12/27/2008

"हाल-ऐ-दिल"


"हाल-ऐ-दिल"

पलकों पे आए और भिगाते चले गए,
आंसू तुम्हारे फूल खिलाते चले गए..

तुमने कहा था हाल-ऐ-दिल हम बयाँ करें
हम पूरी रात तुम को बताते चले गए...

मुद्द्त के बाद बोझिल पलकें जो हो रही,,
हम लोरियों से तुम को सुलाते चले गए...

तुम्ही को सोचते हुए रहने लगे हैं हम,
तुम्ही के अक्स दिल में बसाते चले गए....

अब यूँ सता रहा है हमें एक ख़याल ही,
हम तुम पे अपना बोझ बढाते चले गए ........


http://vangmaypatrika.blogspot.com/2008/08/blog-post_27.html

36 comments:

Anil Pusadkar said...

तुमने कहा था हाल-ऐ-दिल हम बयाँ करें
हम पूरी रात तुम को बताते चले गए... ।

सुंदर,हमेशा की तरह

विवेक सिंह said...

भूतों से यूँ तो लग रहा था डर हमें सीमा .
फिर भी तुझे आ आके टिपियाते चले गए .

( यूँ आपका नाम लिए बिना तुक न बनी . क्षमा करें . आप हमसे उम्र में बडी होंगी )

ताऊ रामपुरिया said...

अब यूँ सता रहा है हमें एक ख़याल ही,
हम तुम पे अपना बोझ बढाते चले गए ........


क्या लाजवाब अल्फ़ाज हैं ? बेहतरीन रचना ! शुभकामनाएं !

रामराम !

दीपक "तिवारी साहब" said...

तुम्ही को सोचते हुए रहने लगे हैं हम,
तुम्ही के अक्स दिल में बसाते चले गए....

अब यूँ सता रहा है हमें एक ख़याल ही,
हम तुम पे अपना बोझ बढाते चले गए

सर्वश्रेष्ठ .. ! नमन आपको !

संगीता पुरी said...

बहुत अच्‍छा लिखा...बधाई।

seema gupta said...

"@ विवेक जी यहाँ तो भूतों से ज्यादा भूतनियां है फ़िर आप किस से डर गये हा हा हा हा .....आपकी तुकबंदी का स्वागत है"

Regards

Anonymous said...

humtum pe bojh badhate chale gaye,waah yewala sher kamal kamlhai ji,bahut khubsurat gazal.

Smart Indian said...

मुद्द्त के बाद बोझील पलकें हो जो रही,
हम लोरियों से तुम को सुलाते चले गए...

सुंदर कृति!

admin said...

पलकों पे आए और भिगाते चले गए,
आंसू तुम्हारे फूल खिलाते चले गए..

बडा प्‍यारा शेर है, बधाई।

बवाल said...

हमेशा की तरह.......


(अल्फ़ाज़ों का टोटा है अब सीमा जी, आपकी तारीफ़ के लिए)

"अर्श" said...

बहोत खूब लिखा है आपने सीमा जी ढेरो बधाई.....अपनी पचासवीं पोस्ट पे आपकी दाद चाहता हूँ..पिचले कुछ दिनों से आपके स्नेह से वंचित हूँ .....


अर्श

मीत said...

मुद्द्त के बाद बोझील पलकें हो जो रही,
हम लोरियों से तुम को सुलाते चले गए...
touch my heart...
---meet

Sajal Ehsaas said...

teesre aur akhiri sher mein kuchh shabdo ke fer badal ki gunjaaish hai...baaki bahut achhe hai...behatreen jazbaat

sabke ashirvaad se ek aur haasy-vyang ki rachna prastut hai :)
http://pyasasajal.blogspot.com/2008/12/blog-post_5104.html

makrand said...

तुम्ही को सोचते हुए रहने लगे हैं हम,
तुम्ही के अक्स दिल में बसाते चले गए....

अब यूँ सता रहा है हमें एक ख़याल ही,
हम तुम पे अपना बोझ बढाते चले गए ........

great composition
real gem
regards

राज भाटिय़ा said...

तुमने कहा था हाल-ऐ-दिल हम बयाँ करें
हम पूरी रात तुम को बताते चले गए...
क्या बात है बहुत सुंदर.
धन्यवाद

Birds Watching Group said...

yaad aa gayaa bachpan
maa ki god
loriyaan suhaani
fir dadi ki kahaaniyaa pyaari
syaah andhera raat ka darr
papa ka hoslaa dilaana

bhai wah khub likhaa aapne

प्रदीप मानोरिया said...

हमेशा की तरह बहुत सुंदर

मोहन वशिष्‍ठ said...

पलकों पे आए और भिगाते चले गए,
आंसू तुम्हारे फूल खिलाते चले गए..

तुमने कहा था हाल-ऐ-दिल हम बयाँ करें
हम पूरी रात तुम को बताते चले गए...

मुद्द्त के बाद बोझील पलकें हो जो रही,
हम लोरियों से तुम को सुलाते चले गए...

तुम्ही को सोचते हुए रहने लगे हैं हम,
तुम्ही के अक्स दिल में बसाते चले गए....

