" कुछ आँखों की गुफ्तगू है और उनमे सिमटे जज़्बात हैं.....
आँखे जो कायनात का नज़ारा करवाती हैं..."
मीरतकी मीर के इस शेर के साथ एक छोटी सी पुरानी कविता "तुम्हारा है" को यहाँ सुनिए.......
"मीर उन नीम बाज आँखों में
सारी मस्ती शराब की सी है"
"तुम्हारा है "
जो भी है वो तुम्हारा ...
यह दर्द कसक दीवानापन ...
यह रोज़ की बेचैनी उलझन ,
यह दुनिया से उकताया हुआ मन...
यह जागती आँखें रातों में,
तनहाई में मचलन और तड़पन ..........
ये आंसू और बेचैन सा तन ,
सीने की दुखन आँखों की जलन ,
विरह के गीत ग़ज़ल यह भजन,
सब कुछ तो मेरे जीने का सहारा है ........
जो भी है वो तुम्हारा है
31 comments:
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
भावभीने अहसास की एक और अभिव्यक्ति -जैसे कोई चिरन्तन अकुलाहट हो जो सारे वजूद पर तारी सी हो ...
फिर कहूँगा आपकी कवितायेँ 'केयर सालिसिटिंग रिस्पांस ' निकलती हैं मन से -बताईये क्या किया जाय ?
कमाल की अभिव्यक्ति है। आपको पढ़ना, और अब सुनना भी मन को भावविभोर कर देता है।
ati sundar bhavavivyakti.........good
बेहद खूबसूरत! बहुत खूब!
मन के टूटे तार बजाकर गाऊं अपने गीत रे!.....
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...
सीने की दुखन आँखों की जलन ,
विरह के गीत ग़ज़ल यह भजन,
सीमा जी इन पंक्तियों के साथ आप को प्रणाम !
साधुवाद
वाह!! शानदार-सुनकर आनन्द आ गया.
कितना भाव पूर्ण कबिता है कह नहीं सकता
बहुत सुन्दर
इस अभिब्यक्ति अच्छी कबित क़े लिए
हार्दिक बधाई
bahut hi sundar bhaav piroye hain.
as usal beautiful!
सीमा जी, बहुत सुंदर भाव हैं और अभिव्यक्ति तो उससे भी प्यारी।
…………..
स्टोनहेंज के रहस्यमय पत्थर।
क्या यह एक मुश्किल पहेली है?
पढ ओर सुन कर दिल बाग बाग हो गया, बहुत सुंदर जी धन्यवाद
bahut sundar abhivyakti.....:)
"jo bhi hai tumhara hai........."
bahut sundar abhivyakti.....:)
"jo bhi hai tumhara hai........."
bahut sundar abhivyakti.....:)
"jo bhi hai tumhara hai........."
"सब कुछ तो मेरे जीने का सहारा है ." बहुत ही सुन्दर रचना. कई एहसासों को जगाने वाली.
rachna beshak purani hai lekin tazgi liye hue aur chhoti nahi hai yah to bahut vishalkalevar ki abhivyakti samete hue hai, sun kar laga jaise koi hava ka jhonka dard ki bansuri baja kar ek sihran si chhod gaya.....
anekon badhaiyan
यह दुनिया से उकताया हुआ मन...
यह जागती आँखें रातों में,
तनहाई में मचलन और तड़पन ..........
ये आंसू और बेचैन सा तन ,
अदभुत...लाजवाब सुपर्ब!!!
रामराम.
यही सच लगता है की जो भी दिया ...जो भी तुम्हे मिला...सब उनका है.
भावपूर्ण रचना...बधाई
kuchh bheetar utarta sa
bhavatmak rachna ke liye badhai
अति सुंदर
bahut shandar ........ aapka blog padhane ka awasar mila aanand aa gayaa ... bahut hi prabhavi lekhan hai aapka ............ shubhkamanayen.......
सीमा जी किस कलम से लिखती है आप या किन भावनाओ के वशीभूत हो ये शब्द उभरते है,
मै तो कभी-कभी शब्दहीन हो जाता हू.
एक विरहन के भावो को शब्द देती आपकी विलक्षण कविता, मन्त्रमुग्ध कर देने वाले शब्द, सचमुच यही कहती होगी कोई स्त्री, विरह की पीडा को जब वह भोगती होगी. तविम्यस्तु गोविन्दम त्व्यम समर्पयामि ऐसा ही कुछ है ना या हिन्दी मे कहे तो हे ईश्वर तेरा दिया तुझको ही समर्पित.
मै किन पन्क्तियो की आखिर तारीफ करू और किसे छोड दू.
यदि किसी विशेष पन्क्ति की तारीफ करून्गा तो शायद वह अन्य पन्क्तियो के साथ ना इन्साफी होगी.
यह दर्द कसक दीवानापन ...
यह रोज़ की बेचैनी उलझन ,
यह दुनिया से उकताया हुआ मन...
यह जागती आँखें रातों में,
तनहाई में मचलन और तड़पन ..........
ये आंसू और बेचैन सा तन ,
सीने की दुखन आँखों की जलन ,
विरह के गीत ग़ज़ल यह भजन,
सब कुछ तो मेरे जीने का सहारा है ........
जो भी है वो तुम्हारा है
सचमुच लाजवाब पर हा अन्तिम पन्क्ति मे एकाध शब्द जोडे जा सकते थे.
bahut sundar kavita Seema ji aur prastuti lajawab!
सीमा जी, आज दूसरी बार आपकी कविता पढ़ी और फिर टिप्पणी किये बिना रह नहीं पाया। सचमुच बहुत सुंदर भाव हैं।
………….
सपनों का भी मतलब होता है?
साहित्यिक चोरी का निर्लज्ज कारनामा.....
hamesha ki tarah behad khoobsoorat likha hai..."ye jagti ankhein raton me' ye pankti zara kavita ke flow se match nahi kar rahee..ya fir shayad iski positioning me parivartan chhaiye...ek average paathak ke roop me jo feel hua wo keh raha hoon
seema ji
bahut hi jabardasht composition.. great words displaying great emotions .. waah waah
BADHAI
VIJAY
आपसे निवेदन है की आप मेरी नयी कविता " मोरे सजनवा" जरुर पढ़े और अपनी अमूल्य राय देवे...
http://poemsofvijay.blogspot.com/2010/08/blog-post_21.html
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