12/12/2008

मौन का उपवास



"मौन का उपवास"

अनुभूतियों का आचरण

शालीन सभ्य सह्रदय हुआ,

और भावः भी चुप चाप हैं,

अधरों पे आके थम गया

शब्दों का बढ़ता कारवां,

स्वर कंठ में लुप्त हुए,

क्या "मौन" का उपवास है


http://swargvibhaeditions.t35.com/jan2009/kavita/seema%20gupta.html

34 comments:

Rakesh Kaushik said...

today i hav no word to express how is ur lines. these r unspeechable.

u tell me only one thing. how u can think so deeply. out of my thought.

if u hav answer thn plz tell me?
i also try to think like tht.



Rakesh Kaushik

Anonymous said...

स्वर कंठ में लुप्त हुए,
क्या "मौन" का उपवास है..

बेहतरीन!!

ताऊ रामपुरिया said...

"मौन का उपवास" किसी भी बुद्ध की अन्तिम परिणिती है ! जीवन मे इससे बडी बात कुछ भी हो नही सकती ! इसी स्थिति के लिये तो योगी पुरुष अपने जन्मो को खपा देते हैं !

बहुत ऊंची बात कही गई आज तो ! इसिलिये कहते हैं कि कवि/शायर के मुंह से परमात्मा ही बोलता है !

राम राम !

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

स्वर कंठ में लुप्त हुए,
क्या "मौन" का उपवास है??
कंठ भी...और शब्दों का लुप्त हो जाना भी....??ये कब होता है....जब.....दिल कुछ कहना नहीं चाहता....चुप्पा हो जाता है....दिल जब चुप्पा हो जाता है.....तो जुबां का उपवास....जबान का छुपा होना ही तो मौन होना है...अब ये मौन का भी उपवास....ये क्या बला है भई....जानना चाहता हूँ कि मौन भी उपवासा हो जाता है...तब कैसा दीखता होगा...वैसे इस पंक्ति ने भाव को गहरा भी कर दिया...और "एब्स्ट्रेक्ट" भी.....अच्छी लग गई फिर इक बार आपकी कविता....सच....!!

Vinay said...

amazing!

Manuj Mehta said...

माफ़ी चाहूँगा, काफी समय से कुछ न तो लिख सका न ही ब्लॉग पर आ ही सका.

आज कुछ कलम घसीटी है.

आपको पढ़ना तो हमेशा ही एक नए अध्याय से जुड़ना लगता है. आपकी लेखनी की तहे दिल से प्रणाम.

मीत said...

बहुत, बहुत, बहुत, बहुत, बहुत, बहुत, बहुत, बहुत, बहुत, बहुत, बहुत, बहुत, बहुत, बहुत, बहुत, बहुत, बहुत सुंदर...

दिल को छू गया एक-एक शब्द...
---मीत

रंजू भाटिया said...

क्या "मौन" का उपवास है
मौन का उपवास .बहुत ही बढ़िया बात लिखी है आपने इस में

Gyan Dutt Pandey said...

मौन का उपवास?! हमारा मौन तो कुपोषित है। :(

नीरज गोस्वामी said...

क्या "मौन" का उपवास है
अद्भुत शब्द...वाह...
नीरज

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

पीडा के अंकुर को पल्लवित होने दो,
मौन को मुखरित होने दो.

P.N. Subramanian said...

ए कमाल तो आप ही कर सकती हो. मौन का भी उपवास, यह हमारी कल्पना के भी बाहर है. आभार.

डॉ .अनुराग said...

मौन का उपवास........क्या बात है मोहतरमा !

Arvind Mishra said...

अद्भुत ,अकल्पनीय !

मोहन वशिष्‍ठ said...

शब्दों का बढ़ता कारवां,

स्वर कंठ में लुप्त हुए,

क्या "मौन" का उपवास है

अति सुंदर बेहतरीन रचना

Smart Indian said...

क्या "मौन" का उपवास है
बहुत सुंदर!

Birds Watching Group said...

sochataa hun fariyaal kar le maujhe upvaas karte nahi aayegaa to.........

"अर्श" said...

उम्दा लेखन बहोत ही बढ़िया भाव भरा हुआ है ...ढेरो बधाई आपको...

अर्श

महेन्द्र मिश्र said...

शब्दों का बढ़ता कारवां,
स्वर कंठ में लुप्त हुए,
क्या "मौन" का उपवास है .
सुंदर बेहतरीन रचना.

बवाल said...

आदरणीय सीमाजी,
आज बस आपने ग़ज़ब कर दिया है. "मौन का उपवास" ! न न आज से आपके लिये मन में आदर और और बढ़ गया. मेरा सादर प्रणाम स्वीकार करें, इस मौन के उपवास पर. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति और बहुत ही पैना विश्वास.

विवेक सिंह said...

मौन का उपवास अब तोड दें . थोडा फलाहार करने दें उसे :)

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

िजंदगी की सच्चाई को आपने बडे मामिॆक तरीके से शब्दबद्ध किया है । अच्छा िलखा है आपने । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है-आत्मिवश्वास के सहारे जीतें िजंदगी की जंग-समय हो तो पढें और प्रितिक्रया भी दें-

http://www.ashokvichar.blogspot.com

राज भाटिय़ा said...

स्वर कंठ में लुप्त हुए,
क्या "मौन" का उपवास है..
ओर यह मॊन का उपवास बहुत कुछ कह रहा है, बहुत खुब.
धन्यवाद

कुन्नू सिंह said...

ही..ही... बहुत बढीया

स्वर कंठ में लुप्त हुए,
क्या " मौन " का उपवास है

सोच के बताउंगा।

महावीर said...

सुंदर काव्य-कौशल, अनुपम शब्द-योजना, अद्भुत रचना-चातुर्य और अनूठी भावाभिव्यंजकता से भरी हुई एक उत्कृष्ट रचना है। बधाई।
महावीर शर्मा

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी said...

सीमा,

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति है, बहुत सुंदर शब्दों का और भावों का गूँथना। पहली छ: पंक्तियों की तो तुलना ही नहीं।

मगर मौन का उपवास - ये ठीक से समझ नहीं आया।

अनूप शुक्ल said...

अधरों पे आके थम गया
कब आगे बढ़ेगा?

अच्छा है।

seema gupta said...

" यहाँ उपस्थित अभी आदरणीयजनों के प्रोत्साहन और आशीर्वाद के लिए दिल से आभारी हूँ"

regards

प्रदीप मानोरिया said...

शब्दों का बढ़ता कारवां,

स्वर कंठ में लुप्त हुए,

क्या "मौन" का उपवास है
hameshaa की तरह की तरह गहरे विचार सुंदर शब्द संयोजन

प्रदीप मानोरिया said...

शब्दों का बढ़ता कारवां,

स्वर कंठ में लुप्त हुए,

क्या "मौन" का उपवास है
hameshaa की तरह की तरह गहरे विचार सुंदर शब्द संयोजन

!!अक्षय-मन!! said...

bahut hi sundar abhivyakti ha....
khamoshi ko bahut hi sarthak shabd mile hain ye khamoshi aapki shukrgujaar hai samajh to sakte ho is khamoshi ko aap.............

Mukesh Garg said...

"moun ka upwas"


atti suder rachna


bahut achha laga padh kar,,







ek bar firse dhero badhiya savikar kare

makrand said...

good composition

अनुपम अग्रवाल said...

शब्दों का बढ़ता कारवां,
स्वर कंठ में लुप्त हुए,
बस "मौन" का ही वास है