9/15/2008

"किसको पता"


"किसको पता"

कोई गोली कहाँ चलेगी , किसको पता,
कोई बम्ब कहाँ फटेगा, किसको पता,

आज अभी तुम मांग सजा लो,
बिंदीया लगा लो,
कब ये मांग सूनी हो जाए किसको पता???

हरी-हरी ये कांच की चूडी जो मन भाए,
गोरे-गोरे हाथों पर तुम इन्हे सजा लो,
कब ये हाथ सुने हो जायें किसको पता???

अपने बाबा की गोदी पर आज ही चढ़कर,
अपने सारी की सारी जिद्द पुरी कर लो,
कब तुम भी लावारिस बन जाओ किसको पता???

नन्ही आँखों से सपना मत देखो ,
की तुम पायलट बनोगे,
कब नीला अम्बर शमशान बन जाए किसको पता???

आओ हम सब मिलकर कुछ ऐसा कर जायें,
हम हिन्दुस्तानी नही झुकेंगे- नही झुकेंगे,
चल जाएगा सब को पता -सब को पता"

http://vangmaypatrika.blogspot.com/2008/09/blog-post_8542.html

20 comments:

सतपाल ख़याल said...

yeh bahut hee khaufnaak sach hai.lekin afsos yeh hai ki hamari siasat , siasat nahi hijaroN ki fauj hai.

Rakesh Kaushik said...

नन्ही आँखों से सपना मत देखो ,
की तुम पायलट बनोगे,
कब नीला अम्बर शमशान बन जाए किसको पता???


this is the heart of this poem. these lines r really discribe every thing of today's life


Rakesh Kaushik

Anil Pusadkar said...

kalpanaon ki duniya me haqikat ki udaan.bahut khoob

योगेन्द्र मौदगिल said...

आपकी चैतन्यता प्रभावित करती है

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

sahi likha hai seema ji, napunsak logon ki napunsak sarkaren yahi de sakti hain.

अभिन्न said...

kitna nanga sach hai ye,
अपने बाबा की गोदी पर आज ही चढ़कर,
अपने सारी की सारी जिद्द पुरी कर लो,
कब तुम भी लावारिस बन जाओ किसको पता???
aaye din hote serial bomb blasts se upji trasdi ka anokha chitrann....bahut sundar to nahi kahunga ..haan bhyanak jaror hai. sochne par mazbur kar dene vali rachna...antim panktiyon me jo viswas apne dikhaya hai ...uske liye AMEN..

मोहन वशिष्‍ठ said...

हरी-हरी ये कांच की चूडी जो मन भाए,
गोरे-गोरे हाथों पर तुम इन्हे सजा लो,
कब ये हाथ सुने हो जायें किसको पता???

harek word me dard khauf aur dahashat najar aa rahi hia lekin bure kaam ka bura natija hi hota hai ye desh ke aur janmanas ke dushman kabhi kaamyab nahi ho sakte bahut hi achchi kavita likhi hai aapne seema ji

जितेन्द़ भगत said...

दुर्घटनाओं पर कि‍सी का बस नहीं है, पर आपने सही कहा कि‍ इसकी संभावनाओं को जागरुकता से कम कि‍या जा सकता है।
बहुत सुंदर अभि‍चव्‍यक्‍ति‍।

विवेक सिंह said...

सुन्दर अभिव्यक्ति . आत्मविश्वास काबिले तारीफ .

Birds Watching Group said...

har din ko jiyo is tarah ke din akhiri hai jindagi kaa
najdiki hai us ishwar se
to kyun n khush rahen

मीत said...

satya kaha hai aapne..
jeena abto logo ki majburi banti ja rahi hai...
hum sochte hai ki wo nidar hain...
lekin nahin log majbur hain.. aise halat mein jeene ke liye..
or unhe majbur kiya hai, hamari sarkar ne...
kash ki badlav aye

Arvind Mishra said...

जी हाँ सच कहा आपने जब चारों और इतनी असुरक्षा पसरी हुयी हो तो ऐसा लगना सहज ही है !

ताऊ रामपुरिया said...

अपने बाबा की गोदी पर आज ही चढ़कर,
अपने सारी की सारी जिद्द पुरी कर लो,
कब तुम भी लावारिस बन जाओ किसको पता???

आपके जज्बे को प्रणाम !

महेन्द्र मिश्र said...

bahut achchi samayik rachana . sabhi ko in ghatanao se bachane hetu jagaruk hone ki salaah bhi de rahi hai ki sachet ho jao deshavasio . abhaar

MANVINDER BHIMBER said...

नन्ही आँखों से सपना मत देखो ,
की तुम पायलट बनोगे,
कब नीला अम्बर शमशान बन जाए किसको पता???

bahut sunder likha hai

बवाल said...

प्रिय सीमाजी,
सबसे पहले इतनी खूबसूरत अभिव्यक्ति के लिए बधाई.
पायलट वाली जो बात आपने आज कही ना, वो पूरी दास्तान मेरे और मेरे पिता के बीच का वाक़या है.
वो आधा इंच से मार खा गये क्यॉंके रडार पैड्ल तक पैर नहीं पहुँच सका. और मैं ६ फीट का हो कर भी ऑडिट का शौक पाले पाले वकील और क़व्वाल हो गया.
अजब इत्तेफ़ाक है. ख़ैर. आज जी अच्छा नहीं है कुछ . मुआफ़ कीजिएगा.
-मगर हमेशा आपका मुरीद

Udan Tashtari said...

सटीक अभिव्यक्ति!

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही सुन्दर, एक आज का सच
धन्यवाद

डा. अमर कुमार said...

.

कुछ ज़्यादा ही दिल को दहलाती है,
यह अभिव्यक्ति...
पर इससे जो आँख मूदे बैठे हैं,
उनको संसद में जाकर कौन सुना पायेगा..



कोई जुगाड़ भी सुझाइये न, सीमा जी !

Mukesh Garg said...

seema ji ye sach hai ki aaj hum par antak ka saya hai par dekha jaye to isme hum or humari rajniti hi doshi hai. bangla desi -pakistani ya kisi bhi country ka ho humari rajneta vote ke chkar me unko desh ki nagrikta dene ki firak me rehte hai chhe desh ka jo bhi ho unko koi frk nhi padta. kehne ko to bahut kuch hai but itna sab yaha likhna posible nhi hai...