"नर्म लिहाफ"
सियाह रात का एक कतरा जब
आँखों के बेचैन दरिया की
कशमश से उलझने लगा
बस वही एक शख्स अचानक
मेरे सिराहने पे मुझसे आ के मिला
सियाह रात का एक कतरा जब
आँखों के बेचैन दरिया की
कशमश से उलझने लगा
बस वही एक शख्स अचानक
मेरे सिराहने पे मुझसे आ के मिला
मै ठिठक कर उसके एहसास को
छुती टटोलती आँचल में छुपा
रूह के तहखाने में सहेज लेती हूँ
कुछ हसरतें नर्म लिहाफ में
दुबके मचलने लगती हैं
जब वही एक शख्स अचानक
मेरे सिराहने पे मुझसे आ के मिला
कुछ मजबूरियों की पगडंडियाँ
जो मेरे शाने पे उभर आती हैं,
अपने ही यकीन के स्पर्श की
सुगबुगाहट से हट
चाँद के साथ मेरी हथेलियों में
चुपके चुपके से सिमटने लगती है
सच वही बस वही एक शख्स जब अचानक
मेरे सिराहने पे मुझसे आ के मिल
इस रचना के शब्द शब्द में बातें हैं कुछ खास।
ReplyDeleteसीमा के निःसीम भाव में सुमन सुखद एहसास।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
सुंदर भावपूर्ण रचना ।अच्छी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत बढिया!
ReplyDeleteरोमांचित रूमानी अहसास की कविता !
ReplyDeleteजादू है आपके शब्दों में..
ReplyDeleteअहसासों को खूबसूरती से लिखा है..
ReplyDeleteयह नर्म लिहाफ ... शीर्षक बहुत अच्छा लगा......मै ठिठक कर उसके एहसास को
ReplyDeleteछुती टटोलती आँचल में छुपा
रूह के तहखाने में सहेज लेती हूँ
कुछ हसरतें नर्म लिहाफ में
दुबके मचलने लगती हैं
जब वही एक शख्स अचानक
मेरे सिराहने पे मुझसे आ के मिला .....
यह lines बहुत भावुक और दिल को टच कर गयीं.....
बहुत सुंदर प्रेज़ेंटेशन .......
wah wah wah...seema ji, dil ko chhone wali baat keh di apne..
ReplyDeleteaafareen!!
Microsoft रचना. आभार
ReplyDeleteसीमा जी, सशक्त प्रस्तुतीकरण ! एक स्त्री के दर्द को महसूस कराती आपकी पन्क्तिया फिर से एक बार मन को छु गयी, उसमे भी लाजवाब शीर्षक ने तो जैसे नि:शब्द सा कर दिया.
ReplyDeleteशीर्षक बहुत सुंदर है सुंदर अभिव्यक्ति दिल से लिखी गयी रचना
ReplyDeleteWonderful poetry ,page n profile..how come i never been here????
ReplyDeleteCheers !!
बेहद मखमली अहसास के साथ..
ReplyDeleteलाजबाव...
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeletevery beautiful. nicely composed.
ReplyDeletehttp://madhavrai.blogspot.com/
सुंदर भावपूर्ण रचना !
ReplyDeletehamesha ki tarah behatrin seema ji
ReplyDeleteमै ठिठक कर उसके एहसास को
ReplyDeleteछुती टटोलती आँचल में छुपा
रूह के तहखाने में सहेज लेती हूँ
कुछ हसरतें नर्म लिहाफ में
दुबके मचलने लगती हैं....
ये एहसास , रूह के तहखाने , नर्म लिहाफ में दुबकी हसरतें
बस इस नर्म लिहाफ की नरमी में ही अटके हैं हम तो ...
इस कविता के मनमोहक शीर्षक ने मुझे यहाँ आने पर मजबूर किया ,ओर यहाँ आकर बहुत ही खूबसूरत शब्दों की बुनाई पढ़ने को मिली .खूबसूरत गीत.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteis khubsurat kavita ki tarif ke liye shabd dhudhataa fir rahaa hun sach kahun to seema ji , jaisa ki sabhi ne tarif ki hai iskaa shirshak hi ehsaasaat ko darshata hua hai, shabd shabd bolte huye . kamaal ki adaayagi hai aapki.... bahut bahut badhaayee kubul farmayen...
ReplyDeletearsh
आपने बहुत ही खूबसूरत लिखा है।
ReplyDeleteअरे भाइयों कोई मुझे भी सिखाओ यारों... अच्छा कैसे लिखा जाता है।
सीमाजी आंटी !
ReplyDeleteसुंदर कविता पाठ ! एक बात तो पक्की है आपकी कविताओं का कोई सानी नही !
लेडी ग़ालिब को प्रणाम !
sampt
कुछ मजबूरियों की पगडंडियाँ
ReplyDeleteजो मेरे शाने पे उभर आती हैं,
अपने ही यकीन के स्पर्श की
सुगबुगाहट से हट
चाँद के साथ मेरी हथेलियों में
चुपके चुपके से सिमटने लगती है
नर्म .. नाज़ुक एहसास लिए खूबसूरत नज़्म ... घुलते हुवे शब्दों जैसी ....
