"हवा"
ये हवा कुछ ख़ास है, जो तेरे आस पास है,
मुझे छू, मेरा एहसास कराने चली आई ये हवा।
सारी रात मेरे साथ आँसुओं में नहाके,
मेरे दर्द की हर ओस को मुझसे चुराके,
मेरे ज़ख़्मों का हिसाब तेरे पास लाई ये हवा,
मुझे छू, मेरा एहसास कराने चली आई ये हवा।
सारी रात मेरे साथ आँसुओं में नहाके,
मेरे दर्द की हर ओस को मुझसे चुराके,
मेरे ज़ख़्मों का हिसाब तेरे पास लाई ये हवा,
ख़ामोश तन्हा से अफ़सानों को अपने लबों पे लाके,
मेरे मुरझाते चेहरे की चमक को मुझसे छुपाके,
भीगे अल्फ़ाज़ों को तुझे सुनाने चली आई ये हवा,
ये हवा कुछ ख़ास है, जो तेरे आस पास है।
तेरे इंतज़ार में सिसकती इन आँखों को सुलगाके,
कुछ तपती झुलसती सिरहन मे ख़ुद को भीगाके,
जलते अँगारों से तुझे सहलाने चली आई ये हवा,
ये हवा कुछ खास है जो तेरे आस पास है।
मुझे ओढ़ कर पहन कर ख़ुद को मुझ में समेटके,
मुझे ज़िन्दगी के वीरान अनसुलझे सवालों मे उलझाके,
मेरे वजूद को तुम्हें जतलाने चली आई ये हवा,
ये हवा कुछ ख़ास है जो तेरे आस पास है
34 comments:
Ye hava kuchh khas hai, tere jo aas-paas hai, Bahut khoob Seemaji.achha hai andaje bayaan.
आपकी यह रचना पढ़कर फ़िल्म 'अंजुमन' की एक गजल याद आ गई.मेरे ख्याल से शहरयार साहब ने लिखा है इसको. इसका एक शे'र पेश है-
'गुलाब जिस्म का यूं ही नहीं खिला होगा,
हवा ने पहले तुझे फिर मुझे छुआ होगा'.
आप खूब लिखती हैं, ऐसे ही लिखती रहें.
bahut badhiya bhavapoorn gajal . dhanyawad.
मेरे वजूद को तुम्हें जतलाने चली आई ये हवा,
ये हवा कुछ ख़ास है जो तेरे आस पास है
बहुत सुन्दरतम ! ये काव्य यूँ ही बहता रहे !
लाजवाब रचना ! शुभकामनाए !
जलते अँगारों से तुझे सहलाने चली आई ये हवा,
ये हवा कुछ खास है जो तेरे आस पास है।
कमाल की शब्द रचना ! पढ़कर आनंद आ गया !
पहली बार आपके फन से रूबरू हुवा ! कुछ अलग
बात है इस लेखन में !आपको बहुत बहुत धन्यवाद !
मुझे ओढ़ कर पहन कर ख़ुद को मुझ में समेटके,
मैं पढ़कर हतप्रभ हूँ ? ब्लॉग पर इस तरह का लेखन ?
बिल्कुल मंजी हुई शायरी है ! बहुत बहुत प्रणाम,
आपके अन्दर बैठे शायर को !
अपनों का अहसास, होने का सुख, दूर होने के बावजूद एक मीठा सुकून दे जाता है ! शानदार अभिव्यक्ति है सीमा जी !
i love it, i just love it lady.this is my kind of stuff. i like ur poetry. n today it is on "Prem Ras". which i like the most.
the topic n word slection choosen by u r fantastic
Rakesh Kaushik
और लगता है ये रचना भी कुछ खास है।
"ये हवा कुछ ख़ास है, जो तेरे आस पास है,"
Inspired piece of poetry
Kali Hawa
आपकी ये लेखनी भी कुछ खास है । बहुत अच्छा लिखा है। बधाईयां जी
बहुत अच्छे भाव हैं-
सारी रात मेरे साथ आँसुओं में नहाके,
मेरे दर्द की हर ओस को मुझसे चुराके,
मेरे ज़ख़्मों का हिसाब तेरे पास लाई ये हवा,
kisi kaa ehsaas banke mahki hawaa
kisi khushbu se yaad dilati hawaa
marj kuchh tha, kuchh aur de gayi dawa ye hawa
hawa hawa e hawa
तेरे इंतज़ार में सिसकती इन आँखों को सुलगाके,
कुछ तपती झुलसती सिरहन मे ख़ुद को भीगाके,
जलते अँगारों से तुझे सहलाने चली आई ये हवा,
ये हवा कुछ खास है जो तेरे आस पास है।
bahut khoob, moti chune hain
bhahut achchi rachna...
वाह ,सुकोमल भावों की सुन्दरतम अभिव्यक्ति !
मेरे दर्द की हर ओस को मुझसे चुराके,
मेरे ज़ख़्मों का हिसाब तेरे पास लाई ये हवा,
sunder...
is bar bahut gahra asar hua hai..
