3/23/2009

'मधुर एहसास "




"मधुर एहसास "

चंचल मन के कोने मे
मधुर एहसास
ने ली जब अंगडाई,

रेशमी जज्बात का आँचल
पर फैलाये देखो फलक फलक...
खामोशी के बिखरे ढेरो पर
यादों के स्वर्णिम प्याले से
कुछ लम्हे जाएँ छलक छलक...

अरमानो के साये से उलझे
नाजों से इतराते ख़्वाबों को
चुन ले चुपके से पलक पलक...
ये मोर पपीहा और कोयल
सावन में भीगी मस्त पवन
रास्ता देखे कब तलक तलक...

रात के लहराते पर्दों पे
नभ से चाँद की अठखेली
छुप जाये देके झलक झलक...

40 comments:

Anonymous said...

चंचल मन के कोने मे
मधुर एहसास
ने ली जब अंगडाई,

नयी सैंडिल पहन
जब सीमा निकली
शुरू शुरू में थोड़ा लंगड़ाई.

..........मजा मजा सा आ गया :)

Vinay said...

अपने प्रकृति का सारा सौंदर्य आपने इसी में समेट दिया है!

---
चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें

Girish Kumar Billore said...

नाजों से इतराते ख़्वाबों को
चुन ले चुपके से पलक पलक.
Wah Sundar

डॉ. मनोज मिश्र said...

अरमानो के साये से उलझे
नाजों से इतराते ख़्वाबों को
चुन ले चुपके से पलक पलक...
ये मोर पपीहा और कोयल......
अच्छी लाइनें हैं .बधाई

MANVINDER BHIMBER said...

अरमानो के साये से उलझे
नाजों से इतराते ख़्वाबों को
चुन ले चुपके से पलक पलक...

ये मोर पपीहा और कोयल

सावन में भीगी मस्त पवन

रास्ता देखे कब तलक तलक...
अच्छी लाइनें हैं .बधाई

"अर्श" said...

BAHOT HI KHUBSURAT NAZM.. WAAH MAJA AAGAYA... BAHOT BADHAAEE AAPKO..


ARSH

ताऊ रामपुरिया said...

रात के लहराते पर्दों पे
नभ से चाँद की अठखेली
छुप जाये देके झलक झलक..

बहुत ही खूबसूरत..चित्र ने इन लाइनों को जैसे श्रंगारित कर दिया है. बहुत शुभकामनाएं.

रामराम.

Arvind Mishra said...

मोहक अंदाज में प्रस्तुत अधैर्य !

बवाल said...

रात के लहराते पर्दों पे
नभ से चाँद की अठखेली

छुप जाये देके झलक झलक...

वाह वाह सीमाजी ! बहुत ही ख़ूबसूरत अंदाज़ में रची गई ये आपकी कविता । बहुत ही सुन्दर अहसास ।

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

पहले क्षमा करे बहुत दिनों बाद आया आपके ब्लॉग पर .
एक अधीर अहसास एक सुंदर कविता

Rakesh Kaushik said...

it's really a very good Ehsaas
after a very long time

Anonymous said...

medam ji aap ne bahut achha likha hai vo mughe bahut achaha laga or aap esa hi likhti rahen or aapka bulog unchaiyo prpahunche

Anonymous said...

रात के लहराते पर्दों पे
नभ से चाँद की अठखेली

छुप जाये देके झलक झलकwaah bahut khubsurat

हरकीरत ' हीर' said...

रेशमी जज्बात का आँचल

पर फैलाये देखो फलक फलक...

खामोशी के बिखरे ढेरो पर
यादों के स्वर्णिम प्याले से

कुछ लम्हे जाएँ छलक छलक...

waah...! ye lamhen yun hi chlakte rahen...!!

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

bahut khoob, bahut sundar, prakriti ka kya khoob chitran.

मीत said...

अरमानो के साये से उलझे
नाजों से इतराते ख़्वाबों को
चुन ले चुपके से पलक पलक...
ये मोर पपीहा और कोयल
सावन में भीगी मस्त पवन
रास्ता देखे कब तलक तलक...
बहुत मीठा मीठा सा लिखा है...
सुंदर...
मीत

अभिन्न said...

रात के लहराते पर्दों पे
नभ से चाँद की अठखेली
छुप जाये देके झलक झलक..

एक बहुत सुन्दर प्रकृति प्रेम आधारित कविता ,चित्र ओर शब्द चित्रण दोनों ही उम्दा बन पड़े है ,वाही हमेशा की तरह अव्वल दर्जा कविता ,
बधाई स्वीकारें जी

समय चक्र said...

रेशमी जज्बात का आँचल
पर फैलाये देखो फलक फलक...
खामोशी के बिखरे ढेरो पर
यादों के स्वर्णिम प्याले से
कुछ लम्हे जाएँ छलक छलक...

बधाई

Abhishek Ojha said...

