"हम "
यादों की तेज़ धूप मे झुलसने लगें हैं हम ,
यादों की तेज़ धूप मे झुलसने लगें हैं हम ,
बातों के जंगलो मे भटकने लगें हैं हम ,
कोहरा है कैसा ये जो आँखों में छा रहा है ,
सपनो की आन्धीओं मे उज्जडने लगें हैं हम
दस्तक कोई उम्मीद की बाकी ना रह गयी ,
ख्यालों के समंदरों मे उफ़नने लगें हैं हम ;
महफिल ना कोई दिल की दास्ताँ मेरे लिए बनी
खामोशियों की सलाखों मे उल्ल्झने लगें हैं हम ;
सावन की प्यास को भी हुआ रंज इस क़दर
आसुओं की इक इक बूंद तरसने लगें हैं हम;
19 comments:
सीमा जी
बहुत सुन्दर भाव योजना है-
दस्तक कोई उम्मीद की बाकी ना रह गयी ,
ख्यालों के समंदरों मे उफ़नने लगें हैं हम ;
बधाई स्वीकारें।
यादों की तेज़ धूप मे झुलसने लगें हैं हम ,
बातों के जंगलो मे भटकने लगें हैं हम ,
वाह...सीमा जी बहुत खूब...पूरी ग़ज़ल ही दर्द की दास्तान बना दी है आपने...आप के शेर के जवाब में अपना एक शेर सुना रहा हूँ:
खूब हालात के सूरज ने तपाया मुझको
चैन पाया है तेरी याद की बरसातों में
नीरज
very nice , really amazing work.....
Bahut hi acchi hain...Shikha
Shobha jee, Rocky , and shikha thanks to all for ur valuable comments.
Neeraj Jee,
I am really honoured and obliged to see your presence on my blog. your words of appreciation are real reward for my creations. thanks for such encouragement once again.
Regards
Seema ji ,
jazbaat ki shiddat, aur aap ki alfaaz aur unke intikhab ki jiddat ne hamein mashoor (jadoo) kar diya.
kahan se laayeen aap ek naya khayal......"sawan ki pyaas ko bhi hua ranj is kadar"..........
aap ne humein hairat mein daal rakkha hai.
aap ko malika-e-izhar-e-jazbat kah doon?....................
.............aap ka fan ..........shubhchintak
सावन की प्यास को भी हुआ रंज इस क़दर
आसुओं की इक इक बूंद तरसने लगें हैं हम;।
दिल को छू जाने वाली पंक्ति।
baton ke jungle me bhatkane lage hai hum.......... sunder
दस्तक कोई उम्मीद की बाकी ना रह गयी ,
ख्यालों के समंदरों मे उफ़नने लगें हैं हम ;
वाह जी वाह मजा आ गया सीमा जी धन्यवाद बहुत अच्छी रचना के लिए
कभी हमार ब्लाग पर भी अपनी नजरें इनायत करें
sabse pahale to mafi chahati hu ki tipani karne me late ho gai.
bhut sundar rachana ki hai. aapki kavitao me kuch alag hi baat hai. jitani baar bhi padhati hu lagata hai ek baar aur padh lu.
सावन की प्यास को भी हुआ रंज इस क़दर
आसुओं की इक इक बूंद तरसने लगें हैं हम;
वाह दिल की गहराई से दर्द की परत उकेरती शब्दावली...
सावन की प्यास को भी हुआ रंज इस क़दर
आसुओं की इक इक बूंद तरसने लगें हैं हम
beautiful.
आदाब
बहुत खूब
लिखती रहिये
एक दिन जरूर नाम होगा
लेकिन हम गरीब को पहचान लेना
very nice impact brought in
thanks for a better vision
दिलों की कसमकश में पड़ने लगे है हम,
ज़िन्दगी क्या बला है समझने लगे है हम
खवाबो की क्या हकीकत ख्यालों का जोश क्या
ज़मीनी हकीकतों से गुजरने लगे है हम
धोखा था दोस्तों का दोस्ती से मिलना
होती है क्या दुश्मनी अब समझने लगे है हम
करता है याद कोई हिचकी बता गई है
तडपता है किस कद्र, की तड़पने लगे है हम
लिखो जी खोल के लिखो ,'सीमा'जी विचार अपने
ये हुनर है बहुत उम्दा ,और इसे पदने लगे है हम
महफिल ना कोई दिल की दास्ताँ मेरे लिए बनी
खामोशियों की सलाखों मे उल्ल्झने लगें हैं हम ;
सावन की प्यास को भी हुआ रंज इस क़दर
आसुओं की इक इक बूंद तरसने लगें हैं हम;
vah vah kya bat kahi aapne.....
Wah wah achhi rachna ke liye badhai
Bahut Khoobsurat, Dear seema
Even this time - words and images make such a perfect blend that it can not be described in utter words of mine!
सावन की प्यास को भी हुआ रंज इस क़दर
आसुओं की इक इक बूंद तरसने लगें हैं हम;
bahut kuhb seema ji, badhaiya
Post a Comment