तेरे इंतज़ार में सिसकती इन आँखों को सुलगाके,
कुछ तपती झुलसती सिरहन मे ख़ुद को भीगाके,
जलते अँगारों से तुझे सहलाने चली आई ये हवा,
ये हवा कुछ खास है जो तेरे आस पास है।
--बहुत उम्दा, क्या बात है!आनन्द आ गया.
Bahut khub.
मुझे ओढ़ कर पहन कर ख़ुद को मुझ में समेटके,
मुझे ज़िन्दगी के वीरान अनसुलझे सवालों मे उलझाके,
मेरे वजूद को तुम्हें जतलाने चली आई ये हवा,
ये हवा कुछ ख़ास है जो तेरे आस पास है
सुंदर पंक्तियाँ बधाई
आपको मेरे चिट्ठे पर पधारने हेतु बहुत बहुत धन्यबाद . कृपया अपना आगमन नियमित बनाए रखें
प्रिय सीमाजी,
आप अपने भीतर के दर्द को यूँ न उलीचा कीजिये. कोई समझे न समझे न समझे किसी ने तो समझ लिया. हमारी बात का बुरा न मानियेगा. बहुत ख़ूब पेशकश है यह आपकी . मालिक आपके दिल की आवाज़ सुनले . इसी दुआ के साथ.
मेरे वजूद को तुम्हें जतलाने चली आई ये हवा,
ये हवा कुछ ख़ास है जो तेरे आस पास है
बहुत ही खुब
धन्यवाद
आज किसी के ब्लॉग पर नीम की निम्बोलियों वाबत आपकी टिप्पणी पढी ,सच इसे लेख कम ही मिलते हैं /जहाँ तक हवा के वाबत आपके जो विचार हैं वे भी एक तरह से प्रकृति का ही वर्णन कर रहे हैं /""मुझे बीरान जिंदगी के अनसुलझे सवालों में उलझाके ""
बहुत अच्छा बन पड़ा है
"ये हवा कुछ खास है जो तेरे आस पास है।"
Excellent!
मुझे ओढ़ कर पहन कर ख़ुद को मुझ में समेटके,
मुझे ज़िन्दगी के वीरान अनसुलझे सवालों मे उलझाके,
मेरे वजूद को तुम्हें जतलाने चली आई ये हवा,
ये हवा कुछ ख़ास है जो तेरे आस पास है
thanks
अभी जो धुप निकलने के बाद सोया है, वो सारी रात तुजे याद करके रोया है"
kya pah\dhun or kya chhodun..
yaha aane ke baad yahi confusion hota hai..
time kam hai or samaan bahut adhik, kimti,
bahumulya
.
Oh My, You simply are incredible !
Hawa me udana aur hawa se baate karna achcha laga.. congratulations..
ख़ामोश तन्हा से अफ़सानों को अपने लबों पे लाके,
मेरे मुरझाते चेहरे की चमक को मुझसे छुपाके,
भीगे अल्फ़ाज़ों को तुझे सुनाने चली आई ये हवा,
ये हवा कुछ ख़ास है, जो तेरे आस पास है।
bhut hi khoobsurat abhivyakti, bahut shandaar prastutikaran.
याद आ रहा है महेंद्र कपूर का गाया गीत
"इन हवाओं में , इन फजाओं में तुझ को मेरा प्यार पुकारे"
एक श्रद्धांजलि उस महान गाएक को.
ख़ामोश तन्हा से अफ़सानों को अपने लबों पे लाके,
मेरे मुरझाते चेहरे की चमक को मुझसे छुपाके,
भीगे अल्फ़ाज़ों को तुझे सुनाने चली आई ये हवा,
ये हवा कुछ ख़ास है, जो तेरे आस पास है।
वाह जी वाह हमेशा की तरह बेहतरीन नहीं बल्कि उससे भी कहीं बेहतर रचना गजब
ये हवा कुछ ख़ास है, जो तेरे आस पास है,
मुझे छू, मेरा एहसास कराने चली आई ये हवा।
सारी रात मेरे साथ आँसुओं में नहाके,
मेरे दर्द की हर ओस को मुझसे चुराके,
मेरे ज़ख़्मों का हिसाब तेरे पास लाई ये हवा,
........क्या कहूं बहुत ही perfect रचना पढने को मिली .लेखनी और लेखिका दोनों का अभिनन्दन
इक ताज़ा ताज़ा हवा का झोंका
मुझको हंसा गया ...
जाने किधर से आया था ...!!
ये हवा कुछ ख़ास है, जो तेरे आस पास है,
मुझे छू, मेरा एहसास कराने चली आई ये हवा।
सारी रात मेरे साथ आँसुओं में नहाके,
मेरे दर्द की हर ओस को मुझसे चुराके,
मेरे ज़ख़्मों का हिसाब तेरे पास लाई ये हवा,
पहले भी पढी थी यह रचना, अभी ताऊ के ब्लॉग पर लिंक देखकर फिर से पढी और पढ़कर बहुत अच्छा लगा.
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