12/04/2008

शब्दों की वादियाँ



"शब्दों की वादियाँ"

शब्दों की वादियों मे
विचरता ये मन ,
खोज रहा कुछ ऐसे कण ,
जो सजा सके मनोभावों को,
चाहत के सुंदर साजों को,
लुकती छुपती अभिलाषा को,
नैनो मे दुबकी जिज्ञासा को,
सिमटी सकुचाई आशा को,
निश्चल प्रेम की भाषा को,
शब्दों की वादियों मे
विचरता ये मन ,
खोज रहा कुछ ऐसे कण............

32 comments:

Rakesh Kaushik said...

shabdo ka combination achcha hai. imagination ne sma bandh diya hai. lekin aap hamesha ye khone par hi kyon likhti hai samajh k bahar ki baat hai. lekin jitna aapki rachna ko padhta hu aur padhne ki ichcha utpann hoti jati hai.

bahut hi achchi kavita hai..



keep it on lady

Rakesh Kaushik

संजय शर्मा said...

मिल जाने पर भी मन न जाने क्या-क्या और क्यों ढूढता है. मुझे तो सब वो कुछ मिला आपकी कविता में जिसे आप ढूढ़ रही है .धन्यवाद !

Anonymous said...

लुकती छुपती अभिलाषा को,
नैनो मे दुबकी जिज्ञासा को,
सिमटी सकुचाई आशा को,
निश्चल प्रेम की भाषा को,
bahut badhiya sundar shabdonka prayog.

रंजू भाटिया said...

नैनो मे दुबकी जिज्ञासा को,
सिमटी सकुचाई आशा को,
निश्चल प्रेम की भाषा को,
शब्दों की वादियों मे
विचरता ये मन ,
खोज रहा कुछ ऐसे कण............

सुंदर लगी आपकी यह रचना

ताऊ रामपुरिया said...

शब्दों की वादियों मे
विचरता ये मन ,
खोज रहा कुछ ऐसे कण ,
जो सजा सके मनोभावों को,

काश वो शुकून मिल पाता ! ये खोज जीवन में निरंतर जारी रहती है !

रामराम !

मोहन वशिष्‍ठ said...

शब्दों की वादियों मे
विचरता ये मन ,
खोज रहा कुछ ऐसे कण ,
जो सजा सके मनोभावों को,

काश.............
बधाई

मोहन वशिष्‍ठ said...

वैसे एक बात तो है सीमा जी आपके पास शब्‍दों का अथाह सागर होने के साथ उनमें अथाह फोटो बढिया तरह के भी सम्मिलित हैं

बवाल said...

बहुत ख़ूब सीमाजी,
शब्दों और मनोभावों का अद्वितीय संगम और चित्रण आपसे बेहतर कहाँ मिलेगा ?

manvinder bhimber said...

सिमटी सकुचाई आशा को,
निश्चल प्रेम की भाषा को,
शब्दों की वादियों मे
विचरता ये मन ,
खोज रहा कुछ ऐसे कण............

bahut khoobsurt bayaanee hai...seema ji

समयचक्र said...

शब्दों की वादियों मे
विचरता ये मन,
खोज रहा कुछ ऐसे कण,
जो सजा सके मनोभावों को,
bahut sundar bhaav seemaji . shabdo ki jadoogiri or chiro ka samavesh karana to koi apse seekhe.
umda.

Anonymous said...

सच में मन मोह लिया है
आपकी इस मोहक रचना ने
शब्‍द संयोजन बेहद गजब का है
इसका एहसास अजब सा है

मीत said...

शब्दों की वादियों मे
विचरता ये मन ,
खोज रहा कुछ ऐसे कण
निश्चल प्रेम की भाषा को,
सुंदर...



---मीत

Gyan Dutt Pandey said...

मुझे भी लगता है कि शब्द बहुत महत्वपूर्ण हैं। अन्यथा भाव अभिव्यक्त करना बहुत दुरुह होता।

Unknown said...

सीमा जी, .....................
बहुत आवारा है मेरा मन और भूल जाता है हवाओं में घटाओं में कभी जज़्बात की बाँहों में ....और नए नए सपने तराशने लगता है...

