वाह वाह वाह वा सीमाजी, ये तो एकदम नया ही अंदाज़ रहा आपका। बख़ुदा ख़ूब रहा, ख़ूब रहा। आपका कोई मुक़ाबला नहीं है सीमाजी। आपके आदर में जिबीं ख़ुद-ब-ख़ुद झुक जाती है।
कुछ ही शब्द, कुछ ही लाइने बहा ले गयीं पूरी सोच को अपने एहसास में........... अश्कों का दिया बहा ले गया .......... ग़मगीन रात और वीरान दिल की दास्ताँ बहूत लम्बी........बहूत दूर तक कह दी है आपकी रचना ने
aap bhi naa seema ji....kabhi-kabhi to acchha majaak kar deti hain...ab dekho naa...ashkon ke baadal....ashkon kee baarish...ashkon kee nadiya to khoob suni thi...ab ye ashkon kaa diyaa naa mujhe pareshaan kiye de raha hai...!!bujhaane vali cheez se aap kuchh jalana chaahate ho..??baap re baap to phir aap to jaadugar ho...!! haan panktiyaan phir bhi acchhi ban padi hain...sach....!!
padne per mujhe khamoshi ki awaaz aayi aur siskiyaaan angraiyaan lete hue lagi..... reading your blogs was a relaxing experience. assan shabdon mein lehrate hue shabd.... baaki taarif baad ke liye...
अश्क सरताज रहे,दर्द खिजाबार रहा , तमाम उम्र हमें तेरा इन्तेजार रहा , आपने तो kamaal कर दिया लफ्जों से भी औ अदाकारी se bhi .आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें ,धन्यवाद with regards डॉ.भूपेन्द्र
41 comments:
"अश्कों का दिया "
अंधेरों मे मेहरबान रहा
Superb ji
आपकी पंक्तियां कुछ इस तरह से रसमसा गईं.
फागुन के होंठ पर जैसे भादों की घटाएं छा गईं.
भावनाओं का सैलाब उमड आया है. शानदार अभिव्यक्ति. बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
"अश्कों का दिया "
अंधेरों मे मेहरबान रहा
दर्द में डूबी हुई भावभरी रचना!
सुन्दर अभिव्यक्ति!
How pathetic it is?it's always lovely feeling to read ur lines!!!!
गागर में सागर का एहसास कराती कविता।
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तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
Behtreen Bhavabhivyakti....Wah
"अश्कों का दिया "
अंधेरों मे मेहरबान रहा
गागर में सागर का एहसास कराती कविता।
शानदार अभिव्यक्ति. बहुत शुभकामनाएं.
seema ji .. ekdum sahi hai .. " ashqo ka diya andhero me meharbaan raha '' bahut kuch kah diya aapne is choti si baat me ..
words are truly representing the emotions .
very good work of words.
dil se badhai sweekar karen ...
AB AAPKE NAZMO KE BAARE ME KYA KAHNE... ISTARAH KI NAZME AAPKE KALAM SE HI PADHNE KO MIL SAKTI HAI ... DHERO BADHAAEE AAPKO SEEMA JI..
REGARDS
ARSH
चंद शब्दों में सब कुछ कह दिया आपने...
सुंदर रचना..
मीत
एक एक शब्द को दर्द रूपी स्याही में डुबोकर चस्पा किया लगता है बहुत ही सुंदर रचना के लिए ढेरों बधाई
अश्कों का दिया "
अंधेरों मे मेहरबान रहा
ek chhoti si kavita....sundarta se paripurn,
ise kya kahe
gagar me sagar
ya Naino Epic
.......superb
tarif kiski kari jaye uski jisne ye likhi hai ya us waqt ki jisne usee likhne par majbur kar diya............
very nice seema ji
my wishish aap uuhi likhti rahe ,
hume pyar se isshe bhejti rahe,taki hum labhi pyar ki gehaiyo se bahar na aa sake
"अश्कों का दिया "
अंधेरों मे मेहरबान रहा
चंद पंक्तियों में भावों का समंदर बहा दिया आपने
यह कविता है या महाकाव्य? कितना wonderful. आभार.