अब यूँ सता रहा है हमें एक ख़याल ही,
हम तुम पे अपना बोझ बढाते चले गए ........

बस मन को दिल को छू गई

नीरज गोस्वामी said...

मुद्द्त के बाद बोझील पलकें हो जो रही,
हम लोरियों से तुम को सुलाते चले गए...
बेहतरीन रचना...और साथ में मुग़ल-ऐ-आज़म की फोटो...याने सोने पे सुहागा...वाह...
नीरज

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

तुमने कहा था हाल-ऐ-दिल हम बयाँ करें
हम पूरी रात तुम को बताते चले गए...

वाह! लाजवाब...।

Anonymous said...

MAIN AAPKO BHARPORR DAAD DETA HOON.
KUCHH KHAAMION KE BAAVJOOD AAPNE
EK KHAYAAL MEIN ACHCHHEE GAZAL KAHNE KEE KAUSHISH KEE HAI.AAPKEE
GAZAL KO PADHKAR MAJROOH SULTANPURI
AUR SAHIR LUDHIANVI KEE KRAMSHA YEH
GAZLEN YAAD AA GAYEE HAIN-----
HUM BEKHUDEE MEIN TUMKO PUKARE
CHALE GAYE
-------------------
HAR FIQR KO DHUYEN MEIN UDAATAA
CHALA GAYAA

Bahadur Patel said...

bahut badhiya likha hai apane.badhai.

Anonymous said...

सुंदर प्रस्तुति के लिए साधुवाद.

अनुपम अग्रवाल said...

तुम्ही को सोचते हुए रहने लगे हैं हम,
तुम्ही के अक्स दिल में बसाते चले गए....
तुमने कहा था हाल-ऐ-दिल हम बयाँ करें
हम पूरी रात तुम को बताते चले गए...
क्या क्या ना कोशिशें की भुलानें की तुझे
बहके ख्याल तो इस कदर आते चले गए ....

zeashan haider zaidi said...

Very Nice, Lekin is laain ko kuch aur khoobsoorat baniye
मुद्द्त के बाद बोझील पलकें हो जो रही,

sandeep sharma said...

पलकों पे आए और भिगाते चले गए,
आंसू तुम्हारे फूल खिलाते चले गए..

तुमने कहा था हाल-ऐ-दिल हम बयाँ करें
हम पूरी रात तुम को बताते चले गए...

बेहद खूब...

Alpana Verma said...

bahut hi sundar likha hai..aur kavita ke saaath jo chitr diye hain....wah!kya kahne!
aap ke pictures collection ki main waise hi fan hun--ab AC ho gayee!
mughle-azam ki tasweer ne poora scene yaad dila diya --laga kavita bol uthi ho...

pANKAJ said...

तुमने कहा था हाल-ऐ-दिल हम बयाँ करें
हम पूरी रात तुम को बताते चले गए...

BrijmohanShrivastava said...

नया साल आपको मंगलमय हो

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

नत मस्तक हूं आपकी सोच के आगे. बहुत खूब.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

एक बात और , ये जो फोटो आपने लगाई है, दो हाथों के बीच एक फ्रेम और उसमें भी सम्भवत: आपकी ही है, ये सूक्ष्मता भी देखते ही बनती है.

!!अक्षय-मन!! said...

हम उन पर अपना बोझ बढाते चले गए बहुत ही अच्छा लिखा है इस व्यथा मे जी पाना मुश्किल है,,
न उनसे अलग हो सकते और नाही उनसे कुछ कहे सकते खामोश्यां वो समझते नही और दिल की जुबान खामोश्यों की ही एक भाषा जानती है....
कैसे उनका क़र्ज़ चुकाएं.....?


अक्षय-मन

Arvind Mishra said...

अब तलक तो सब प्रशंसा उक्तियाँ /उपमाएं जूठी हो गयीं हैं मैं कैसे प्रशंसा करुँ ?

बवाल said...

अब यूँ सता रहा है हमें एक ख़याल ही,
हम तुम पे अपना बोझ बढाते चले गए ........
बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही सीमाजी, क्या कहना !

और आपकी इस बात के सम्मान में चन्द मिसरे
दर्ज किए देता हूं जी--

तुम हम पे कहां कुछ (बोझ), बढा़ते चले गए ?
ग़लत ! तुम तो अहसान, लाते चले गए
हमीं ने न समझा, हाले-दिल तुम्हारा
मगर तुम थे, ख़्वाबों में आते चले गए...

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

अब यूँ सता रहा है हमें एक ख़याल ही,
हम तुम पे अपना बोझ बढाते चले गए ........
छी-छी-छी........इसको बोझ थोड़ा ही ना कहतें हैं.....ये तो प्यार है.....और इक प्यार भरी जिम्मेवारी.........!!

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

अब यूँ सता रहा है हमें एक ख़याल ही,
हम तुम पे अपना बोझ बढाते चले गए ........
छी-छी-छी........इसको बोझ थोड़ा ही ना कहतें हैं.....ये तो प्यार है.....और इक प्यार भरी जिम्मेवारी.........!!