Seema, ek saath kitnee yadon ko sote se jaga diya.aawargee,deewanapan---yeh sab nateeja hai dishaheenta ka-----------poori na huyee abhilashshayen, tamannnayen,khwaahishen............hazaaron khwaahishen aisee ki har khwaahish pe dum niklay..............kitna tajurba hogaya.............phir bhi yeh karvaan abhlaashaaon ka rukta hi naheen................. ............ye dil ye pagal dil mera........awara...........dishaheen. abhvyakti "man ki abhlasha" ki bahut sashakt hai. badhaayee.
सीमा जी...बहुत हे अच्छा लिखा है आपने...मन की अभिलाषा होती ही है ऐसी .... जहाँ ना कोई बंधन होता है ना कोई रोक टोक....बस अपने कल्पनाओं के घोडे पर सवार होकर उन्मुक्त विचरण करता रहता है..
Seemaji, Man Kee Abhilasha men to ...apne poore ek jeevan darshan ko chitrit kar diya hai.Hamara ye chanchal man...to tamam ikshaon,abhilashaon ke peechhe bhagta hai..par use niyantrit karta hai hamara hridaya. Bhav poorna kavita ke liye badhai. Hemant Kumar
33 comments:
मन की अभिलाषा
दिशाहीन , आवारा
वाह वाह ....
Seema,
ek saath kitnee yadon ko sote se jaga diya.aawargee,deewanapan---yeh sab nateeja hai dishaheenta ka-----------poori na huyee abhilashshayen, tamannnayen,khwaahishen............hazaaron khwaahishen aisee ki har khwaahish pe dum niklay..............kitna tajurba hogaya.............phir bhi yeh karvaan abhlaashaaon ka rukta hi naheen.................
............ye dil ye pagal dil mera........awara...........dishaheen.
abhvyakti "man ki abhlasha" ki bahut sashakt hai. badhaayee.
मन की अभिलाषा का सुंदर चित्रण.
"ना जाने"
क्या पाने को मचल रही...
मन की अभिलाषा
दिशाहीन , आवारा
कितनी लाजवाब अभिव्यक्ति है ! इन अनन्त अभिलाषाओ को आपने दिशाहीन और आवारा नाम दे कर इनको सही मकाम दे दिया !
रामराम !
सीमा जी...बहुत हे अच्छा लिखा है आपने...मन की अभिलाषा होती ही है ऐसी ....
जहाँ ना कोई बंधन होता है ना कोई रोक टोक....बस अपने कल्पनाओं के घोडे पर सवार होकर उन्मुक्त विचरण करता रहता है..
सीमा जी
नमस्कार
मन की अभीलाशा,
रचना बहुत अच्छी लगी,
बधाई
आपका
विजय
कैसे अब यह प्यास बुझेगी
चक्छु साक्ष जितना पीलो
हाँ यादों के कोप भवन में
कुछ बीते लम्हे जी लो
प्रेम प्रतीक्षा प्रति छण है
किसे ढूंढता विचलित व्याकुल मन है
मत फैलाओ समक्ष किसी के
विरह विलीन दामन सी लो
"ना जाने"
क्या पाने को मचल रही...
मन की अभिलाषा
दिशाहीन , आवारा
सच है...
---मीत
बहुत हे अच्छा लिखा है आपने- दिशाहीन , आवारा
रचना बहुत अच्छी है
यही तो कशिश है मन न जाने क्या पाना चाहता है और यही चाहत जीजिविषा बन जिलाए चलती है ! बेहतरीन रचना !
ये ही है मन की अभिलाशा!!
raymonds' man ki tarah perfect.
मन की अभिलाषा तो निश्चय ही दिशाहीन आवारा होती है। उस पर संयम की लगाम से जो परिणाम निकलता है - वह अभूतपूर्व होता है। जैसे यह पोस्ट।
bahut hi achhi lagi mann ki abhilashaa........
cchoti chhoti panktiyo mein keh di badi baat :)
ek ghazal aapke sujhaav aur maargdarshan chahti hai..
http://pyasasajal.blogspot.com/2008/12/blog-post_23.html
फ़िल्म रजनीगंधा का गीत -'कई बार यूँ भी देखा है''..याद आ गया.
बहुत अच्छा!!
एक याद रह जाने वाली सुन्दर कविता
सीमा जी आपका ये नया अंदाज भी खूब भाया बहोत ही बढ़िया शब्दों के प्रयोग से बनी बेहतरीन कविता ढेरो बधाई स्वीकारें...
अर्श
मन की अभिलाषा का बहुत सुंदर चित्रण.
आप का आभार
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति!!!
सीमा जी,
कृति निर्देशिका में ढेर सारी रचनाएँ देने के लिये कोटिशः धन्यवाद!
मन की अभिलाषा
दिशाहीन , आवारा
वाह सीमा जी अच्छी कविता साथ में चित्र भी बहुत अच्छे हैं
आदरणीय सीमाजी,
’मन की अभिलाषा’ एक बहुत ही उम्दा अभिव्यक्ति हुई आपकी. इस अतिसार्थक कविता पर ढेरों बधाइयां स्वीकार करें जी.
बड़े दिन की शुभ कामनायें....
अच्छी प्रस्तुति। मन की अभिलाषा को शब्दों में बाँध पाना कितना मुश्किल है फ़िर भी आपने सफल प्रयास किया है।
Seemaji,
Man Kee Abhilasha men to ...apne poore ek jeevan darshan ko chitrit kar diya hai.Hamara ye chanchal man...to tamam ikshaon,abhilashaon ke peechhe bhagta hai..par use niyantrit karta hai hamara hridaya.
Bhav poorna kavita ke liye badhai.
Hemant Kumar
man ki abhilaasha ka shaandar chitran .. shabdo ka bhaavpoorn istemaal ...
bahut si badhai ...
bahut dino se aap mere blog par nahi aayi .. kuch nayi rachnaaye aapke bahumulya comments ka intjaar kar rahi hai ..
vijay
pls visit my blog :
http://poemsofvijay.blogspot.com/
bahut kuhb likha hai seema ji ,kitne sunder sabdo main aapne abhiviyaqt kiya hai aapne....
"ना जाने"
क्या पाने को मचल रही...
मन की अभिलाषा
दिशाहीन , आवारा
ek baar fir se dhero badhiya savikar karee
लाजवाब सोच है आपकी अनुरोध है मेरे भी ब्लॉग पर पधारे
बहुत सुंदर भाव
jordaar
fursat mein ispe gaur famaaye...
vyang mein meri pehli koshish ko yahaan padhe:
http://pyasasajal.blogspot.com/2008/12/blog-post_26.html
सुन्दर है मन की अभिलाषा। वाह वाह।
"ना जाने"
क्या पाने को मचल रही...
मन की अभिलाषा
दिशाहीन , आवारा...........इक तृप्ति भर ही तो चाहती है...... इसे क्यूँ आवारा कहतीं हैं....!!
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