12/10/2008

"मायाजाल"

" मायाजाल"

ह्रदय के मानचित्र पर पल पल
तमन्नाओं के प्रतिबिम्ब उभरते रहे,
यथार्थ को दरकिनार कर
कुछ स्वप्नों ने सांसे भरी...
छलावों की हवाएं बहती रही
बहकावे अपनी चाल चलते रहे,
कायदों को सुला , उल्लंघन ने
जाग्रत हो अंगडाई ली..
द्रढ़निश्चयता का उपहास कर
संकल्प मायाजाल में उलझते रहे,
ह्रदय के मानचित्र पर पल पल
तमन्नाओं के प्रतिबिम्ब उभरते रहे...

32 comments:

ताऊ रामपुरिया said...

द्रढ़निश्चयता का उपहास कर
संकल्प मायाजाल में उलझते रहे,
ह्रदय के मानचित्र पर पल पल
तमन्नाओं के प्रतिबिम्ब उभरते रहे..

बहुत खूबसुरती से मानविय मन को अभिव्यक्त किया आपने ! अक्सर जीवन मे ऐसा ही द्वन्द चलता रहता है !

राम राम !

Smart Indian said...

ह्रदय के मानचित्र पर पल पल
तमन्नाओं के प्रतिबिम्ब उभरते रहे...
Excellent!

MANVINDER BHIMBER said...

द्रढ़निश्चयता का उपहास कर

संकल्प मायाजाल में उलझते रहे,

ह्रदय के मानचित्र पर पल पल

तमन्नाओं के प्रतिबिम्ब उभरते रहे...
bahut sunder shabad hai Seema ji

Rakesh Kaushik said...

kitni comlicated bhavnao lo kitne comlicated shabdo me kitni asani se bahar nikal diya. ye to vakai kabile tareef hai.

"Lady Galib" u r superb today

Rakesh Kaushik

Anonymous said...

Kalpanaon ki ek aur unchi udaan..
Me bhi saath saath uda , you are imposible...

Great Piece of Work!

Anonymous said...

सुबह-सुबह इत्ता सारा कुछ हो गया! वाह!

vijay kumar sappatti said...

seema

shabd ji uthe hai aapki is nazm mein ... main kya kahun ..

subah subah itni acchi meeti rachna padne ko mili ..
badhai

vijay
poemsofvijay.blogspot.com

makrand said...

तमन्नाओं के प्रतिबिम्ब उभरते रहे...

great composition
regards

Anil Pusadkar said...

वाह क्या बात है।

Anonymous said...

तम्मनाओं के प्रतिबिम्ब उभरते रहे..

उम्मीद कायम रहे..

बहुत खुब...

नीरज गोस्वामी said...

द्रढ़निश्चयता का उपहास कर
संकल्प मायाजाल में उलझते रहे
शब्दों से वो कमाल करती हैं आप की बस देखते ही बनता है...वाह.
नीरज

Anonymous said...

asmanjas ki bayaar bahi
aur tamannaye
rahi vahin ki vahin

ullaghan seema kaa jaroori tha
kayde jo na the haraane ko kahin

मीत said...

sunder...
---meet

डॉ .अनुराग said...

पूरा जीवन ही माया जाल है

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

द्रढ़निश्चयता का उपहास कर

संकल्प मायाजाल में उलझते रहे,
बिलकुल ठीक कहा आपने संकल्प मायाजाल मे ही उलझ जाते है हर किसी के

बवाल said...

द्रढ़निश्चयता का उपहास कर
संकल्प मायाजाल में उलझते रहे

आपके शब्दों, चित्रों और अतिसुन्दर प्रस्तुतिकरण का जवाब बस आपके ही पास पाया जा सकता है. है ना ? बहुत बेह्तरीन बहुत ख़ूब सीमाजी.

मोहन वशिष्‍ठ said...

ह्रदय के मानचित्र पर पल पल
तमन्नाओं के प्रतिबिम्ब उभरते रहे...

शब्‍द बताओ तारीफ के लिए बस अच्‍छे भाव शब्‍दों का तालमेल बधाईयां जी तुहानूं

विष्णु बैरागी said...

छलावों की हवाएं बहती रही

बहकावे अपनी चाल चलते रहे,

कायदों को सुला , उल्लंघन ने

जाग्रत हो अंगडाई ली

सुन्‍दर भावनाएं और उतनी ही सुन्‍दर शब्‍दावली ।

समय चक्र said...

सुन्‍दर भावनाएं..... बेह्तरीन.

"अर्श" said...

ये बहोत ही बढिया प्रस्तुति आपके द्वारा ..... बहोत खूब लिखा है आपने ... ढेरो बधाई आपको....

अर्श

Gyan Dutt Pandey said...

बेहतरीन। शब्द और चित्र संयोजन कोई आपसे सीखे।

Gyan Dutt Pandey said...

बेहतरीन! शब्द और चित्र संयोजन कोई आप से सीखे!

amitabhpriyadarshi said...

maya jaal achha laga. kaas hum mayajaalon se ubar pate.
aap ka mere blog par swagat hai:
http://amitabhpriya.blogspot.com/
http://khaalipanne.blogspot.com/

Vinay said...

सरस हिन्दी शब्द प्र्योग से कविता सुन्दर बन पड़ी है!

प्रदीप मानोरिया said...

कायदों को सुला , उल्लंघन ने
जाग्रत हो अंगडाई ली..
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

vipinkizindagi said...

bahut achchi rachna hai

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

soch raha hoon ki roj-roj naye shabd kahan se laaon.

राज भाटिय़ा said...

ह्रदय के मानचित्र पर पल पल
तमन्नाओं के प्रतिबिम्ब उभरते रहे..
वाह क्या बात है....
सीमा जी हम सब इस माया जाल मे ही तो उलझे है...
धन्यवाद

Alpana Verma said...

यथार्थ को दरकिनार कर
कुछ स्वप्नों ने सांसे भरी...
छलावों की हवाएं बहती रही
बहकावे अपनी चाल चलते रहे,

bahut hi sundar likha hai Seema ji..kavita mein bhaav blo uthey hain.badhayee

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

ऊपर जिन्होंने भी....जितनी भी तिप्पिनीयां दीं हैं....उन्हें मेरी ही मान लें ना ....प्लीज़...मैं तो कुछ लिख ही नहीं पा रहा....सच...!!

Mukesh Garg said...

sach kaha aapne hirdiye or jiwan main isi trha ka davand chalta rehta hai..




badhiya

Mukesh Garg said...

bahut sunder