संकोच न करें.
हिन्दी चिट्ठाकारी को सुदृण बनाने एवं उसके प्रसार-प्रचार के लिए यह कदम अति महत्वपूर्ण है, इसमें अपना भरसक योगदान करें.
-समीर लाल
-उड़न तश्तरी
भई वाह... क्या आग लगाई है सीमा जी..
आपका शब्द-चित्रण लाजवाब है..
बधाई....
three words for this
W O W
अच्छी पोस्ट.......
स्वप्नभंग या मोहभंग ?
आज ख़ुद को एक बेरहम सजा दी मैंने ,
एक तस्वीर थी तेरी वो जला दी मैंने
तेरे वो खत जो मुझे रुला जाते थे
भीगा के आंसुओं से उनमे भी,
" आग लगा दी मैंने ..."
बेहतरीन
आज ख़ुद को एक बेरहम सजा दी मैंने ,
एक तस्वीर थी तेरी वो जला दी मैंने
तेरे वो खत जो मुझे रुला जाते थे
भीगा के आंसुओं से उनमे भी,
" आग लगा दी मैंने ...
in lino main pyar bhi hai gusha bhi
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