9/12/2008

"आंख भर के"



"आंख भर के"

ना आंख भर के देखा ही किए ,
ना सरगोशीयों की कोई बारात थी ,
मुद्दत से जिसकी तडपते रहे
क्या ये वही मुलाकत थी ...????

http://vangmaypatrika.blogspot.com/2008/09/blog-post_1251.html

22 comments:

Anil Pusadkar said...

wah bahut khoob

Anonymous said...

rubaaii to khoob-behatar hai!

जितेन्द़ भगत said...

टीस को सही उभारा गया है। लाजवाब।

Anonymous said...

too good yaar......

Rakesh Kaushik said...

ek chubne wali tees de di aapne yahan.

zakhmo ko hra karne ke liye shukaria

Rakesh Kaushik

Unknown said...

चंद लाइनों के द्वारा आपने अभिव्यक्ति को पूर्ण किया है

ताऊ रामपुरिया said...

मुद्दत से जिसकी तडपते रहे
क्या ये वही मुलाकत थी ...????


बधाई के साथ २ यह भी कहूंगा की अपने फन की
उस्ताद हैं आप ! शुभकामनाएं !

मीत said...

hoon! shayad ye wahi mulaqat thi...
jari rahe..
ye mulaqat..

Anonymous said...

वाह सीमा जी
थोडा लिखा बहुत ही सटीक लिखा बहुत अच्‍छी है रचना

अभिन्न said...

ना आंख भर के देखा ही किए ,
ना सरगोशीयों की कोई बारात थी ,

मुद्दत से जिसकी तडपते रहे

क्या ये वही मुलाकत थी ...????
............
...........

न अब, न आज न कल तक
फारिग न हो ये अजल तक
उठे थे दुआ में हाथ जिसके लिए
क्या ये वही मुलाकात थी ????

ज़ाकिर हुसैन said...

wah bahut khoob

महेन्द्र मिश्र said...

Dil ki Tees ko bahut hi sundarata ke sath apne post me ukera hai . kam shabdo me itni badhiya sachitr rachana . badhai.

शोभा said...

अच्छा लिखा है बधाई.

admin said...

Bahut pyara qata hai.

The Campus News said...

यूँ ही लम्हे गुजरते रहते हैं
एक यार के इंतजार में
ये लम्हे ही दिन और साल बन जाते हैं।
बस इंतजार में जो कभी हाथ नही आता है।

सचिन मिश्रा said...

Bahut khub...

Arvind Mishra said...

क्षणिकाओं की तर्ज पर ये दो लाईना शायरी जोरदार चल रही है !

Anonymous said...

क्या ये वही मुलाकात थी ?

बताइये भला!

Anonymous said...

milne na diya jinhe andhiyon ne
vo tadap aaj bhi kayam hai
milkar n milne ka vo suluk
kya gajab hai

Yogi said...

Bahut hi badhia seema ji...

Jitne kam shabd hai
utni hi gehri baat keh di aapne...

Too good...

شہروز said...

श्रेष्ठ कार्य किये हैं.
आप ने ब्लॉग ke maarfat जो बीडा उठाया है,निश्चित ही सराहनीय है.
कभी समय मिले तो हमारे भी दिन-रात आकर देख लें:

http://shahroz-ka-rachna-sansaar.blogspot.com/
http://hamzabaan.blogspot.com/
http://saajha-sarokaar.blogspot.com/

Mukesh Garg said...

ना आंख भर के देखा ही किए ,
ना सरगोशीयों की कोई बारात थी ,
मुद्दत से जिसकी तडपते रहे
क्या ये वही मुलाकत थी ...????



very nice seema ji