1/28/2009

"फर्ज निभाने को"

"फर्ज निभाने को"
तन्हाइयों ने फ़िर

बीज तेरी यादो के रोपे

मन के बंजर खलिहानों मे

घावो की पनीरी अंकुरित हुई

बीते लम्हों की फसल उगाने को

तिल तिल जल के राख़ हुए

अरमान उर्वरक बन बिखर गये

दिल दरिया अश्रु बह निकले

सींच उन्हें अपना "फर्ज निभाने को "

39 comments:

प्रताप नारायण सिंह (Pratap Narayan Singh) said...

फिर वही शाम वही तनहाई है
फिर तेरी याद चली आई है

यादों जितनी वफादार दुनिया में दूसरी और कोई भी चीज़ नही होती है

ताऊ रामपुरिया said...

अरमान उर्वरक बन बिखर गये
दिल दरिया अश्रु बह निकले

बहुत गहनतम भाव. शुभकामनाएं.

रामराम.

योगेन्द्र मौदगिल said...

Wah..wah
SEEMA ji vahi dilkash andaz.... hamesha ki tarah mugdh kar diya aapne....jai ho..

विवेक सिंह said...

"मन के बंजर खलिहानों मे

घावों की पनीरी अंकुरित हुई "

कवयित्री ने रूपक और अतिशयोक्ति अलंकार का सुंदर प्रयोग किया है ! मन में खलिहान का भेद रहित आरोप है . किंतु बंजर भूमि में अंकुरण होता नहीं इसलिए वहाँ खलिहान नहीं हो सकता तो अतिशयोक्ति अलंकार भी हो गया !

Anonymous said...

बहुत उमन्दा रचना.. एक एक पंक्ति भावों से सरोबार..
बेहतरीन..

Anonymous said...

एक फिल्मी गीत याद आ गया तोड़ मरोड़ कर "गजब किया रे कर गया दिल पे जादू". बहुत सुंदर रचना. आभार.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

मुझे तो विवेक जी की टिप्पणी में मजा आ गया, सीमा जी की कलम तो हमेशा की तरह उम्दा है.

रंजू भाटिया said...

बीते लम्हों की फसल उगाने को
तिल तिल जल के राख़ हुए
अरमान उर्वरक बन बिखर गये
दिल दरिया अश्रु बह निकले

बहुत खूब लिखा सीमा जी आपने

मीत said...

तन्हाइयों ने फ़िर
बीज तेरी यादो के रोपे
मन के बंजर खलिहानों मे

सच में ऐसा ही होता है...
मीत

समयचक्र said...

हमेशा की तरह उम्दा ,गहन भाव.शुभकामनाएं,,,

बवाल said...

आदरणीय सीमाजी, हर लिहाज़ से सार्थक कविता कही आज आपने, जो बहुत ही सुन्दर अलंकृत भाव लिए हुए है। बहुत ख़ूब।

ज़ाकिर हुसैन said...

बीते लम्हों की फसल उगाने को
तिल तिल जल के राख़ हुए
अरमान उर्वरक बन बिखर गये
दिल दरिया अश्रु बह निकले
.........
शब्दों के इस सुंदर प्रयोग को पढ़ कर गुलज़ार याद आ गये. सुंदर रचना.

Jimmy said...

Sister हमेशा की तरह उम्दा

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भगीरथ said...

कुछ लाईनों में दिल से उठे भावों में दर्द ,प्रेम,और रोमांच की अभिव्यक्ति।शुभकामनाएं

स्वाति said...

खूबसूरत एहसासों में भीगे हुए , दिल को छू जाने वाले शब्दों को मोतियो की तरह एक सुंदर माला में सृजित किया है आपने ! सुंदर रचना.

नीरज गोस्वामी said...

आपकी जादूई लेखनी का चमत्कार बिखेरती एक और भावः पूर्ण रचना...लाजवाब...
नीरज

Vinay said...

लाजवाब रचना है

---
तख़लीक़-ए-नज़र

Anonymous said...

beautiful

दिल दरिया अश्रु बह निकले
सींच उन्हें अपना "फर्ज निभाने को "

सुशील दीक्षित said...