'रात के लहराते पर्दों पे
नभ से चाँद की अठखेली
छुप जाये देके झलक झलक..'
वाह !

मोहन वशिष्‍ठ said...

मधुर एहसास बहुत ही प्‍यारी लय के साथ अगर इस गीत को या कहें तो कविता को आपकी आवाज और मिल जाती तो सुभान अल्‍लाह सोने पे सुहागा होगा

दिगम्बर नासवा said...

प्रकृति की सुन्दरता को........एहसास की सुन्दर चादर से पपेट कर खूबसूरत अंदाज़ से लिखा है आपने इस रचना को.
मन की कोमल भावनाएं उमड़ कर आती हुयी महसूर होती हैं इन में
वाह वाह .....
क्या अंदाज़ है लिखने का

राज भाटिय़ा said...

अरमानो के साये से उलझे
नाजों से इतराते ख़्वाबों को
चुन ले चुपके से पलक पलक...
ये मोर पपीहा और कोयल
सावन में भीगी मस्त पवन
रास्ता देखे कब तलक तलक...
बहुत मीठा मीठा सा लिखा है...
वाह वाह क्या बात है, बहुत सुंदर
धन्यवाद

अनूप शुक्ल said...

सुन्दर! अच्छा लगा यह अंदाज!

Mumukshh Ki Rachanain said...

ये मोर पपीहा और कोयल
सावन में भीगी मस्त पवन
रास्ता देखे कब तलक तलक...

मनभावन, सुन्दर प्रस्तुति.


चन्द्र मोहन गुप्त

Alpana Verma said...

अरमानो के साये से उलझे
नाजों से इतराते ख़्वाबों को
चुन ले चुपके से पलक पलक...
बहुत ही प्यारी पंक्तियाँ हैं..

कविता में लचक और सुन्दर लय और भाव इसे और भी मधुर बना रहे हैं.
सुन्दर! बधाई.

hem pandey said...

'चंचल मन के कोने मे

मधुर एहसास'

******

'रेशमी जज्बात का आँचल '

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'खामोशी के बिखरे ढेरो पर
यादों के स्वर्णिम प्याले से'
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'अरमानो के साये से उलझे
नाजों से इतराते ख़्वाबों को'
******

'रात के लहराते पर्दों पे'


-सुंदर उपमाओं से भरी सुंदर रचना.

BrijmohanShrivastava said...

फलक ,पलक ,झलक ,छलक ,तलक का प्रयोग सुंदर ढंग से किया गया है

Sankar shah said...

bahut sundar aur hirdyasparsi rachana hai apki....

Anonymous said...

repeating words found very impressive

good poem & feelings too

prefixing of words makes differnt value founded . very nice.

after a break you wrote really found differant moral

Mukesh Garg said...

sabd hi nahi hai mere pass, bus itna hi kehna chahunga ......rachna or tasviro ne mil kar man moha liya...........


regards

समय चक्र said...

चंचल मन के कोने मे
मधुर एहसास
ने ली जब अंगडाई,
bahut hi sateek ahasaas lage . badhai.

गौतम राजऋषि said...

सुंदर रचना सीमा जी हमेशा की तरह आपकी लेखनी का कमाल...

रवीन्द्र दास said...

sab kuchh achchha, kuchh mulayam kuchh gudguda.susvagatam.

P.N. Subramanian said...

बहुत ही मधुर अभिव्यक्ति. आभार.

आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) said...

खामोशी के बिखरे ढेरो पर
यादों के स्वर्णिम प्याले से
कुछ लम्हे जाएँ छलक छलक...


बहुत सुंदर विचार...

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

bade dinon par yahaan aayaa.....aur yahaan par pahle see hi vahi dhoop.....vahi chhaya....kumbhlaaya hua man phir se khil-khil aaya.....hey seema ye kaisi teri maayaa.....hamko to kuchh bhi samajh naa aayaa....!!

admin said...

आपकी रचनाऍं जितनी दिलकश होती हैं, चित्र भी उतने ही प्‍यारे।

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तस्‍लीम
साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन

Dileepraaj Nagpal said...

Bahut Dino Baad Aapke Blog Per aana Hua,,,Man Prasaan Ho Gya...Badhayi...

Harash Mahajan said...

Seema ji adaab...aapke iss Blog meiN aapne jo mehfil banayii hai bahoot i khoobsoorat hai...kaafi der tak maine aapki in rachnaoN ko paRha hai..inmeiN ahsaas kaafi Gehre bhi haiN..maiN aapko apne tah-e-dil se iss khoobsoorat GharoNde ke liye daad deta hooN our umed kerta hooN k isi tarah aap apne emotions ko shabdoN meiN dhaalti raheNgii our hamaarii vacabulary me izafa kerti raheNgii...our yaqeenan aapke funn se bahoot kutchh jaan.ne ko naseeb hoga.....Shukriyaa^h

Harash

jayanti jain said...

Feeling is life, life is feeling.Living is feeling,feeling is living. Is it so?