"दुष्यंत की अंगूठी "
"दुष्यंत की अंगूठी "
मेरी ठिठकी हुई पलकों में
सदियों से उलझा एक लम्हा
जिसे अपनी आँखों से छु कर
तुने मेरे नाम कर दिया था
और तेरे अश्क के एक कतरे ने
तुझसे छुप कर
मेरी आँखों में पनाह ली थी
इश्क की अधूरी चांदनी का
हिसाब मांगने ज़िद पे उतर आया है
सिसकने लगा है मेरी हथेली पे
वो बदनसीब कतरा भी
दुष्यंत की अंगूठी की तरह
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"Each words of yours are preceious and valuable assets for me"