"याद किया तुमने या नही "
यूँ ही बेवजह किसी से, करते हुए बातें,
यूँ ही पगडंडियो पर सुबह-शाम आते जाते
कभी चलते चलते रुकते, संभलते डगमगाते.
मुझे याद किया तुमने या नही जरा बताओ..
सुलझाते हुए अपनी उलझी हुई लटों क
फैलाते हुए सुबह बिस्तर की सिलवटों को
सुनकर के स्थिर करतीं दरवाजी आहटों को
मुझे याद किया तुमने या नही जरा बताओ..
बाहों कर करके घेरा,चौखट से सर टिकाके
और भूल करके दुनियाँ सांसों को भी भुलाके
खोकर कहीं क्षितिज में जलधार दो बुलाके
मुझे याद किया तुमने या नही जरा बताओ.
सीढ़ी से तुम उतरते , या चढ़ते हुए पलों में
देखुंगी छत से उसको,खोकर के अटकलों में
कभी दूर तक उड़ाकर नज़रों को जंगलों में
मुझे याद किया तुमने या नही जरा बताओ..
खोकर कहीं क्षितिज में जलधार दो बुलाके
मुझे याद किया तुमने या नही जरा बताओ.
सीढ़ी से तुम उतरते , या चढ़ते हुए पलों में
देखुंगी छत से उसको,खोकर के अटकलों में
कभी दूर तक उड़ाकर नज़रों को जंगलों में
मुझे याद किया तुमने या नही जरा बताओ..
बारिश में भीगते तो, कभी धूप गुनगुनाते
कभी आंसुओं का सागर कभी हँसते-खिलखिलाते
कभी खुद से शर्म करते कभी आइने से बातें
मुझे याद किया तुमने या नही जरा बताओ..
कभी खुद से शर्म करते कभी आइने से बातें
मुझे याद किया तुमने या नही जरा बताओ..
तुमसे दूर मैने, ऐसे हैं पल गुजारे .
धारा बिना हों जैसे नदिया के बस किनारे..
बिन पत्तियों की साखा बिन चाँद के सितारे..
बेबसी के इन पलों में...
मुझे याद किया तुमने या नही जरा बताओ....
धारा बिना हों जैसे नदिया के बस किनारे..
बिन पत्तियों की साखा बिन चाँद के सितारे..
बेबसी के इन पलों में...
मुझे याद किया तुमने या नही जरा बताओ....
26 comments:
Itna achha VIRAH mene aaj tak nahi padha.
It is fabulous Seema It's soooo very good...
Yet again and without a hitch
निढाल कर दे जब समुंद्र की लहरे,
लगे मुझको वो किनारा है,
मुझे वो इतना प्यारा है.
टूट जाती है हर एक आस,
तो वोही लगता आखिरी सहारा है,
nice lines...
सीमा जी, सीमा जी , सीमा जी,
कोई जब दिल में समाया रहता हो , और दिल को भाया रहता हो तो फिर कौन सा पल होगा जब उसकी याद न आती हो ........................लेकिन इस भाव को व्यक्त करना कितना मुश्किल था जो आपने आसIन कर दिया...............आप का जवाब नही. अभी इसी से भावावित हो चंद पंक्तियाँ हाज़िर-ऐ-खिदमत है: ................
तुम्हें जब भूल जाऊंगा कहूँगा याद आती है
तो फिर क्या है यह भूलना और याद आना बता दो..............
ये कैसे हो सकेगा सोचता रहता हूँ खिलवत में
के तुमको भूलकर भी भूल जाऊंगा बता दो......................
तुम्हीं तो याद रहती हो तुम्ही तो याद आती हो
तुम्ही जब याद आना पूछती हो तुम बता दो ......................
संवेदनशील, उम्दा और बेहतरीन रचना.
तुमसे दूर मैने, ऐसे हैं पल गुजारे .
धारा बिना हों जैसे नदिया के बस किनारे..
बिन पत्तियों की साखा बिन चाँद के सितारे..
बेबसी के इन पलों में...
मुझे याद किया तुमने या नही जरा बताओ..
मुझे याद किया तुमने या नही जरा बताओ....
एक बेहतरीन रचना है सीमा जी
mind blowing
धारा प्रवाह में बह न जाना तुम
हर पल हर घडी करते रहना याद तुम
जब भी मैं करूं दिल से तुम्हे याद
आना और अपनी कोई कविता सुनाना तुम
बहुत खूब बहुत बहुत बधाई हो
Virah ka rang achha hai
kahne ka dhang achha hai
yahi to kah raha sawan
kavya ka sang achha hai
--YM
हाय ये बेकसी, ख्वाहिशें और फ़िर यादें
जी का जंजाल क्यों ना बन गई
उन्हें याद करते सारी दुनिया घूम आए पर क्या उन्हें ... याद आए ?
