उंगलियों के पोरों का आखरी स्पर्श ..यह अध्भुत अनुभूति है ।
सुखद अनुभूतियों का एहसास कराती रचना
आखिरी स्पर्श कावही पे थम जातातेरा एहसास बनइन पंक्तियों ने मन मोह लिया ...... बहुत सुंदर कविता..... दिल को छू गई...
आह अदम्य संवेदना !
तेरा एहसास बनमुझ में समा जाताअपनी पूर्णता के साथकुछ एहसास होते ही ऐसे है कि ---बहुत खूबसूरत रचना
bahut naajuk ehsason se bhari panktiyan.sundar abhivyakti...sundar rachnaaabhar & shubh kamnayen
wah ek lamha yaadgar hota ..magar...waqt thamta kahan hai!'OS ki garam boonden!'adbhut!bahut sundar abhivyakti!
bahut hi gahre ahsas........ungliyon ke poro ka aakhiri sparsh........uff!
बहुत सुन्दर रचना..
तेरा एहसास बनमुझ में समा जाताअपनी पूर्णता के साथमै कुछ देर औरजी लेती...बहुत सुंदर और लाजवाब अभिव्यक्ति. शुभकामनाएं.रामराम.
superb!
IUS EK LAMHE MEIN TO POORA JEEVAN JEE LENE KI KSHAMTA HOTI .... BAHUT SUNDAR BHAAV AUR LAJAWAAB ABHIVYAKTI ...
ek ek shabd kisi upnyas se kam nahi lagta.....sirf ehsaas ko sanjo kar padhne ki jarurat hai...great poetry by emotions
बहुत सुंदर लगी आप की यह सुंदर रचना
सब इच्छाएं पूरी हो पातीं तो ज़िंदगी में क्या रह जाता? पूर्णमदः पूर्णमिदं...
it's lovely poem.with a secret feeling.Best WishesKaushik
i m word less....no word for its thoughtsmeet
भावनाओं में डूबी ऐसी रचना मैंने कब पढी, मुझे याद नहीं। बहुत बहुत बधाई।------------------सांसद/विधायक की बात की तनख्वाह लेते हैं?अंधविश्वास से जूझे बिना नारीवाद कैसे सफल होगा ?
मुझ में समा जाताअपनी पूर्णता के साथमै कुछ देर औरजी लेती.... BAHUT BEHATRIN SEEMA JI BEHATRIN
अद्भुत एहसास जगाती आपकी ये रचना विलक्षण है...वाहनीरज
सीमा जी,खूबसूरत अनुभूतियों को शब्दों से बांधा है अपने---हेमन्त कुमार
बहुत सुन्दर, सजीव.
Kaafi Samay Baad Aapke Blog Per Aana Hua...Shirshak Aos Man Ki Aos Ki Garm Boonden...Aos Ki Garam Boonde...Aapka Man Kitna Vyaapk Sochta Hai...Kaash Main Bhi Etna Accha Likh Paata...
very nice!
jeene ke liye sparsh kya baat hai?
wahwa..achhi rachna...
सुन्दर रचना।
wah, ye ahsaas, anubhooti..kya gazab likhaa he aapne bahut khoob एक लम्हा जुदा होने से पहले, उँगलियों के पोरों के आखिरी स्पर्श का वही पे थम जाता ...
Khoobasurat bhavon kee sundar prastuti.Poonam
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
... sundar rachanaa !!
बहुत सुन्दर पोस्ट. हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में प्रभावी योगदान के लिए आभारआपको और आपके परिजनों मित्रो को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये...
seema ji namste, phle to aap se chama chahunga ki itne dino bad aap ki rachna padhi wajha thi kaam ka jada hona . aapki ye rachna padh kar bahut hi acha laga.bahut hi sunder rachna lagi sunhkamnaye savikar kare
aap ka hindi me blog likane ke liye danyavad hindi hamari rastabhasa hai
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34 comments:
उंगलियों के पोरों का आखरी स्पर्श ..यह अध्भुत अनुभूति है ।
सुखद अनुभूतियों का एहसास कराती रचना
आखिरी स्पर्श का
वही पे थम जाता
तेरा एहसास बन
इन पंक्तियों ने मन मोह लिया ...... बहुत सुंदर कविता..... दिल को छू गई...