सुन्दर.
ReplyDeleteI felt every word of
ReplyDelete"LIHAF" Ultimate level of writing....SEEMA"
हमेशा की तरह भाव भरी रचना
ReplyDeleteshandaar rachna..........bhawpurn abhivyakti ke saath..:)
ReplyDeletewaise sach me aapne narm lihaf ke tale bade pyare aur najuk sabdo ko saheja hai.........badhai!!
follow karne ke ko utprerit kar gaya aapka blog.......:)
nimantran: hamare blog pe aane ka...:D
shandaar rachna..........bhawpurn abhivyakti ke saath..:)
ReplyDeletewaise sach me aapne narm lihaf ke tale bade pyare aur najuk sabdo ko saheja hai.........badhai!!
follow karne ke ko utprerit kar gaya aapka blog.......:)
nimantran: hamare blog pe aane ka...:D
कुछ हसरतें नर्म लिहाफ में
ReplyDeleteदुबके मचलने लगती हैं
जब वही एक शख्स अचानक
मेरे सिराहने पे मुझसे आ के मिला
नर्म लिहाफ बहुत उत्कृष्ट रचना है खासकर उपरोक्त पंक्तिया
rgards
सुन्दर रचना है सीमा जी.
ReplyDeleteमंगलवार 22- 06- 2010 को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है
ReplyDeletehttp://charchamanch.blogspot.com/
सुंदर कविता ..सुंदर चित्र ..खूबसूरत एहसास का सृजन करते हैं.
ReplyDeleteशब्दों से भाव के जादू जगाना कोई आपसे सीखे...अद्भुत रचना...वाह...बधाई...
ReplyDeleteनीरज
कुछ मजबूरियों की पगडंडियाँ
ReplyDeleteजो मेरे शाने पे उभर आती हैं,
अपने ही यकीन के स्पर्श की
सुगबुगाहट से हट
चाँद के साथ मेरी हथेलियों में
चुपके चुपके से सिमटने लगती है
वाह ये नर्म एहसास ही तो सीमा जी की निशानी हैं बहुत सुन्द्क़--- बधाइ
नर्म लिहाफ सा नर्ण आहसास जगाती हुई नज्म ।
ReplyDelete'नर्म लिहाफ'..नाम से ही मखमली अहसास होता है..हरेक पंक्ति नर्म अहसासों के बेजोड़ तानेबाने में लिपटी हुई ठंडी-ठंडी रात में नर्म लिहाफ की छुवन से गुदगुदाती हुई, ह्रदय को गरमाती चित्रात्मकता लिए हुवे हुई प्रतीत होती है.. मानो कविता ख़ुद इस लिहाफ को ओढ़कर रात की रानी की खुशबू ले, ठंडी लहर के झोंके की तरह एक सुखद अहसद करा गई...आदरणीया सीमा जी की ये कविता इतनी मन को भाई कि मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता..बस इतना ही कह पाऊंगा... ताजमहल सी ख़ूबसूरत और गुलाबों सी महकती हुई रचना ! साधुवाद सीमा जी.
ReplyDeleteseema ji sooraj ko deepak kya dikhana...sahbd nahi bas!
ReplyDeleteUr poetry as well as d choice of fotos in Ur profile is praiseworthy . AIPC invites u 2 join its 5th International Congress at Cairo , Egypt on 17th July & d Felicitation Session wll b held at Istanbul, Turkey on 25th July 2010 & if possible again in 11th National Mega Convention at Baroda, Gujarat on 1-2-3 January 2011. AIPC promotes d Poetess of ur stature globally, U can spare a little time from ur busy schedules to know about AIPC on logging: www.aipc.weebly.com. & plz send ur books
ReplyDeleteIt was great to see ur commendable work on d screen.I bless u 4 ur brilliant emotional poems & ur praiseworthy career may be cited as a role model 4 present day talented girls. May God bless u 2 contribute more & more on d Horizon of Literature & Art. - Prof. Lari Azad, www.drlariazad.webs.com
ReplyDeleteमन को भिगो गई शब्दों की यह सुंदर वर्षा।
ReplyDelete---------
किसने कहा पढ़े-लिखे ज़्यादा समझदार होते हैं?
bahut hi badhiya. bahut samaya ke baad itna achha kucch padha.
ReplyDeleteमै ठिठक कर उसके एहसास को
ReplyDeleteछुती टटोलती आँचल में छुपा
रूह के तहखाने में सहेज लेती हूँ
खूबसूरत एहसास,खूबसूरत रचना !
बहुत सुंदर रचना सीमा जी, लेकिन बहुत समय बाद आप दिखाई दी?
ReplyDeleteसुन्दर ... लेकिन सिरहाने या सिराहने .. क्या सही है >?
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भावभीनी रचना…………नर्म लिहाफ़ सी।
ReplyDeletein shabdon men aksar lihaf hi nahin balki dil isase jyada narm ho jataa hai.....jitna ki is vakt mera ho chalaa hai....sach.....seemaa....ji....!!
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