मिलते हैं जमीं आस्मां भी , मगर बेकरारी यादों की वो सुना गए........
हमे तो खाना भी याद न रहा था काम में और वो थे के किसी को आजमा गए
चाँद सितारों की महफ़िल भी महफूज़ नही जिस जमाने में,
इंसान भला क्यों फ़रिश्ते आजमाए
दुआ करते है रब से जहाँ से उठ भी
फ़िर यादों से जमीं पर वापस बुला ना लिए जाएँ
दुनिया संगीन हुई है
क्यों किसी को कोई याद आए ?
jeevan ke har mod per raaste badalte hai
rahgeer ko kya pataa ke kya ho
bhagwan buddh kahte hai drustaa bano
kuchchh naa karo
fark dekho duniya men
mahsoos hone lagega
rajesh
सुलझाते हुए अपनी उलझी हुई लटों क
फैलाते हुए सुबह बिस्तर की सिलवटों को
सुनकर के स्थिर करतीं दरवाजी आहटों को
kahi kahi ye panktiya is kavita me gahara asar chodti hai ,par aap aakhiri line ko do baar na likhti to aor gahra asar hota...aisa mera manna hai...
koshishe
nahi
kamyaabi
ka manjar hai geet main
अपने जज्बातों को बहुत बढिया ढंग से पेश किया है।
बारिश में भीगते तो, कभी धूप गुनगुनाते
कभी आंसुओं का सागर कभी हँसते-खिलखिलाते
कभी खुद से शर्म करते कभी आइने से बातें
मुझे याद किया तुमने या नही जरा बताओ..
sunder rachna.badhai
"तुमने किया ना याद कभी भूल कर हमें
हमने तुम्हारी याद में सबकुछ भुला दिया"
मुझे आप की रचना पढ़ कर ये शेर याद आगया...बेहद खूबसूरती से हिज्र के पलों का जिक्र किया है आपने...
नीरज
very nice!
तुमसे दूर मैने, ऐसे हैं पल गुजारे .
धारा बिना हों जैसे नदिया के बस किनारे..
बिन पत्तियों की साखा बिन चाँद के सितारे..
बेबसी के इन पलों में...
मुझे याद किया तुमने या नही जरा बताओ....
bhut bhut sundar. kya baat likhi hai.
bhut badhiya rachana. badhai ho.
बाद मुद्दत के वो आया होगा,
मेरी आँख में जो आँसू आया होगा,
तेरे गम में तो मैं शामिल न था,
मगर तेरे गम में मेरा गम तो आया होगा....
बहुत बेहतरीन!!!! वाह!!
वाह सीमा जी!!! संग्रहणीय रचना..
***राजीव रंजन प्रसाद
कविता के साथ साथ चित्रों का प्रस्तुतिकरण सराहनीय है ,कविता को देखना पदने से ज्यादा रोमांचक लगा है
bahut achchi kavita...
very nice seema ji
बारिश में भीगते तो, कभी धूप गुनगुनाते
कभी आंसुओं का सागर कभी हँसते-खिलखिलाते
कभी खुद से शर्म करते कभी आइने से बातें
मुझे याद किया तुमने या नही जरा बताओ..
!!!!!!!!!!!!!
बेहद शानदार रचना !!!!!!!!!!!
इन जज्बों कि अभिव्यक्ति बड़ी मुश्किल होती है जिन्हें आपने बहुत आसानी से ज़बान दे दी!!!
बधाई
bahut hi accha likha hai . badhai
बाँट रहे हो हीरे मोती,पीकर गम के जहर प्याले
देख कबीरा रोया चाहे लाख ज़माना मुस्काले
कितना दर्द छुपा है आपकी रचनाओं में ......
वाह!!!!!!!!!!!!!!!
आपके गीत की निम्न पंक्तियों
बारिश में भीगते तो, कभी धूप गुनगुनाते
कभी आंसुओं का सागर कभी हँसते-खिलखिलाते
कभी खुद से शर्म करते कभी आइने से बातें
के बारे में मैं सिर्फ़ यही कह सकता हूँ कि
क्या खूब, कितनी खूबसूरती से कह दिया
गैरों को भी अपना बना ही लिया
करे कोई याद न भी तो अहसास तो करेगा
शरमाते हुए कम से कम आइने से तो कहेगा
शानदार गीत प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें.
बधाई स्वीकार किया या नही जरा बताओ...
चन्द्र मोहन गुप्त
Seema ji,
phir se padh raha hoon aur jo jazbaat hain unko bus aisay hee kah paa raha hoon..............
"teri yaad aa rahi hai..........."
bar bar padhta hoon aur bar bar yehi dil mein goonjta hai"teri yaad aa rahi hai"..........
aap to jaanti hain main is tarah aap ko badhai de raha hoon itnee prabhavshaali kavita ke liye.............mubarak baad kubool farmiyay...........
aap ka fan...........'shubhchintak'
Post a Comment