12/01/2008

"सरहदे-इश्क़"



"सरहदे-इश्क़"

है ये शो'ला या के चिंगारी है,
आतश-अंगेज़ बेक़रारी है ...

यूँ निगाहों से ना गिराएँ हमें,
चोट ज़िल्लत से भी करारी है ...

के शिकन आपके चेहरे पे पड़े
दिल पे अपने ये बात भारी है ...

सरहदें इश्क़ की न ठहराएँ
इश्क़ से काइनात हारी है ....

हमने क्या कर दिया जो क़ाइल हैं
आप पर जान ही तो वारी है ...
(आतश-अंगेज़ - आग भड़काने, उत्तेजित करने वाली
ज़िल्लत - अपमान, तिरस्कार

काइनात - दुनिया
क़ाइल - अभिभूत
वारी - न्योछावर )



33 comments:

बवाल said...

क्या ब्बात है सीमाजी ! अहा !!
कोई मुकाबिला नहीं इन अल्फ़ाज़ों और साथ देती तस्वीरों का !
आलातरीन ग़ज़ल !!!!
छिड़ गयी रिंद में और, शैख़ में तौबा तौबा !
सामना हो गया, दीवाने का दीवाने से !!

Rakesh Kaushik said...

i think tht is true n u written in the very effetive way. i always fan of yours.the is really beautifull poem

in these line i can see the effect of recent bombay attack. coz u wriiten lots of poetry in these days but this time u focus on "sarhad" in ur lovely poem.

take care,


Rakesh Kaushik

नीरज गोस्वामी said...

यूँ निगाहों से ना गिराएँ हमें,
चोट ज़िल्लत से भी करारी है ...
वाह...कमाल लिखा है आपने...वाह.
नीरज

Satish Saxena said...

क्या बात है आपके अंदाज़ की ! शुभकामनायें !

Dev said...

हमने क्या कर दिया जो क़ाइल हैं
आप पर जान ही तो वारी है ...

Beautiful Words and lovable poem.
Regards

"अर्श" said...

सरहदें इश्क़ की न ठहराएँ
इश्क़ से काइनात हारी है ....

बहोत खूब लिखा है आपने बहोत ही सुंदर और भाव भरे,ढेरो बधाई आपको ....

ताऊ रामपुरिया said...

सरहदें इश्क़ की न ठहराएँ
इश्क़ से काइनात हारी है ....

बहुत लाजवाब !

रामराम !

Udan Tashtari said...

सरहदें इश्क़ की न ठहराएँ
इश्क़ से काइनात हारी है ....

--वाह वाह!! बहुत उम्दा गज़ल बनी है..बधाई.

Anonymous said...

के शिकन आपके चेहरे पे पड़े
दिल पे अपने ये बात भारी है ...


सरहदें इश्क़ की न ठहराएँ
इश्क़ से काइनात हारी है
waah bahut badhiya

महेंद्र मिश्र.... said...

आपके अंदाज़ के क्या कहने है . लाजबाब बधाई

Ashok Pandey said...

सरहदें इश्क़ की न ठहराएँ
इश्क़ से काइनात हारी है ....

हमने क्या कर दिया जो क़ाइल हैं
आप पर जान ही तो वारी है ...

हमेशा की तरह आपने बहुत अच्‍छा लिखा है।

!!अक्षय-मन!! said...

shabdon mei kuch alag si utejna aa gai hai desh ko dekhte hue...
ek dard bhi pyar bhi aur kuch karne ka honsla bhi......
bahut hi pyari rachna...


sirf nari ke sine mei hi dil aur wo shakti kyun hoti hai......?

wo hi samajhti hai jisne khoya hai apna
beta,apni beti,apna bhai,apna pati phir bhi
wo hi kyun aage badti hai..

uske paas dil bhi hai aur shakti bhi apne aap mei har jagha purn har tarf se viksit.....