आह अदम्य संवेदना !
तेरा एहसास बन
मुझ में समा जाता
अपनी पूर्णता के साथ
कुछ एहसास होते ही ऐसे है कि ---
बहुत खूबसूरत रचना
bahut naajuk ehsason se bhari panktiyan.
sundar abhivyakti...sundar rachna
aabhar & shubh kamnayen
wah ek lamha yaadgar hota ..magar...waqt thamta kahan hai!
'OS ki garam boonden!'
adbhut!
bahut sundar abhivyakti!
bahut hi gahre ahsas........ungliyon ke poro ka aakhiri sparsh........uff!
बहुत सुन्दर रचना..
तेरा एहसास बन
मुझ में समा जाता
अपनी पूर्णता के साथ
मै कुछ देर और
जी लेती...
बहुत सुंदर और लाजवाब अभिव्यक्ति. शुभकामनाएं.
रामराम.
superb!
IUS EK LAMHE MEIN TO POORA JEEVAN JEE LENE KI KSHAMTA HOTI .... BAHUT SUNDAR BHAAV AUR LAJAWAAB ABHIVYAKTI ...
ek ek shabd kisi upnyas se kam nahi lagta.....sirf ehsaas ko sanjo kar padhne ki jarurat hai...great poetry by emotions
बहुत सुंदर लगी आप की यह सुंदर रचना
सब इच्छाएं पूरी हो पातीं तो ज़िंदगी में क्या रह जाता? पूर्णमदः पूर्णमिदं...
it's lovely poem.
with a secret feeling.
Best Wishes
Kaushik
i m word less....
no word for its thoughts
meet
भावनाओं में डूबी ऐसी रचना मैंने कब पढी, मुझे याद नहीं। बहुत बहुत बधाई।
------------------
सांसद/विधायक की बात की तनख्वाह लेते हैं?
अंधविश्वास से जूझे बिना नारीवाद कैसे सफल होगा ?
मुझ में समा जाता
अपनी पूर्णता के साथ
मै कुछ देर और
जी लेती....
BAHUT BEHATRIN SEEMA JI BEHATRIN
अद्भुत एहसास जगाती आपकी ये रचना विलक्षण है...वाह
नीरज
सीमा जी,
खूबसूरत अनुभूतियों को शब्दों से बांधा है अपने---
हेमन्त कुमार
बहुत सुन्दर, सजीव.
Kaafi Samay Baad Aapke Blog Per Aana Hua...Shirshak Aos Man Ki Aos Ki Garm Boonden...Aos Ki Garam Boonde...
Aapka Man Kitna Vyaapk Sochta Hai...Kaash Main Bhi Etna Accha Likh Paata...
very nice!
jeene ke liye sparsh
kya baat hai?
wahwa..achhi rachna...
सुन्दर रचना।
wah, ye ahsaas, anubhooti..kya gazab likhaa he aapne bahut khoob एक लम्हा जुदा होने से पहले,
उँगलियों के पोरों के
आखिरी स्पर्श का
वही पे थम जाता ...
Khoobasurat bhavon kee sundar prastuti.
Poonam
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
... sundar rachanaa !!
बहुत सुन्दर पोस्ट. हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में प्रभावी योगदान के लिए आभार
आपको और आपके परिजनों मित्रो को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये...
seema ji namste,
phle to aap se chama chahunga ki itne dino bad aap ki rachna padhi wajha thi kaam ka jada hona .
aapki ye rachna padh kar bahut hi acha laga.
bahut hi sunder rachna lagi sunhkamnaye savikar kare
aap ka hindi me blog likane ke liye danyavad hindi hamari rastabhasa hai
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