10/05/2009

तुम चुपके से आ जाना


'तुम चुपके से आ जाना "

सूरज जब मद्धम पड़ जाये
और नभ पर लाली छा जाये
शीतल पवन का एक झोंका
तेरे बिखरे बालों को छु जाए
चंदा की थाली निखरी हो
तारे भी सो कर उठ जाए
चोखट की सांकल खामोशी से
निंदिया की आगोश में अलसाये
बादल के टुकड़े उमड़ घुमड़
द्वारपाल बन चोक्न्ने हो जाये
एकांत के झुरमुट में छुप कर
मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
तुम चुपके से आ जाना
झाँक के मेरी आँखों मे
एक पल में सदियाँ जी जाना

http://vangmaypatrika.blogspot.com/2009/10/blog-post.html

43 comments:

ताऊ रामपुरिया said...

झाँक के मेरी आँखों मे
एक पल में सदियाँ जी जाना

बहुत लाजवाब अभिव्यक्ति. शुभकामनाएं.

रामराम.

Anil Pusadkar said...

सुन्दर्।

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
तुम चुपके से आ जाना
झाँक के मेरी आँखों मे
एक पल में सदियाँ जी जाना

वाह! आपने हमेशा की तरह भाव विभोर कर दिया।
शुक्रिया।

"अर्श" said...

बहुत ही खुबसूरत रचना है सीमा जी पूरी तरह से प्रवाह में ... हिंदी की तथाकथित ऐसी रचनाएँ कम ही मिलती है पढ़ने को , जिस में रेशमी आँचल इंतज़ार में बैठा हुआ है... बहुत ही मखमली अंदाज़ ..


अर्श

Alpana Verma said...

'चंदा की थाली निखरी हो
तारे भी सो कर उठ जाए
चोखट की सांकल खामोशी से'
-बहुत ही आकर्षक पंक्तियाँ हैं.

कविता भी भावपूर्ण है.

बेहद खूबसूरत नेह निमंत्रण..

'चंदा की और तकती युवती की तस्वीर
बहुत अच्छी लगी.

आभार.

वाणी गीत said...

मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
तुम चुपके से आ जाना

लाजवाब रचना ..!!

Kusum Thakur said...

झाँक के मेरी आँखों मे
एक पल में सदियाँ जी जाना.

बहुत अच्छी रचना है . आपको बधाई.

रंजू भाटिया said...

सुन्दर लिखा है आपने अच्छी रचना

Rakesh Kaushik said...

झाँक के मेरी आँखों मे
एक पल में सदियाँ जी जाना
लाजवाब!!!!!
बहुत अच्छी !

& The Picture is saying everything.


Rakesh Kaushik

P.N. Subramanian said...

सुन्दर और मनमोहक रचना. आभार.

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

चंदा की थाली निखरी हो
तारे भी सो कर उठ जाए
चोखट की सांकल खामोशी से
निंदिया की आगोश में अलसाये...

Sundar!

मीत said...

मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
तुम चुपके से आ जाना
झाँक के मेरी आँखों मे
एक पल में सदियाँ जी जाना

बेहद प्रशंसनीय रचना ऐसी रचनाएँ कम होती हैं...
मीत

Mishra Pankaj said...

बहुत लाजवाब अभिव्यक्ति. शुभकामनाएं.

कभी हमारे ब्लॉग पर आइये सीमा जी

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
तुम चुपके से आ जाना
झाँक के मेरी आँखों मे
एक पल में सदियाँ जी जाना

wah! bahut hi khoobsoorat lines....

laajawaab kavita......


thnx for sharing......

A++++++++++++++++

ओम आर्य said...

मन मोहक पंक्तियाँ.......बधाई!

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

Prem ras se saraabor karte hai ue kavita.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

vijay kumar sappatti said...

Seema ji,

this is an outstanding work of words...

aakhri lines to amazing hai....ek pal me sadiyan ji jaana..

waah ji waah .

regards,

vijay

pls read my 100th post .
www.poemsofvijay.blogspot.com

पी के शर्मा said...

एक लंबे अरसे बाद अच्‍छी सी और सच्‍ची सी रचना पढ़ने को मिली, सीमा जी को धन्‍यवाद

अभिन्न said...

सूरज,पवन,चंदा,नभ,तारे और बादल अपनी विशेष और सामान्य क्रियाओं से प्रेयषी को प्रेरित कर देते हैं की वह निम्न पंक्तियों से अपने प्रिय को एक पल में सदियाँ जीने की प्रेरणा दे देती है Art of living का ऐसा अनूठा और चमत्कारिक उपाय बताती ये पंक्तियाँ न केवल ब्लॉग जगत में सराहना पा रहीं है अपितु रचनाकार को पूरे साहित्यजगत में एक अनुपम छवि के साथ चिन्हीत कर देती है ......


" एकांत के झुरमुट में छुप कर
मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
तुम चुपके से आ जाना
झाँक के मेरी आँखों मे
एक पल में सदियाँ जी जाना "
... सादर...

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर कविता के लिये आप का सुंदर सा धन्यवाद

बवाल said...

लीजिए हम आज आपको नज़र लगाए देते हैं। हा हा।
अब ऐसी सुन्दर कविता लिखेंगी तो ये तो होगा ही।
बहुत उम्दा सीमाजी बहुत बेहतर।

Udan Tashtari said...

मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
तुम चुपके से आ जाना
झाँक के मेरी आँखों मे
एक पल में सदियाँ जी जाना


--वाह!! आह!! सुन्दर कोमल रचना!!

kshama said...

" mai jab bhee akelee hotee hun,
tum chupke se aa jate ho,
aur jhaan ke meree aakhon me beete din yaad dilate ho.."

Aapkee ye nazm is takkarkee hai...waise to sabhee ekse badhar ek hain!
Ek safar nama jaree hai,' bikhare sitare' is blog pe...safar me shamil ho aur rahnumayee karen ye iltija hai!

Smart Indian said...

मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
तुम चुपके से आ जाना
झाँक के मेरी आँखों मे
एक पल में सदियाँ जी जाना

लाजवाब!

रविंद्र "रवी" said...

तुम चुपके से आ जाना, क्या बात है सीमाजी. कविता बहुत ही सुन्दर मन को भा जानेवाली है. आज ब्लॉग जगत में टहल रहा था किसी चौराहे पर आपके ब्लॉग से मुलाकात हो गई"कुछ लम्हे." बहुतही अच्छा लगा.

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

करवाचौथ की हार्दिक शुभकामनाएं।
----------
बोटी-बोटी जिस्म नुचवाना कैसा लगता होगा?

निर्मला कपिला said...

मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
तुम चुपके से आ जाना
झाँक के मेरी आँखों मे
एक पल में सदियाँ जी जाना
इस से सुन्दर स्नेह निमन्त्रन क्या हो सकता है शुभकामनायें

दिगम्बर नासवा said...

तुम चुपके से आ जाना
झाँक के मेरी आँखों मे
एक पल में सदियाँ जी जाना.......

बहुत ही आकर्षक ........ मौन आमंत्रण ............ निर्मल और उन्मुक्त भाव से लिखी रचना .......... बहुत ही कशिश है इस रचना में ........ कमाल का लिखा है .......

amlendu asthana said...

Apke likhne ka andaaj nirala hai Aur tasviron ka sanyojan to kamal ka hai.bahut khub seema zee

Unknown said...

चोखट की सांकल खामोशी से
निंदिया की आगोश में अलसाये
बादल के टुकड़े उमड़ घुमड़
द्वारपाल बन चोक्न्ने हो जाये
एकांत के झुरमुट में छुप कर
मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
seema ji adbhut
wah
kya bimb bana hai ....chokhat ki saankal ...khamosi se nidiya ki aagosh mein alsaye....waha wah ....wakai bahut hi umda rachna hue hai aapse aapko badhai ...

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

माफी चाहूँगा, आज आपकी रचना पर कोई कमेन्ट नहीं, सिर्फ एक निवेदन करने आया हूँ. आशा है, हालात को समझेंगे. ब्लागिंग को बचाने के लिए कृपया इस मुहिम में सहयोग दें.
क्या ब्लागिंग को बचाने के लिए कानून का सहारा लेना होगा?

Naveen Tyagi said...

bahut sundar

Vipin Behari Goyal said...

मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
तुम चुपके से आ जाना

बहुत ही मनमोहक आमंत्रण ...सुंदर अभिव्यक्ति

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

सूरज जब मद्धम पड़ जाये
और नभ पर लाली छा जाये
शीतल पवन का एक झोंका
तेरे बिखरे बालों को छु जाए
चंदा की थाली निखरी हो
तारे भी सो कर उठ जाए

सीमा जी,
बहुत ही खूबसूरत पन्क्तियां। हृदयस्पर्शी तो हैं ही---प्रकृति के प्रति आपके लगाव को भी दर्शाती हैं।
शुभकमनायें।
हेमन्त कुमार

योगेन्द्र मौदगिल said...

बेहतरीन.... वैसे भी विरह, वेदना और श्रंगार मिल कर अतुलनीय हो जाते हैं..... वाह..

Science Bloggers Association said...

बहुत ही सुंदर भाव हैं। और हाँ, आज फिर कहूंगा कि आप कविता के साथ जो चित्र लगाती हैं, उससे कविता का महत्व और बढ जाता है।
----------
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स्वप्न मञ्जूषा said...

मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
तुम चुपके से आ जाना
SUNDAR..ATISUNDAR ABHIVYAKTI...

Girish Kumar Billore said...

Happy Diwali
तेरे बिखरे बालों को छु जाए
चंदा की थाली निखरी हो

Pawan Kumar said...

झाँक के मेरी आँखों मे
एक पल में सदियाँ जी जाना
ताऊ की पहेली जीतने की भी बधाई
बहुत लाजवाब अभिव्यक्ति. शुभकामनाएं.

मोहन वशिष्‍ठ said...

दीपावली पर्व की आपको एवं समस्‍त परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं वैभव लक्ष्‍मी आप सभी पर कृपा बरसाएं। लक्ष्‍मी माता अपना आर्शिवाद बरसाएं

शरद कोकास said...

बहुत प्राचीन भाव पर नई रचना ।

'sakhi' 'faiyaz'allahabadi said...

tadapti jaagti aankhon nay sapna paa liya
hamne samjha hamne dil samjha liya.............
Deewali mubarak.....raat bhar yaadon kay deep jaltay rahe ....
mome kee tarah dil bhee pighaltay rahay..............
yaadon kay toofaan chaltay rahe
ladkhadatay rahe hum sambhaltay rahe

satish kundan said...

tum chupke se aajana...dil ko chhu gai...mere blog pe aapka swagat hai ...