"ख्वाबो की बरसाते बुनती हुं"
रात के पहरों की सोगातें चुनती हुं
उलझे से ख्वाबो की बरसाते बुनती हुं
घुप अँधियारा , नींद उचटती ,
करवट करवट रूह तडपती,
दीवारों की गुप चुप आवाजे सुनती हुं
उलझे से ख्वाबो की बरसाते बुनती हुं
छत पर सरकते धुंधले साये
अनबुझ आक्रति का आभास दिलाये
भय के तीखे भालो की पद्चापे सुनती हुं
उलझे से ख्वाबो की बरसाते बुनती हुं
अनबुझ आक्रति का आभास दिलाये
भय के तीखे भालो की पद्चापे सुनती हुं
उलझे से ख्वाबो की बरसाते बुनती हुं
39 comments:
बहुत सुन्दर.
घुप अँधियारा , नींद उचटती ,
करवट करवट रूह तडपती,
दीवारों की गुप चुप आवाजे सुनती हुं
उलझे से ख्वाबो की बरसाते बुनती हुं ....
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति के साथ ..... बेहतरीन कविता ...... आपकी यह कविता दिल को छू गई...
Regards.....
सुंदर.
और विस्तार दें प्लीज -बस इत्ता सा पढ़कर तो ऐसा लगा की अमृत प्याले को मुंह से लगाकर छीन लिया गया हो !
घुप अँधियारा , नींद उचटती ,
करवट करवट रूह तडपती,
दीवारों की गुप चुप आवाजे सुनती हुं
उलझे से ख्वाबो की बरसाते बुनती हुं
वाह बहुत ही लाजवाब रचना है. शुभकामनाएं. और नये साल की रामराम.
रामराम.
wah seema g achhi rachna...bhavmay...
wah seema g achhi rachna...bhavmay...
बहुत सुन्दर सीमाजी बहुत भावपूर्ण रचना है । बधाई और नव वर्ष की शुभकामनायें ।
http://sudhinama.blogspot.com
बहुत दिनों बाद एक उत्तम रचना के साथ आपसे मिलना अच्छा लगा. नव वर्ष की शुभकामनायें ।
छत पर सरकते धुंधले साये
अनबुझ आक्रति का आभास दिलाये ...
अक्सर जब धुंधले साए जेहन में उतरते हैं ..... अंजाने ख्वाब दिल में उतरते हैं ...........
बहुत दिनो बाद आपकी बेहद बेहतरीन लेखनी से कुछ निकला है ........ लाजवाब लिखा है ........
आपको नया साल बहुत बहुत मुबारक .......
lady Galib u have done again. Jis thrah Tendulkar se har baar ek nai uchayee ko chune chahat parshashanko ko rehti hai vahi chahat mujhe aap se bhi rehti hai. u have done it once again.
u hav endless capacity to write n write with deep meaning.
Lovely lovely lines.
Thnxs for being with us through this medium.
Have a fantastic new Year.
Rakesh Kaushik
बहुत ही सुंदर लिखा है सीमा जी..
एकदम अलग तरह का...
चित्र भी बहुत सुंदर है जैसे बिलकुल आपकी रचना के ही लिए बना है.
मीत
रात के पहरों की सोगातें चुनती हुं
उलझे से ख्वाबो की बरसाते बुनती हुं
लाजवाब प्रस्तुति । नया साल मंगलमय हो , खुशियों की सौगात लाये
दीवारों की गुप चुप आवाजे सुनती हुं'
दीवारों से गुफ्तगू की यहा दास्तान अच्छी लगी
रात के पहरों की सोगातें चुनती हुं
उलझे से ख्वाबो की बरसाते बुनती हुं
ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति...आभार
ऐसा लगा कि आपने इसे कुछ अधूरा सा छोड़ दिया , सोचने को मजबूर करती खूबसूरत रचना ...
