9/29/2008

हवा





"हवा"

ये हवा कुछ ख़ास है, जो तेरे आस पास है,
मुझे छू, मेरा एहसास कराने चली आई ये हवा।

सारी रात मेरे साथ आँसुओं में नहाके,
मेरे दर्द की हर ओस को मुझसे चुराके,
मेरे ज़ख़्मों का हिसाब तेरे पास लाई ये हवा,

ख़ामोश तन्हा से अफ़सानों को अपने लबों पे लाके,
मेरे मुरझाते चेहरे की चमक को मुझसे छुपाके,
भीगे अल्फ़ाज़ों को तुझे सुनाने चली आई ये हवा,
ये हवा कुछ ख़ास है, जो तेरे आस पास है।

तेरे इंतज़ार में सिसकती इन आँखों को सुलगाके,
कुछ तपती झुलसती सिरहन मे ख़ुद को भीगाके,
जलते अँगारों से तुझे सहलाने चली आई ये हवा,
ये हवा कुछ खास है जो तेरे आस पास है।

मुझे ओढ़ कर पहन कर ख़ुद को मुझ में समेटके,
मुझे ज़िन्दगी के वीरान अनसुलझे सवालों मे उलझाके,
मेरे वजूद को तुम्हें जतलाने चली आई ये हवा,
ये हवा कुछ ख़ास है जो तेरे आस पास है







34 comments:

श्रीकांत पाराशर said...

Ye hava kuchh khas hai, tere jo aas-paas hai, Bahut khoob Seemaji.achha hai andaje bayaan.

siddheshwar singh said...

आपकी यह रचना पढ़कर फ़िल्म 'अंजुमन' की एक गजल याद आ गई.मेरे ख्याल से शहरयार साहब ने लिखा है इसको. इसका एक शे'र पेश है-

'गुलाब जिस्म का यूं ही नहीं खिला होगा,
हवा ने पहले तुझे फिर मुझे छुआ होगा'.

आप खूब लिखती हैं, ऐसे ही लिखती रहें.

महेंद्र मिश्र.... said...

bahut badhiya bhavapoorn gajal . dhanyawad.

ताऊ रामपुरिया said...

मेरे वजूद को तुम्हें जतलाने चली आई ये हवा,
ये हवा कुछ ख़ास है जो तेरे आस पास है

बहुत सुन्दरतम ! ये काव्य यूँ ही बहता रहे !
लाजवाब रचना ! शुभकामनाए !

भूतनाथ said...

जलते अँगारों से तुझे सहलाने चली आई ये हवा,
ये हवा कुछ खास है जो तेरे आस पास है।

कमाल की शब्द रचना ! पढ़कर आनंद आ गया !
पहली बार आपके फन से रूबरू हुवा ! कुछ अलग
बात है इस लेखन में !आपको बहुत बहुत धन्यवाद !

दीपक "तिवारी साहब" said...

मुझे ओढ़ कर पहन कर ख़ुद को मुझ में समेटके,

मैं पढ़कर हतप्रभ हूँ ? ब्लॉग पर इस तरह का लेखन ?
बिल्कुल मंजी हुई शायरी है ! बहुत बहुत प्रणाम,
आपके अन्दर बैठे शायर को !

Satish Saxena said...

अपनों का अहसास, होने का सुख, दूर होने के बावजूद एक मीठा सुकून दे जाता है ! शानदार अभिव्यक्ति है सीमा जी !

Rakesh Kaushik said...

i love it, i just love it lady.this is my kind of stuff. i like ur poetry. n today it is on "Prem Ras". which i like the most.

the topic n word slection choosen by u r fantastic


Rakesh Kaushik

Anil Pusadkar said...

और लगता है ये रचना भी कुछ खास है।

Kali Hawa said...

"ये हवा कुछ ख़ास है, जो तेरे आस पास है,"


Inspired piece of poetry

Kali Hawa

Unknown said...

आपकी ये लेखनी भी कुछ खास है । बहुत अच्छा लिखा है। बधाईयां जी

जितेन्द़ भगत said...

बहुत अच्‍छे भाव हैं-

सारी रात मेरे साथ आँसुओं में नहाके,
मेरे दर्द की हर ओस को मुझसे चुराके,
मेरे ज़ख़्मों का हिसाब तेरे पास लाई ये हवा,

Anonymous said...

kisi kaa ehsaas banke mahki hawaa
kisi khushbu se yaad dilati hawaa
marj kuchh tha, kuchh aur de gayi dawa ye hawa

hawa hawa e hawa

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

तेरे इंतज़ार में सिसकती इन आँखों को सुलगाके,
कुछ तपती झुलसती सिरहन मे ख़ुद को भीगाके,
जलते अँगारों से तुझे सहलाने चली आई ये हवा,
ये हवा कुछ खास है जो तेरे आस पास है।


bahut khoob, moti chune hain

vipinkizindagi said...

bhahut achchi rachna...

Arvind Mishra said...

वाह ,सुकोमल भावों की सुन्दरतम अभिव्यक्ति !

मीत said...

मेरे दर्द की हर ओस को मुझसे चुराके,
मेरे ज़ख़्मों का हिसाब तेरे पास लाई ये हवा,
sunder...
is bar bahut gahra asar hua hai..

Udan Tashtari said...