शब्दों का सफर आपका बहुत प्यारा है. उसमें शिद्दत का जो अहसास आप जीती हैं, वे बिरले दिलवाले ही महसूस कर सकते हैं. आपके ख्यालात रूमामी हैं पर उनमें हकीकत का आसमां दिखता है. मैं कभी-कभी आपको पढ़कर खुद से शेर-ओ-शायरी करने लगता हूं.

आपके लिए.............दो लाइनें

किससे करें शिकायत जो छत से गिर पड़े
हमने ही तो उड़ाई थी पतंग-ए-शौकिया



फुरसत मिले तो बताइएगा, गुस्ताख को माफ करते हुए..............

Arvind Mishra said...

अच्छी है !

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

वाह और सिर्फ वाह के सिवा कुछ नहीं कहूंगा.

Anonymous said...

kan _ kshan hota to?
man _ jiska or hai na chhor.
chaahat, abhilaashaa, jigyaasaa, aashaa,ke sath gar ehsaas aur maksad bhi hotaa kash?
prem ki bhashaa liye vichartaa yah man kuchh pal kahin thahar jo jataa?
sundartaa ke liye jaroorat thi ehsaas ki,
par maksad achaanak hi vyakt ho gayaa.

"अर्श" said...

बहोत खूब ,बहोत ही बढ़िया कविता लिखी है आपने, मैं भी कुछ ऐसी ही शब्दों की वादिओं में बिचरण कर रहा हूँ... ढेरो बधाई आपको ..........

पूनम श्रीवास्तव said...

Seema ji,
Shabdon Kee Vadiyan...bahut hi bhavpoorna kavita likhi ha.
Meree hardik badhai.
Poonam

Vinay said...

ख़्याल बहुत उम्दा है!

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही सुंदरता से सजाया है आप ने अपने जजबातो को.
धन्यवाद

Anonymous said...

BAHUT DINON KE BAAD EK ACHCHHEE
KAVITA PADHEE HAI.KISEE CHHAND-
BAHAR MEIN N HOTE BHEE SARITA KAA
PRAVAH HAI US MEIN.MEREE DAAD
SVEEKAAR KAREN.

Anonymous said...

सुन्दर! मिले शब्द!

जितेन्द़ भगत said...

सही कहा-
निश्चल प्रेम की भाषा को,
शब्दों की वादियों मे
विचरता ये मन ,
खोज रहा कुछ ऐसे कण............

seema gupta said...

" आप सभी के आशीर्वाद और प्रोत्साहन का शुक्रिया"

Regards

तरूश्री शर्मा said...

शब्दों की वादियों मे
विचरता ये मन ,
खोज रहा कुछ ऐसे कण ,
जो सजा सके मनोभावों को

आप तो वैसे ही शब्दों और मनोभावों की धनी मालूम होती हैं। आपी खोज कुछ गले नहीं उतरती। लेकिन हां मानती हूं...कई कई बार भावों को गूंथने के लिए शब्दों का चयन आसान नहीं रहता।

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

rangkarmi par comment hai.late aaya sab kuchh sabhee ne read kar liya.

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

खोजते-खोजते मिल ही जाते हैं अक्सर...प्यारे-प्यारे ऐसे ही दुर्लभ और अनमोल क्षण... और भीग जाता है पुलकित होकर अपना मन....!!

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

बहुत अच्छी रचना है आपकी । भाव की प्रखर अिभव्यिक्त है ।

http://www.ashokvichar.blogspot.com

Smart Indian said...

शब्दों की वादियों मे
विचरता ये मन ,
खोज रहा कुछ ऐसे कण

इस खोज का नाम ही जीवन है शायद.

Mukesh Garg said...

sabdo ki vadiya,

wah kiya kuhb likha hai , kiya naam diya hai sach main is too good....



ek bar firse dhero badhiya

अभिन्न said...

In the Valley of words
These swirling mind,Looking for some particles which can express with dignitybeautiful anthem of love, Hidden ambition of life
Suppressed curiosity in the eyes
Static language of silence,
In terms of the litigantsThese swirling mind, Looking for ......
.....( courtsy: seema gupta)
aapke shabdon ka anuvaad aap hi ki kalam jyada prabhavi kar sakti hai,dvi rangi fizan ka ltf hum lena kyun chhode.....u r really a rocking writer