शुभकामनायें !
socha aasha ka sangeet bajega
dil ka koi saaj sajega
mehfil jamegi rangon ki
sunaharaa koi khaab majega
ghor nirshaa ke baadal chaaye
dil ki hasrate tod aaye
haay viraanaa bhi kaisaa
aalam.....? haay ....
khaabon me bhi kya dard milega?
barsaate jab hon khaabo ki
dil khush, harmeet,
aandhi jajbaaton ki
us dhoondhlke me jab jab socha
sote jaagte mujhe to manmeet milga
boon rahaa khaab main bhi ab
chhaayaa mandi ka daur hai jab
hasrate poori hongi
jab jeb me maal khankegaa
suljh jaaye daur ab to
barsaate rangeen milegi
jeevan ka har pal bhrega asha se
mujhe jeevan kaa aanand milega
chhayegi khushhaali har aur
khaabo kaa sunehara phool khilega
बहुत दिनो के बाद आप की सुंदर रचना पढने को मिली, बहुत सुंदर, तबीयत बगेरा तो सब ठीक है ना.
शब्दों के खेल से जो आप एहसासात पैदा करते हो वो वाकई कमाल की बात होती है ... बहतु पसंद आयी रचना बधाई साथ में नव वर्ष की भी ढेरो मुबारक बाद ..
अर्श
बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......
बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......
बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......
उलझे से ख्वाबो की बरसाते बुनती हुं
-आह!! वाह!!
एक अकेली पंक्ति ही पूरी है..छा गये आप तो...बधाई!!
सुन्दरतम!!
यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।
हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.
मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.
निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
आपका साधुवाद!!
शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी
एक बार फ़िर जबर्दस्त रचना। एक ही थीम पर इतनी विविधता के साथ कैसे कलम चलाती हैं आप?
शानदार शब्द दिए हैं आपने। बधाई।
शब्द और भाव से सजी सुंदर रचना...बहुत बढ़िया लगी..बधाई!!!
शब्द और भाव से सजी सुंदर रचना...बहुत बढ़िया लगी..बधाई!!!
I really could never know that from where you collect the images in your poetry? Your words and the images mearge into each other such a way that it really becomes fascinating..
What I can say now is - Keep it up, Keep writing, Write more and more..
Take Care
AMIT VERMA
घुप अँधियारा , नींद उचटती ,
करवट करवट रूह तडपती,
दीवारों की गुप चुप आवाजे सुनती हुं
उलझे से ख्वाबो की बरसाते बुनती हुं
उलझे ख़्वाबों की बरसात, टीस की मिठास, भावनात्मक और सुन्दर अभिव्यक्ति!
शुभकामनायें स्वीकार करें !
आदरणीय सीमाजी,
आपकी रग रग में कविता बहती है यह परिलक्षित होता है इस अत्यंत सुन्दर भावपूर्ण कविता से।
और आपकी तरीफ़ में हमारे पास है अल्फ़ाज़ का वही पुराना टोटा। हा हा।
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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पुरूषों के श्रेष्ठता के जींस-शंकाएं और जवाब।
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन के पुरस्कार घोषित।
वर्ष नव-हर्ष नव-उत्कर्ष नव
-नव वर्ष, २०१० के लिए अभिमंत्रित शुभकामनाओं सहित ,
डॉ मनोज मिश्र
इस सुन्दर रचना के लिए धन्यवाद
नव वर्ष की शुभ कामनाएं
नववर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ!
सीमा बहन, नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं ! सुन्दर रचना के लिए भी बधाई !
mobile:09709083664, 09031268604.
उलझे से ख्वाबों की बरसातें बुनना सिर्फ ओर सिर्फ एक उच्च कोटि के कवी ह्रदय का ही काम हो सकता है बहुत जटिलता भरा जीवन लिख रहे है समझना आसान नहीं .
हम तो बस मुबारकबाद दे सकते है कृपया कबूल करें
आपके ब्लॉग पर अलग तरह की कविताएं पढ़ने को मिली हैं। नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
आपके ब्लॉग पर अलग तरह की कविताएं पढ़ने को मिली हैं। नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
आपके ब्लॉग पर अलग तरह की कविताएं पढ़ने को मिली हैं। नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
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