सीमा जी आपकी कविताओं में इतना दर्द कहाँ से आता है ?

अभिन्न said...

संगीत की झंकार लिए,
शब्दों में भरा प्यार लिए
भावपूर्ण अलंकार लिए
लिख देते है जो कुछ भी वो
एक सुन्दर कविता हो जाती है
हर रोज़ उनकी कलम से
एक प्रेम गीता हो जाती है
फ़र्ज़ निभाने को आ जाते है
मुझ जैसे अनेको पढने वाले
जो आप लिख जाते हो
एक गम सरगम पा जाता है

विजय तिवारी " किसलय " said...

सीमा जी
अभिवन्दन
अति सुंदर भाव हैं आपकी रचना में

वाह बहुत खूब परिकल्पना---

बीते लम्हों की फसल उगाने को
और
अरमान उर्वरक बन बिखर गये
बधाई
- विजय

अनूप शुक्ल said...

दिल दरिया कित्ता तो जिम्मेदारी से काम करता है! है न!

Alpana Verma said...

एक नए रूप में दर्द और virah के भाव लिए कविता.
सुंदर प्रस्तुति.
विवेक जी की टिप्पणी का समर्थन करती हूँ.

मोहन वशिष्‍ठ said...

सीमाजी बहुत ही खुबसूरती से शब्‍दों को पिरोया हे आपने
बेहतरीन रचना है

आभार

Atul Sharma said...

बीते लम्हों की फसल उगाने को
तिल तिल जल के राख़ हुए
अरमान उर्वरक बन बिखर गये
दिल दरिया अश्रु बह निकले

Bahut Sundar aur man ko bhane wali kavita.

कुन्नू सिंह said...

बहुत बढीया है

"मन कि गहराई
किसी ने छू नही पाई"

महावीर said...

रूपक और अलंकृत सुंदर भावपूर्ण कविता के लिए बधाई।

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

भावनाओं का उफान तो आपमें सदा ही उत्प्रेरक होता दिखायी देता है....और यहाँ उसका भी अतिरेक हो गया है....बेशक वो अच्छा ही बन पडा है.....हाँ मगर मेरे जैसा पाठक अब आपसे कुछ अलग ही उम्मीद कर रहा है.....जहाँ आपके मन के विम्ब किसी और जगत में भी खुलते हुए दिखायी दें........आशा है आपकी और से अब कोई अलग सी रचना भी रची जाने वाली है..........इसी इंतज़ार में ये अदना नेट पाठक........!!

vijay kumar sappatti said...

dear seema,

yaaden hoti hai aisi , jo man ko bhaavuk kar jaati hai .. aapne bahut sundar likha hai , shabd ji uthe hai ..

aapko badhai

vijay

निर्मला कपिला said...

seemaji dil ko chhoo liya

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

Seema ji
bahut sundar bhav..abhivyakti.
shubhkamnayen.
HemantKumar

समयचक्र said...

तिल तिल जल के राख़ हुए

अरमान उर्वरक बन बिखर गये
सुंदर प्रस्तुति.

makrand said...

great lines

Rahul kundra said...

आप के ब्लॉग को देख कर, पड़ कर, बस एक लफ्ज़ याद आता है, खुबसूरत

श्रद्धा जैन said...

Aapke ghare lafz bhaut prabhavit kar gaye

हरकीरत ' हीर' said...

बीज तेरी यादो के रोपे

मन के बंजर खलिहानों मे

बहुत ही खुबसूरती से शब्‍दों को पिरोया हे .....!

दिगम्बर नासवा said...

तन्हाइयों ने फ़िर
बीज तेरी यादो के रोपे
मन के बंजर खलिहानों मे
घावो की पनीरी अंकुरित हुई

चाँद लम्हों में पूरे युग की कहानी कह दी है आपने..
अजीब सा नशा है आपके लिखने में

Satish Saxena said...

बहुत बढ़िया , बेहतरीन अभिव्यक्ति ! शुभकामनायें आपको !

Mukesh Garg said...

BAHUT HI SUNDER BDHIYA