हवा पुर कैफ चलने सी लगी है
तबियत कुछ बहलने सी लगी है
नया सा ख्वाब आँखों में सजा है
पुरानी रुत बदलने सी लगी है
है उसका ज़िक्र लेकिन वो नहीं है
कमी हर वक़्त खलने सी लगी है
रखा है एक दिया चौखट पे हम ने
उम्मीद -ए -शाम ढलने सी लगी है
सुनी है चाप जब से उसकी "सीमा"
मेरी भी साँस चलने सी लगी है
19 comments:
रखा है एक दिया चौखट पे हम ने
उम्मीद -ए -शाम ढलने सी लगी है..
वाह,बहुत खूबसूरत .
achchhi rachna......badhai swikaren....
behtareen.......
नया सा ख्वाब आँखों में सजा है
पुरानी रुत बदलने सी लगी है
बहुत ही उम्दा और लाजवाब, शुभकामनाएं.
रामराम
रखा है एक दिया चौखट पे हम ने
उम्मीद -ए -शाम ढलने सी लगी है
खूबसूरत गज़ल ..
बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल।
ग़ज़ल का हर एक अशआर बहुत खूबसूरत है!
हवा पुर कैफ चलने सी लगी है
तबियत कुछ बहलने सी लगी है
बेहद खूबसूरत मतला
बहुत खूब गज़ल कि जिसका मतला ता मकता दिल की गहराई से निकल कर जैसे ज़बान पर आकार फिजा मैं गूंज रहा हो बहुत ही खूबसूरत गज़ल
मुबारकबाद
"purani rut badalne-si lagi hai.."
misraa, apni baat keh rahaa hai
gazal ka har sher taazgi aur shiguft`gi se bharpoor hai
mubarakbaad .
umdaa gazal...!!
रखा है एक दिया चौखट पे हम ने
उम्मीद -ए -शाम ढलने सी लगी है ...
बहुत लाजवाब ... बैचेनी लिए अलफ़ाज़ .. कमाल की गज़ल है ...
क्या बात है, बहुत सुंदर
There are no words to say.
All the Best
ग़ज़ल का मतला जबस्द्स्त है सीमा जी और शेर भी कुछ कम नहीं मुबारक हो
नया सा ख्वाब आँखों में सजा है
पुरानी रुत बदलने सी लगी है
लाजवाब गज़ल
शुभकामनाएं!
नया सा ख्वाब आँखों में सजा है
पुरानी रुत बदलने सी लगी है
-बेहतरीन!!!
bahut hi sunder rachna
dhero badhiyan sawikar kare
bahut hi behtren
badhiyan sawikar kare
Very Very Nice Blog Thanks for sharing with us
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