फिर वही आतिशफिशानी कर रही उसकी अदा
फिर वही मदिरा पिला डाली है उसके जाम ने ..........
जब भी गुज़रा वो हसीं पैकर मेरे इतराफ़ से
जब भी गुज़रा वो हसीं पैकर मेरे इतराफ़ से
दी सदा उसको हर एक दर ने हर एक बाम ने......
एक अजब खामोश सा एहसास था दिल में मेरे
एक अजब खामोश सा एहसास था दिल में मेरे
उसका नज़ारा किया है पहले हर इक गाम ने...
http://vangmaypatrika.blogspot.com/2008/09/blog-post_4097.html
9 comments:
sach kahun,mere liye kuchh kathin hai ye
सुंदर लगा यह
bahut achchi likhi hai...
behatarin
जाम पे जाम जाम पे जाम पिए जा ए शाकी
होश रहे ना रहे चिंता न कर संभालने वाले हैं बाकी
बहुत खूब
नशा हो रहा है अब तो मुझे
सबसे पहले तो बधाई ग्रहण कीजिये इस सुन्दरतम प्रस्तुति के लिए.
आप कैसे लिख लेती है इतनी विविधता से और इतनी सुन्दरता से. ये जरुर बताएं.
jajbaaton ki mahfil
jo aapne sajaai hai
us per aitbaar ho kaise
khamosh ehsaas ko jabaan mil jaaye jis tarhaa?
achche ahsaas..
बेहद खूबसूरत...बहुत उम्दा...वाह!
बहुत अच्छी रचना है मुश्किल शब्द है मेरी समझ से बाहर हैं उर्दू हिंदी शब्दकोष पास रखना पड़ेगा फिर भी ये शेर तो बहुत ही अच्छा लगा .
एक अजब खामोश सा एहसास था दिल में मेरे
उसका नज़ारा किया है पहले हर इक गाम ने...
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