शबे-फुरकत it's really nicethought is unlimited in ur post. keep it on as u r doing up to now. our best wishes with uRakesh Kaushik
hi , kitna achahca likha hai....dil mai utrta chla ja raha hai....sunder
"आईने से आंख लडाई तो होती "waah...kitne khoobsurat lafz...behtareen.neeraj
कभी मेरी तरह अंधेरों मे,"आईने से आंख लडाई तो होती "behtreen lines!!!!
wah, maza aa gaya. acchey sher.
अच्छी है यह पंक्तियाँ
कभी मेरी तरह अंधेरों मे,"आईने से आंख लडाई तो होती "बहुत खूब ! शुभकामनाएं !
बेहतरीन रचना ! धन्यवाद !
क्यूँ कर रही शबे-फुरकत से'आशनाई सारी रात.....कभी मेरी तरह अंधेरों मे,"आईने से आंख लडाई तो होती "सुंदर
छोटी , लेकिन बेहतरीन।
bahut badhiya dilakash rachana . behatareen likhati hai aap . badhai.
'नज़र से नज़र"कभी मिलाई तो होती....दिल की बात कभी हमसे भी,बनाई तो होती.... बहुत ख़ूब...
'नज़र से नज़र"कभी मिलाई तो होती....दिल की बात कभी हमसे भी,बनाई तो होती....क्यूँ कर रही शबे-फुरकत से'आशनाई सारी रात.....कभी मेरी तरह अंधेरों मे,"आईने से आंख लडाई तो होती "very fine bahut khub
बहुत अच्छा लिखा है. बधाई.
kya kahe seema ji aapki rachanaye bhut hi badhiya hai. or sabse alag bhi.
नज़र से नज़र मिलाई तो होती, वाह!
कभी मेरी तरह अंधेरों मे,"आईने से आंख लडाई तो होती "wah taj
शब्दों और चित्रों का मनोहारी मिलन :)
बहुत खूब ! बधाई.
सीमा जी, क्या गजल हे धडकता हुआ दिल खोल के रख दिया हे आप ने... दिल की बात कभी हमसे भी,बनाई तो होती....धन्यवाद
कभी मेरी तरह अंधेरों मे,"आईने से आंख लडाई तो होती "..........खूबसूरती की भी हद्द होती है ,
अंधेरों मे, "आईने से आंख लडाई तो होती "bahut khub, acchi abhivyakti,saadar,vinay
Seemajee aap kee tareef yahan n ho sakegee iske liye lal-n-bavaal.blogspot.com padh dalen.
.लगता है, गलत डिब्बे में आ गया हूँ,यह शायद रूमानियत क्लास है..दिल की बात कभी हमसे भी,नेटवर्क बिज़ी था सीमा जी.. ख़ैर छोड़ियेतीर की तरह कलेज़े को बेधती यह कतरात बहुत दिनों तक याद रहेंगे.. अब मैं सीरियस हो गया... वाक़ई बहुत ही अच्छी लाइनें हैं, मुबारिक़ हो
very nice seema ji, isse jada ab kuch likha nhi jata likhe bhi to kiya likhe sare sabd fir se dohrate huee lagte hai.
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26 comments:
शबे-फुरकत it's really nice
thought is unlimited in ur post.
keep it on as u r doing up to now.
our best wishes with u
Rakesh Kaushik
hi , kitna achahca likha hai....dil mai utrta chla ja raha hai....sunder
"आईने से आंख लडाई तो होती "
waah...kitne khoobsurat lafz...behtareen.
neeraj
कभी मेरी तरह अंधेरों मे,
"आईने से आंख लडाई तो होती "
behtreen lines!!!!
wah, maza aa gaya. acchey sher.
अच्छी है यह पंक्तियाँ
कभी मेरी तरह अंधेरों मे,
"आईने से आंख लडाई तो होती "
बहुत खूब ! शुभकामनाएं !
कभी मेरी तरह अंधेरों मे,
"आईने से आंख लडाई तो होती "
बहुत खूब ! शुभकामनाएं !
बेहतरीन रचना ! धन्यवाद !
क्यूँ कर रही शबे-फुरकत से'
आशनाई सारी रात.....
कभी मेरी तरह अंधेरों मे,
"आईने से आंख लडाई तो होती "
सुंदर
छोटी , लेकिन बेहतरीन।
bahut badhiya dilakash rachana . behatareen likhati hai aap . badhai.
'नज़र से नज़र"
कभी मिलाई तो होती....
दिल की बात कभी हमसे भी,
बनाई तो होती....
बहुत ख़ूब...
'नज़र से नज़र"
कभी मिलाई तो होती....
दिल की बात कभी हमसे भी,
बनाई तो होती....
क्यूँ कर रही शबे-फुरकत से'
आशनाई सारी रात.....
कभी मेरी तरह अंधेरों मे,
"आईने से आंख लडाई तो होती "
very fine bahut khub
बहुत अच्छा लिखा है. बधाई.
kya kahe seema ji aapki rachanaye bhut hi badhiya hai. or sabse alag bhi.
नज़र से नज़र मिलाई तो होती, वाह!
कभी मेरी तरह अंधेरों मे,
"आईने से आंख लडाई तो होती "
wah taj
शब्दों और चित्रों का मनोहारी मिलन :)
बहुत खूब ! बधाई.
सीमा जी, क्या गजल हे धडकता हुआ दिल खोल के रख दिया हे आप ने...
दिल की बात कभी हमसे भी,
बनाई तो होती....
धन्यवाद
कभी मेरी तरह अंधेरों मे,
"आईने से आंख लडाई तो होती "
..........
खूबसूरती की भी हद्द होती है ,
अंधेरों मे, "आईने से आंख लडाई तो होती "
bahut khub, acchi abhivyakti,
saadar,
vinay
Seemajee aap kee tareef yahan n ho sakegee iske liye lal-n-bavaal.blogspot.com padh dalen.
.लगता है, गलत डिब्बे में आ गया हूँ,
यह शायद रूमानियत क्लास है..
दिल की बात कभी हमसे भी,
नेटवर्क बिज़ी था सीमा जी.. ख़ैर छोड़िये
तीर की तरह कलेज़े को बेधती यह कतरात बहुत दिनों तक याद रहेंगे..
अब मैं सीरियस हो गया... वाक़ई बहुत ही अच्छी लाइनें हैं, मुबारिक़ हो
very nice seema ji,
isse jada ab kuch likha nhi jata likhe bhi to kiya likhe sare sabd fir se dohrate huee lagte hai.
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