"यादों की पालकी"
उनीदीं आँखों को मलते
धुली शाम सी निखरी
खामोशी के साये तले
आकाँक्षाओं की ऊँगली थामे
अनजानी ख्वाइशों से सवंरी
भावनाओ के आँगन में
लरजती उतर आती है
तेरी यादों की पालकी
और कुछ अधूरे शब्दों के
आँचल मे लिपटी तेरी बातें
किरच किरच बिखरने लगती हैं....
" रोप लूंगा तुम्हे अपनी आँखों मे
जमीन पे बिखरने से पहले..."
24 comments:
" रोप लूंगा तुम्हे अपनी आँखों मे
जमीन पे बिखरने से पहले..."
लाजवाब ! सुन्दरतम भावभिव्यक्ति !
रामराम !
बहुत खूबसुरत लिखा है
bahut sundar
बहुत ही सुंदर अभिवयक्ति
" रोप लूंगा तुम्हे अपनी आँखों मे
जमीन पे बिखरने से पहले..."
बहुत ही गहराई मे डूबी रचना है ये पंक्तियाँ ही सब कुछ बयान करती हैं....बहुत अच्छा लिखा है फ़िर से आपने......
अक्षय-मन
आँचल मे लिपटी तेरी बातें
किरच किरच बिखरने लगती हैं....
" रोप लूंगा तुम्हे अपनी आँखों मे
जमीन पे बिखरने से पहले..."
अद्भुत...आप ऐसे शब्द कहाँ से ले आती हैं.????...वाह...
नीरज
" रोप लूंगा तुम्हे अपनी आँखों मे
जमीन पे बिखरने से पहले..."
सुभान अल्लाह...
---मीत
bahut sundar rachana ,
" रोप लूंगा तुम्हे अपनी आँखों मे
जमीन पे बिखरने से पहले..."
ye pankhitiyan kaafi kuch kah jaati hai ..
wah wah , bahut sundar ji ..
bahut badhai ..
main bhi kuch naya likha hai , aapka sneh chahiye ..
aapka vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/
निशब्द: कर दिया आपने.
" रोप लूंगा तुम्हे अपनी आँखों मे
जमीन पे बिखरने से पहले..."
great lines
अति सुंदर,बहुत सुंदरम भाव लिये
धन्यवाद
" रोप लूंगा तुम्हे अपनी आँखों मे
जमीन पे बिखरने से पहले..."
पुरी कविता की जान ,..... बहोत खूब लिखा है आपने ढेरो बधाई साथ में नव वर्ष की मंगल्कामानावो के साथ....
अर्श
आँचल मे लिपटी तेरी बातें
किरच किरच बिखरने लगती हैं....
" रोप लूंगा तुम्हे अपनी आँखों मे
जमीन पे बिखरने से पहले..."
बहुत खूब!
लरजती उतर आती है
तेरी यादों की पालकी
और कुछ अधूरे शब्दों के
आँचल मे लिपटी तेरी बातें
बहुत खूब बहुत ही सुंदर सीमा जी हमेशा की तरह
बहुत बढ़िया पोस्ट पढ़कर अच्छी लगी. धन्यवाद. नववर्ष की ढेरो शुभकामनाये और बधाइयाँ स्वीकार करे . आपके परिवार में सुख सम्रद्धि आये और आपका जीवन वैभवपूर्ण रहे . मंगल्कामानाओ के साथ .
महेंद्र मिश्रा,जबलपुर.
बहुत सुंदर ! नव वर्ष की शुभकामनायें स्वीकार करें !
Bahut badiya. naye saal ki hardik subkamnayein.
यादों की पालकी में यादों को सजा दिया है आपने. बधाई.
Wow, what a flight of imagination
Liked it very much too
Take Care
रोप लूंगा तुम्हें अपनी आँखों में
ज़मीं पे बिख़रने के पहले
क्या बात है सीमाजी ! आप बहुत आगे जाकर मसाएल दर्ज करती हैं । बहुत ख़ूब अल्फ़ाज़ों का शानदार समन्वय होता है आपकी कविताओं में ।
ittifaq se aapke blog pe aana hua aapke blog ka itna prabhav hua ki tariif mai kuch likhe bina nahi rah paya.
vaise bhi lekhan gar pasand aaye to man se sarahna chahiye..
aapka lekhan yakinan kabil-e-tariif hai.
ek bahot hi khoobsurat bunaai ke sath bejod sabdo ka priyog kiya hai bhaavo ko pirone mai
or bhaav bhi gahre or marmsparshi
sath hi sundar kalakritiyon se susajjit...
dua karta hun aapki kirti door tak faile .
aapka ek prashanshak.
before welcoming 2009
some beutiful wishes must be dreamed by us
remembering truth is very honestly in our favour really we are looking through our memories what passed away
उनीदीं आँखों को मलते
धुली शाम सी निखरी
खामोशी के साये तले
आकाँक्षाओं की ऊँगली थामे
अनजानी ख्वाइशों से सवंरी
भावनाओ के आँगन में
लरजती उतर आती है
तेरी यादों की पालकी
और कुछ अधूरे शब्दों के
आँचल मे लिपटी तेरी बातें
किरच किरच बिखरने लगती हैं....
" रोप लूंगा तुम्हे अपनी आँखों मे
जमीन पे बिखरने से पहले..."
जाओ सारी ही लाईने मैंने छाँट ली है....मगर किस पंक्ति की ज्यादा तारीफ़ करूँ........??
bahut hi sunder ,
badhiya savkar kare
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