तेरे इंतज़ार में सिसकती इन आँखों को सुलगाके,
कुछ तपती झुलसती सिरहन मे ख़ुद को भीगाके,
जलते अँगारों से तुझे सहलाने चली आई ये हवा,
ये हवा कुछ खास है जो तेरे आस पास है।


--बहुत उम्दा, क्या बात है!आनन्द आ गया.

सचिन मिश्रा said...

Bahut khub.

प्रदीप मानोरिया said...

मुझे ओढ़ कर पहन कर ख़ुद को मुझ में समेटके,
मुझे ज़िन्दगी के वीरान अनसुलझे सवालों मे उलझाके,
मेरे वजूद को तुम्हें जतलाने चली आई ये हवा,
ये हवा कुछ ख़ास है जो तेरे आस पास है
सुंदर पंक्तियाँ बधाई
आपको मेरे चिट्ठे पर पधारने हेतु बहुत बहुत धन्यबाद . कृपया अपना आगमन नियमित बनाए रखें

बवाल said...

प्रिय सीमाजी,
आप अपने भीतर के दर्द को यूँ न उलीचा कीजिये. कोई समझे न समझे न समझे किसी ने तो समझ लिया. हमारी बात का बुरा न मानियेगा. बहुत ख़ूब पेशकश है यह आपकी . मालिक आपके दिल की आवाज़ सुनले . इसी दुआ के साथ.

राज भाटिय़ा said...

मेरे वजूद को तुम्हें जतलाने चली आई ये हवा,
ये हवा कुछ ख़ास है जो तेरे आस पास है
बहुत ही खुब
धन्यवाद

BrijmohanShrivastava said...

आज किसी के ब्लॉग पर नीम की निम्बोलियों वाबत आपकी टिप्पणी पढी ,सच इसे लेख कम ही मिलते हैं /जहाँ तक हवा के वाबत आपके जो विचार हैं वे भी एक तरह से प्रकृति का ही वर्णन कर रहे हैं /""मुझे बीरान जिंदगी के अनसुलझे सवालों में उलझाके ""
बहुत अच्छा बन पड़ा है

Smart Indian said...

"ये हवा कुछ खास है जो तेरे आस पास है।"
Excellent!

प्रशांत मलिक said...

मुझे ओढ़ कर पहन कर ख़ुद को मुझ में समेटके,
मुझे ज़िन्दगी के वीरान अनसुलझे सवालों मे उलझाके,
मेरे वजूद को तुम्हें जतलाने चली आई ये हवा,
ये हवा कुछ ख़ास है जो तेरे आस पास है
thanks

प्रशांत मलिक said...

अभी जो धुप निकलने के बाद सोया है, वो सारी रात तुजे याद करके रोया है"

kya pah\dhun or kya chhodun..
yaha aane ke baad yahi confusion hota hai..
time kam hai or samaan bahut adhik, kimti,
bahumulya

डा. अमर कुमार said...

.


Oh My, You simply are incredible !

Kavi Kulwant said...

Hawa me udana aur hawa se baate karna achcha laga.. congratulations..

Manuj Mehta said...

ख़ामोश तन्हा से अफ़सानों को अपने लबों पे लाके,
मेरे मुरझाते चेहरे की चमक को मुझसे छुपाके,
भीगे अल्फ़ाज़ों को तुझे सुनाने चली आई ये हवा,
ये हवा कुछ ख़ास है, जो तेरे आस पास है।

bhut hi khoobsurat abhivyakti, bahut shandaar prastutikaran.

zeashan haider zaidi said...

याद आ रहा है महेंद्र कपूर का गाया गीत
"इन हवाओं में , इन फजाओं में तुझ को मेरा प्यार पुकारे"
एक श्रद्धांजलि उस महान गाएक को.

मोहन वशिष्‍ठ said...

ख़ामोश तन्हा से अफ़सानों को अपने लबों पे लाके,
मेरे मुरझाते चेहरे की चमक को मुझसे छुपाके,
भीगे अल्फ़ाज़ों को तुझे सुनाने चली आई ये हवा,
ये हवा कुछ ख़ास है, जो तेरे आस पास है।

वाह जी वाह हमेशा की तरह बेहतरीन नहीं बल्कि उससे भी कहीं बेहतर रचना गजब

अभिन्न said...

ये हवा कुछ ख़ास है, जो तेरे आस पास है,
मुझे छू, मेरा एहसास कराने चली आई ये हवा।
सारी रात मेरे साथ आँसुओं में नहाके,
मेरे दर्द की हर ओस को मुझसे चुराके,
मेरे ज़ख़्मों का हिसाब तेरे पास लाई ये हवा,
........क्या कहूं बहुत ही perfect रचना पढने को मिली .लेखनी और लेखिका दोनों का अभिनन्दन

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

इक ताज़ा ताज़ा हवा का झोंका
मुझको हंसा गया ...
जाने किधर से आया था ...!!

Smart Indian said...

ये हवा कुछ ख़ास है, जो तेरे आस पास है,
मुझे छू, मेरा एहसास कराने चली आई ये हवा।
सारी रात मेरे साथ आँसुओं में नहाके,
मेरे दर्द की हर ओस को मुझसे चुराके,
मेरे ज़ख़्मों का हिसाब तेरे पास लाई ये हवा,

पहले भी पढी थी यह रचना, अभी ताऊ के ब्लॉग पर लिंक देखकर फिर से पढी और पढ़कर बहुत अच्छा लगा.