9/24/2008

"पहचान"



"पहचान"

नाम से हुई पहचान हमारी ,
या हमसे नाम का उन्वान हुआ,
बडी पशोपेश मे रही जिन्दगी,
क्या आगाज़ हुआ और,
क्या अंजाम हुआ ???


http://vangmaypatrika.blogspot.com/2008/09/blog-post_29.html

30 comments:

Arvind Mishra said...

वाह बहुत भावपूर्ण !
ये मेहंदी हसन की गाई गजल का ये शेर भी तो देखिये -
उनके नाम से ही ताबिंदा है मेरा उन्वाने हयात
वरना कुछ न था बाकी मेरे अफ़साने में

रंजन (Ranjan) said...

बहुत खूब

जितेन्द़ भगत said...

सुंदर सवाल।

Anil Pusadkar said...

सुन्दर

Rakesh Kaushik said...

it's really a puzzle , n complicated but u handle it very well with emotions.

Rakesh Kaushik

फ़िरदौस ख़ान said...

नाम से हुई पहचान हमारी ,
या हमसे नाम का उन्वान हुआ,

बहुत अच्छी पंक्तियां हैं...बधाई...

रंजू भाटिया said...

क्या आगाज़ हुआ और,
क्या अंजाम हुआ ???
बहुत खूब .चंद शब्दों में सुंदर बात कही आपने

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

pahchan ke sawal ne hi shayad osama ko paida kiya

Ashok Pandey said...

बहुत खूब। शब्‍द और चित्र दोनों सुंदर हैं।

मीत said...

क्या आगाज़ हुआ और,
क्या अंजाम हुआ ???

क्या बात है??
जबरदस्त...
touch my heart...

ताऊ रामपुरिया said...

बेहतरीन ! शुभकामनाएं !

"अर्श" said...

sundar bhav hai bahot hi sundar likha hai aapne seema ji.badhai


regards
Arsh

makrand said...

अति सुंदर !

मोहन वशिष्‍ठ said...

बहुत ही सुंदर शब्‍दों में सवाल दागा है सीमा जी बधाई

डॉ .अनुराग said...

bahut khoob..arvind ji tarah mere bhi dimag me ye sher aaya tha.

सचिन मिश्रा said...

Bahut badhiya.

Udan Tashtari said...

बढ़िया.....

विक्रांत बेशर्मा said...

बहुत सुंदर !!!!!!!

अभिन्न said...

पहचान एक बड़ा ही विवादास्पद विषय है आज यही पहचान
तो खो रही है हम सब की ....नाम से कोई खास पहचान नहीं होती मशहूर अंग्रेज नाटककार विलियम शेक्सपियर ने तो यंहा तक कहा था -whats there is name? ना जाने कितनो के नाम सीमा होंगे मगर आप की जो पहचान है वह आपके काम से है ...आज आप सीमा होते हुए भी असीम हों ...आपके फन ने आप को जो पहचान दिलाई है उसने आपको अनेकों नाम अनेकों विशेषण दे डाले है ..कुछ कहावतें ये भी है "नाम बड़े और दर्शन छोटे " और "आँख के अंधे नाम नयनसुख "
इसलिए
नाम गुम जायेगा चेहरा ये बदल जायेगा ,मेरी आवाज़ ही पहचान है .........
कशमकश से बाहर आइये और देखिये अच्छे काम हों तो नाम भी तरस जाते है की काश हम अमुक आदमी के नाम होते ....
बहुत ही अच्छी शायरी लिखी है बधाइयाँ !

अभिन्न said...

नाम से नहीं पहचान आपकी
काम की बात तो काम से होती है
है नाम से बढ़ कर काम आपका
मुक्कमल ज़िन्दगी अंजाम से होती है
शब्दों से सजा देते हों कायनात को आप
रोशन मेरी सुबह आपके कलाम से होती है

राज भाटिय़ा said...

क्या बात हे दो शव्दो को घुमा फ़िरा कर एक खुब्सुरत बात कहना कोई आप से सीखे,
धन्यवाद

Nitish Raj said...

दो अल्फाज में बयान-ए-जिंदगी, बहुत खूब।

श्यामल सुमन said...

सुन्दर भाव प्रस्तुति। बधाई। रिजवाँ वास्ती साहब की दो पंक्तियाँ आपके लिए-

पहले ये ख्वाहिश थी कि लोग हमे पहचाने बहुत।
अब ये शिकवा है कि हम इतने पहचाने क्यों गए।।

सादर
श्यामल सुमन

ज़ाकिर हुसैन said...

बहुत खूब .चंद शब्दों में सुंदर बात कही आपने

Anonymous said...

Ye nam hi to hai.., Jo hame.n Badnam nahi hone deti....

Seema Ji.., Badhai

Anonymous said...

Ye nam hi to hai.., Jo hame.n Badnam nahi hone deti....

Seema Ji.., Badhai

sandeep sharma said...

anjam bahut achcha hua hoga,
kyonki aapki bhavnayen bahut achchi hai...

प्रदीप मानोरिया said...

नाम से हुई पहचान हमारी ,
या हमसे नाम का उन्वान हुआ,
बडी पशोपेश मे रही जिन्दगी,
क्या आगाज़ हुआ और,
क्या अंजाम हुआ ???
लाज़बाब सीमा जी अत्यन्त सुंदर पंक्तिया गहरी भाव पूर्ण बात शुक्रिया मेहरबानी
नैनो की विदाई नामक मेरी नई रचना पढने हेतु आपको सादर आमंत्रण है .आपके आगमन हेतु धन्यबाद नियमित आगमन बनाए रखें

Mukesh Garg said...

humari pehchan humare kaam se or humare viyavhar se hoti hai isliye main yahi kahunga ki hum sabko apni pehchan ko banaye rakhne ke liye puri imandari rakhni chhiye.

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

जवाब नहीं ....!!!!