"सरहदे-इश्क़"
है ये शो'ला या के चिंगारी है,
आतश-अंगेज़ बेक़रारी है ...
आतश-अंगेज़ बेक़रारी है ...
यूँ निगाहों से ना गिराएँ हमें,
चोट ज़िल्लत से भी करारी है ...
चोट ज़िल्लत से भी करारी है ...
के शिकन आपके चेहरे पे पड़े
दिल पे अपने ये बात भारी है ...
दिल पे अपने ये बात भारी है ...
सरहदें इश्क़ की न ठहराएँ
इश्क़ से काइनात हारी है ....
इश्क़ से काइनात हारी है ....
हमने क्या कर दिया जो क़ाइल हैं
आप पर जान ही तो वारी है ...
(आतश-अंगेज़ - आग भड़काने, उत्तेजित करने वाली
ज़िल्लत - अपमान, तिरस्कार
काइनात - दुनिया
क़ाइल - अभिभूत
वारी - न्योछावर )
आप पर जान ही तो वारी है ...
(आतश-अंगेज़ - आग भड़काने, उत्तेजित करने वाली
ज़िल्लत - अपमान, तिरस्कार
काइनात - दुनिया
क़ाइल - अभिभूत
वारी - न्योछावर )
33 comments:
क्या ब्बात है सीमाजी ! अहा !!
कोई मुकाबिला नहीं इन अल्फ़ाज़ों और साथ देती तस्वीरों का !
आलातरीन ग़ज़ल !!!!
छिड़ गयी रिंद में और, शैख़ में तौबा तौबा !
सामना हो गया, दीवाने का दीवाने से !!
i think tht is true n u written in the very effetive way. i always fan of yours.the is really beautifull poem
in these line i can see the effect of recent bombay attack. coz u wriiten lots of poetry in these days but this time u focus on "sarhad" in ur lovely poem.
take care,
Rakesh Kaushik
यूँ निगाहों से ना गिराएँ हमें,
चोट ज़िल्लत से भी करारी है ...
वाह...कमाल लिखा है आपने...वाह.
नीरज
क्या बात है आपके अंदाज़ की ! शुभकामनायें !
हमने क्या कर दिया जो क़ाइल हैं
आप पर जान ही तो वारी है ...
Beautiful Words and lovable poem.
Regards
सरहदें इश्क़ की न ठहराएँ
इश्क़ से काइनात हारी है ....
बहोत खूब लिखा है आपने बहोत ही सुंदर और भाव भरे,ढेरो बधाई आपको ....
सरहदें इश्क़ की न ठहराएँ
इश्क़ से काइनात हारी है ....
बहुत लाजवाब !
रामराम !
सरहदें इश्क़ की न ठहराएँ
इश्क़ से काइनात हारी है ....
--वाह वाह!! बहुत उम्दा गज़ल बनी है..बधाई.
के शिकन आपके चेहरे पे पड़े
दिल पे अपने ये बात भारी है ...
सरहदें इश्क़ की न ठहराएँ
इश्क़ से काइनात हारी है
waah bahut badhiya
आपके अंदाज़ के क्या कहने है . लाजबाब बधाई
सरहदें इश्क़ की न ठहराएँ
इश्क़ से काइनात हारी है ....
हमने क्या कर दिया जो क़ाइल हैं
आप पर जान ही तो वारी है ...
हमेशा की तरह आपने बहुत अच्छा लिखा है।
shabdon mei kuch alag si utejna aa gai hai desh ko dekhte hue...
ek dard bhi pyar bhi aur kuch karne ka honsla bhi......
bahut hi pyari rachna...
sirf nari ke sine mei hi dil aur wo shakti kyun hoti hai......?
wo hi samajhti hai jisne khoya hai apna
beta,apni beti,apna bhai,apna pati phir bhi
wo hi kyun aage badti hai..
uske paas dil bhi hai aur shakti bhi apne aap mei har jagha purn har tarf se viksit.....
->adhura mein huin bas "main"...
shkti hai to dil nahi kisi ko bhi nahi dekhta kisi ko bhi nahi bakshta....
aur dil hai to shakti nahi kisi par julm hote dekh to sakta hai
aur char aansu baha sakta hai par us julm rok nahi sakta na koshish karta rokne ki.....
ye "main" huin "main" ek "aadmi"
kya khoob kahi
सरहदें इश्क़ की न ठहराएँ
इश्क़ से काइनात हारी है ....
शानदार!
ishk aag ka dariya bhi hai or doob ke jana hai...
--- meet
बहुत शानदार शब्द पिरोये हैं जी। बहुत ही सुन्दर।
बेहतरीन शायरी...
you have a very creative and beautiful writing. Your writing depict your feelings while writing.Thanks for your great creativity.
Regards
"यूँ निगाहों से ना गिराएँ हमें,
चोट ज़िल्लत से भी करारी है ..."
बहुत उम्दा. :) मजा आ गया पढ़कर.
यूँ निगाहों से ना गिराएँ हमें,
चोट ज़िल्लत से भी करारी है ...
बहुत सुंदर
धन्यवाद
आपने बहुत अच्छा िलखा है । शब्दों में यथाथॆ की अिभव्यिक्त है । साथ ही कई प्रश्न उठाकर आपने सामाियक संदभोॆं से मन को झकझोर िदया है । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है । समय हो तो पढें और प्रितिक्रया भी दें -
http://www.ashokvichar.blogspot.com
शिमाजी गुप्ता,
है ये शो'ला या के चिंगारी है,
आतश-अंगेज़ बेक़रारी है ...
पढकर बहुत ही accha laga. ..very good wishes to you .hope to see you writing more and more of this kind.please visit my blog HEY PRABHU YEH TERAPATH & "MY BLOG" (http://ctup.blog.co.in) I also want to comment on my blog.
Thank you and god bless you.
यूँ निगाहों से ना गिराएँ हमें,
चोट ज़िल्लत से भी करारी है ...
बहुत सही!
Very nice .....
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया....
एक एक शेर वज़नदार है
सरहदें इश्क़ की न ठहराएँ
इश्क़ से काइनात हारी है ....
क्या खूब कहा गया है
एक एक शेर वज़नदार है
सरहदें इश्क़ की न ठहराएँ
इश्क़ से काइनात हारी है ....
क्या खूब कहा गया है
great lines again
सरहदें इश्क़ की न ठहराएँ
इश्क़ से काइनात हारी है ....
aur ishk ke maayne hum hindustaaniyon se jyaadaa kaun samaz saktaa hai?
बहुत सही!
सीमा जी
आप तो शब्दों से बहुत खूबसूरत अंदाज में खेलती हैं
आपने सच लिखा है--------------------
सरहदें इश्क़ की न ठहराएँ
इश्क़ से काइनात हारी है ....
काफी पहले एक फिल्म देखी थी-रिफ्यूजी
उसका एक गीत है-पंछी नदिया है पवन के झोके................
यह आपकी रचना पर मेरी समझ से ठीक बैठता है
bahut kuhb seema ji,
bahut hi acchi lagi ye rachna ,
sabd nhi mil rahe but bahut accha laga padh kar
dher sari subhkanye
yuu to puri rachna hi acchi lagi but in lineo ki to baat hi kiya he
kiya kehne is line ke subhan allha
हमने क्या कर दिया जो क़ाइल हैं
आप पर जान ही तो वारी है ...
wah wah kiya kuhb likha he jaan hi to wari he
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