"अश्कों का दिया "
अंधेरों मे मेहरबान रहा ......
सुन्दर भावाभिब्यक्ति.
दिल तक पहुँच गयी ...बहुत खूबसूरत
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
वाह वाह वाह वा सीमाजी,
ये तो एकदम नया ही अंदाज़ रहा आपका। बख़ुदा ख़ूब रहा, ख़ूब रहा। आपका कोई मुक़ाबला नहीं है सीमाजी। आपके आदर में जिबीं ख़ुद-ब-ख़ुद झुक जाती है।
खूबसूरत....
"अश्कों का दिया / अंधेरों मे मेहरबान रहा"
शब्दों से ऐसे बयान बस आपके वश की बात है सीमा जी
बहुत खूब
बहुत सुंदर कहा ...
शव्दो ने बहुत कुछ कह दिया, बहुत ही सुंदर ...
धन्यवाद
कुछ ही शब्द, कुछ ही लाइने बहा ले गयीं पूरी सोच को अपने एहसास में...........
अश्कों का दिया बहा ले गया ..........
ग़मगीन रात और वीरान दिल की दास्ताँ बहूत लम्बी........बहूत दूर तक कह दी है आपकी रचना ने
बहोत सुन्दर
"कितना खामोश ये आसमान रहा"
आसमान की खामोशी मानो शब्दों में बंधी चली आयी, बहुत खूब!
In khuli band ankhon ka ek aur behtreen nagma he ye panktiyan..
Wonderful seema does wonders again..
Amit verma
ashq ka diya waah sunder gehre komal ehsaas se jal utha,behtarin waah
बहुत खुब..
बहुत खूब सुन्दर अभिव्यक्ति
aap bhi naa seema ji....kabhi-kabhi to acchha majaak kar deti hain...ab dekho naa...ashkon ke baadal....ashkon kee baarish...ashkon kee nadiya to khoob suni thi...ab ye ashkon kaa diyaa naa mujhe pareshaan kiye de raha hai...!!bujhaane vali cheez se aap kuchh jalana chaahate ho..??baap re baap to phir aap to jaadugar ho...!! haan panktiyaan phir bhi acchhi ban padi hain...sach....!!
क्या बात है "अश्कों का दिया" आपने तो मार दिया.
padne per mujhe khamoshi ki awaaz aayi aur siskiyaaan angraiyaan lete hue lagi.....
reading your blogs was a relaxing experience. assan shabdon mein lehrate hue shabd....
baaki taarif baad ke liye...
अश्कों की उपमा दिये से देकर आपने कविता को और ज्यादा प्रभावी बना दिया है।
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तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
"अश्कों का दिया "
अंधेरों मे मेहरबान रहा
Great lines!!!!
great!!!! great!!!!
ITS BEAUTIFUL !
KEEP IT UP.
WITH WELL WISHES .
--- AJIT PAL SINGH DAIA
bahut badhiya . apki chiththi ki charchaa aaj samayachakr par.
समयचक्र: चिठ्ठी चर्चा : माता तेरे रुप हजार तू ही करती बेङा पार
अश्कों का दिया "
अंधेरों मे मेहरबान रहा
दर्द में डूबी हुई भावभरी रचना!
बहुत सुंदर
अश्कों का दिया "
अंधेरों मे मेहरबान रहा
- सुन्दर.
ashk aur diya dono hi to jalte hain. aapki panktiyan Dil ko choo jati hain. badhayi...
ujaala kar sake ashk
meharbaani unki
अश्क सरताज रहे,दर्द खिजाबार रहा ,
तमाम उम्र हमें तेरा इन्तेजार रहा ,
आपने तो kamaal कर दिया लफ्जों से भी औ अदाकारी se bhi .आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें ,धन्यवाद
with regards
डॉ.भूपेन्द्र
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