->adhura mein huin bas "main"...

shkti hai to dil nahi kisi ko bhi nahi dekhta kisi ko bhi nahi bakshta....

aur dil hai to shakti nahi kisi par julm hote dekh to sakta hai

aur char aansu baha sakta hai par us julm rok nahi sakta na koshish karta rokne ki.....

ye "main" huin "main" ek "aadmi"

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

kya khoob kahi

Anonymous said...

सरहदें इश्क़ की न ठहराएँ
इश्क़ से काइनात हारी है ....

शानदार!

मीत said...

ishk aag ka dariya bhi hai or doob ke jana hai...
--- meet

Gyan Dutt Pandey said...

बहुत शानदार शब्द पिरोये हैं जी। बहुत ही सुन्दर।

sandeep sharma said...

बेहतरीन शायरी...

Anonymous said...

you have a very creative and beautiful writing. Your writing depict your feelings while writing.Thanks for your great creativity.
Regards

Vikash said...

"यूँ निगाहों से ना गिराएँ हमें,
चोट ज़िल्लत से भी करारी है ..."

बहुत उम्दा. :) मजा आ गया पढ़कर.

राज भाटिय़ा said...

यूँ निगाहों से ना गिराएँ हमें,
चोट ज़िल्लत से भी करारी है ...
बहुत सुंदर
धन्यवाद

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

आपने बहुत अच्छा िलखा है । शब्दों में यथाथॆ की अिभव्यिक्त है । साथ ही कई प्रश्न उठाकर आपने सामाियक संदभोॆं से मन को झकझोर िदया है । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है । समय हो तो पढें और प्रितिक्रया भी दें -
http://www.ashokvichar.blogspot.com

हें प्रभु यह तेरापंथ said...

शिमाजी गुप्ता,
है ये शो'ला या के चिंगारी है,
आतश-अंगेज़ बेक़रारी है ...
पढकर बहुत ही accha laga. ..very good wishes to you .hope to see you writing more and more of this kind.please visit my blog HEY PRABHU YEH TERAPATH & "MY BLOG" (http://ctup.blog.co.in) I also want to comment on my blog.
Thank you and god bless you.

Smart Indian said...

यूँ निगाहों से ना गिराएँ हमें,
चोट ज़िल्लत से भी करारी है ...
बहुत सही!

Anonymous said...

Very nice .....

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया....

अभिन्न said...

एक एक शेर वज़नदार है
सरहदें इश्क़ की न ठहराएँ
इश्क़ से काइनात हारी है ....

क्या खूब कहा गया है

अभिन्न said...

एक एक शेर वज़नदार है
सरहदें इश्क़ की न ठहराएँ
इश्क़ से काइनात हारी है ....

क्या खूब कहा गया है

makrand said...

great lines again

Anonymous said...

सरहदें इश्क़ की न ठहराएँ
इश्क़ से काइनात हारी है ....

aur ishk ke maayne hum hindustaaniyon se jyaadaa kaun samaz saktaa hai?

Vinay said...

बहुत सही!

Anonymous said...

सीमा जी
आप तो शब्दों से बहुत खूबसूरत अंदाज में खेलती हैं

आपने सच लिखा है--------------------
सरहदें इश्क़ की न ठहराएँ
इश्क़ से काइनात हारी है ....

काफी पहले एक फिल्म देखी थी-रिफ्यूजी
उसका एक गीत है-पंछी नदिया है पवन के झोके................

यह आपकी रचना पर मेरी समझ से ठीक बैठता है

Mukesh Garg said...

bahut kuhb seema ji,
bahut hi acchi lagi ye rachna ,

sabd nhi mil rahe but bahut accha laga padh kar

dher sari subhkanye

Mukesh Garg said...

yuu to puri rachna hi acchi lagi but in lineo ki to baat hi kiya he

kiya kehne is line ke subhan allha

हमने क्या कर दिया जो क़ाइल हैं
आप पर जान ही तो वारी है ...


wah wah kiya kuhb likha he jaan hi to wari he